विपुल रेगे। निर्माता निर्देशक जेम्स कैमरुन की ‘अवतार : द वे ऑफ़ वॉटर’ विश्व सिनेमा को एक नई ऊंचाई पर ले गई है। परिवार सर्वप्रथम होता है, ये वाक्य इस सुंदर ढंग से अभिव्यक्त फिल्म में अंत तक गूंजता रहता है। ‘अवतार : द वे ऑफ़ वॉटर’ आम दर्शक के हृदय पर पानी से लिख दी गई एक कविता है। जेम्स कैमरुन की इस फिल्म में एक्शन है, आँखों को मोहने वाले सुंदर दृश्य हैं, जबरदस्त वीएफएक्स है लेकिन इन सब पर ‘अहसास’ भारी पड़ जाते हैं। इमोशंस कैमरुन की फिल्म की सबसे बड़ी ताकत है।
अवतार के प्रथम भाग में जैक सूली पृथ्वी से आए हमलावरों से पंडोरा को बचाने में सफल रहता है। हालाँकि आक्रमणकारी अब भी पेंडोरा में ही हैं और बागी हो चुके जैक और उसके परिवार को मारने की योजना बना रहे हैं। अब जैक का परिवार बड़ा हो चुका है। उसके बच्चे भी हैं। एक दिन पंडोरा पर पृथ्वीवासियों का हमला होता है। जैक और उसका परिवार पंडोरा वासियों को बचाने के लिए जंगल छोड़ समुद्री द्वीपों की ओर चले जाते हैं।
ये समुद्री पंडोरा है। यहाँ की मरीन लाइफ पंडोरा के जंगल से बिलकुल अलग है। यदि जैक और उसके परिवार को सर्वाइव करना है तो समुद्र में रहना सीखना होगा। ख़तरा अब भी जैक का पीछा कर रहा है। अब जैक के सामने दो ही रास्ते बचे हैं। या तो वह स्वयं को दुश्मन के हवाले कर दे या लड़ने की तैयारी करे। पृथ्वी तेज़ी से ख़त्म हो रही है और ‘स्काई पीपुल’ किसी भी तरह पंडोरा को अपना घर बनाना चाहते हैं।
‘अवतार : द वे ऑफ़ वॉटर’ इसके पहले भाग से अधिक दर्शनीय है। ऐसा इसलिए है क्योंकि दर्शकों ने पहली अवतार ‘लोअर फ्रेम रेट’ में देखी थी और इसका दूसरा भाग 48 फ्रेम प्रति सेकण्ड पर फिल्माया गया है। इस कारण से दृश्यों में गजब की डिटेलिंग दिखाई देती है। समुद्र के अंदर के दृश्यों को थ्रीडी में देखना अद्भुत अनुभव है। पंडोरा की मरीन लाइफ दिखाने के लिए निर्देशक ने अच्छा स्पेस दिया है।
यहाँ भी पंडोरा के जंगल की भांति एक पवित्र पेड़ है, यहाँ के जलीय जीवों से टैलीपैथी के माध्यम से बात की जाती है। इस अनोखे संसार को दिखाने के लिए स्पीलबर्ग ने पैसा पानी की तरह बहाया है। फिल्म एक एक्शन स्टोरी होने के साथ ‘विजुअल डिलाइट’ है। इस फिल्म की सफलता केवल इसके कथानक और ड्रामे पर निर्भर नहीं करती। इसकी सफलता इसकी मनमोहक सुंदरता में भी निहित है। इसका थ्रीडी एक्सपीरियंस सबसे अलहदा है। दृश्यों की गहराई और डिटेलिंग देख आप दंग रह जाने वाले हैं।
‘अवतार : द वे ऑफ़ वॉटर’ में परिवारवाद को सकारात्मक रुप में देखना आनंद देता है। फिल्म का नायक जैक सूली परिवार को बचाने के लिए संघर्षरत है। वह अंत में कहता भी है कि ‘परिवार हमारी कमज़ोरी है तो हमारी ताकत भी है।’ परिवारवाद को पश्चिमी देशों ने दफना दिया था लेकिन अब वही लोग मानते हैं कि इसके बिना भावनात्मक संबंध मजबूत नहीं किये जा सकते।
कैमरुन की फिल्म मजबूत ढंग से परिवारवाद का समर्थन करती है। भारतीय परिवेश में ये बहुत पसंद की जाएगी क्योकि यहाँ तो लोग परिवार के साथ फ़िल्में देखने जाते हैं। जैक सूली का किरदार एक जिम्मेदार पिता का है। इस नाते उसके कैरेक्टर को ‘नेतियरी’ के कैरेक्टर से अधिक स्ट्रांग बनाया है। इस फिल्म पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है लेकिन फिर भी लिखने को बहुत शेष रहेगा।
‘अवतार : द वे ऑफ़ वॉटर’ एक दर्शनीय यात्रा है। इस यात्रा में परिवार की ‘फिलॉसफी’ है। ये यात्रा आपको सिखाती है कि परिवार आपकी कमज़ोरी है तो ताकत भी है। इस बार अपना वीकेंड अंडरवॉटर मनाइये, कैमरुन आपकी बाट जोह रहे हैं।