भक्षक
निर्देशक : पुलिकत
निर्माता : रेड चिली एंटरटेनमेंट
कलाकार : भूमि पेडनेकर, संजय मिश्रा, आदित्य श्रीवास्तव, साईं ताम्हणकर
स्ट्रीमिंग : नेटफ्लिक्स
विपुल रेगे। धनिकों और प्रभावशाली लोगों के लिए बनाए गए भारतीय सिस्टम की एक विशेषता और है। विशेषता ये है कि वह कछुआ चाल से चलता है। नेटफ्लिक्स पर एक महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दे को उठाती ‘भक्षक’ प्रदर्शित हुई है। देश के नागरिकों को ये पता होना चाहिए कि बिहार के मुज्जफरपुर के जिस कांड पर ‘भक्षक’ बनाई गई है, उस कांड में पहली प्राथमिकी छह वर्ष बाद 2023 की जुलाई में दर्ज की गई थी। प्राथमिकी दर्ज करने के एक वर्ष बाद फिल्म रिलीज होती है और प्रकरण कछुआ गति से केवल प्राथमिकी दर्ज करने तक ही पहुंच पाता है। फिल्म निर्देशक पुलिकत की ‘भक्षक’ एक शक्तिशाली फिल्म है। ये वर्तमान लचर सिस्टम पर सशक्त प्रहार करती है।
बात सन 2018 की है। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह दरिंदगी मामले में सीबीआई द्वारा 28 जुलाई 2018 को एक मामला दर्ज किया गया था। इसके आधार पर 21 लोगों को आरोपी बनाया गया था और कई प्रमुख आरोपियों की गिरफ्तारी हुई थी। इस बालिका गृह में छोटी बच्चियों के साथ यौन शोषण और अत्याचार किया जा रहा था। मामला सामने आने के बाद भी छह वर्ष निकल गए। जिन आरोपियों को सजा देकर जेल भेजा जाना था, वे बचते रहे। छह वर्ष बाद इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने का अर्थ है, कि अभी आरोपियों को बचने के लिए और समय मिल जाएगा। मुजफ्फरपुर बालिका गृह मामले पर बनाई गई ‘भक्षक’ एक संवेदनशील प्रस्तुति है, जो बिना लाग-लपेट, बिना मनोरंजन के तड़के के सहारे विषय प्रस्तुत करती है। भूमि पेडनेकर, संजय मिश्रा और आदित्य श्रीवास्तव के मंत्र मुग्ध कर देने वाले अभिनय की नींव पर पुलकित ने एक मुकम्मल फिल्म खड़ी कर दी है।
कहानी : बिहार के मुन्नवरपुर में एक बालिका गृह में लड़कियों का यौन शोषण किया जा रहा है। बालिका गृह का मुख्य संचालक बंसी साहू एक ताकतवर व्यक्ति है। वह एक पत्रकार भी है और पत्रकारिता का इस्तेमाल अपने अपराध छुपाने के लिए करता है। इस बात की सूचना पटना में रहने वाले एक पत्रकार वैशाली सिंह तक पहुँचती है।
वैशाली खोजबीन शुरु करती है तो उसके हाथ कई महत्वपूर्ण तथ्य लगते हैं लेकिन सरकारी मशीनरी बंसी साहू के समर्थन में काम करती है। इस कारण वैशाली की खोज होने के बाद भी बंसी साहू आज़ाद घूमता रहता है। हालाँकि वैशाली हार नहीं मानती और अपनी खोज लगातार जारी रखती है। एक दिन वैशाली का सूत्र उसे एक महत्वपूर्ण सुराग देता है। मामला इतना संगीन हो जाता है कि बंसी साहू वैशाली के परिवार पर हमला करा देता है। हालांकि वैशाली के कदम इसके बाद भी नहीं रुकते।
अभिनय : ‘भक्षक’ दर्शकों के मनोरंजन के लिए नहीं है लेकिन भूमि पेडनेकर, संजय मिश्रा और आदित्य श्रीवास्तव का बेहतरीन अभिनय इस कमी को बखूबी पूरा करता है। भूमि पेडनेकर ने मुख्य भूमिका निभाई है। उन्होंने अपने कन्धों पर फिल्म को खूबसूरती से ढोया है। ये कहने में कोई संदेह नहीं है कि भूमि ने अपनी अभिनय यात्रा में पहला मील का पत्थर ठोंक दिया है। जब भूमि अपने भारी-भरकम मोटापे को पराजित कर एक छरहरी सुंदरी के रुप में परिवर्तित हुईं, तब उनका अभिनय और निखरा। फिल्म विशेषज्ञ उनमे स्मिता पाटिल की झलक देखने लगे थे। ‘भक्षक’ में भूमि ने दिखाया है कि उनका अभिनय पहले से सुघड़ और परिपक़्व हो गया है।
संजय मिश्रा ठेठ भारतीय व्यक्ति के प्रतीक हैं। उनकी अधिकांश भूमिकाएं भारत के आम आदमी को व्यक्त करती प्रतीत होती है। कैमरामैन के रुप में वे बहुत जंचे हैं। संजय मिश्रा का अंडरप्ले उन्हें बाकी कलाकारों से अलग लाकर खड़ा कर देता है। आदित्य श्रीवास्तव की एक्टिंग के जलवे तो हम वर्षों से देख रहे हैं। कभी सीआईडी जैसे धारावाहिक में नज़र आने वाले आदित्य एक बहुमुखी अभिनेता हैं। एक दीर्घ अनुभव ने उनके अभिनय को स्थिरता प्रदान की है। ‘भक्षक’ में एक नकारात्मक किरदार को उन्होंने विश्वसनीयता से जिया है।
निर्देशन : फिल्म निर्देशक पुलकित ने मुज्जफरपुर कांड को जस का तस पेश करने का प्रयास किया है। दर्शक को मनोरंजन देने के लिए पटकथा को दूषित नहीं किया गया है। पटकथा, संवाद, कैमरा वर्क पर फिल्म पूरी तरह खरी उतरती है। एक नीरस विषय पर दर्शकों को बांधे रखने वाली फिल्म बनाना बड़ी चुनौती वाला काम होता है। सन 2019 में पुलकित कैंसर से जूझ रहे थे। अस्पताल में कैंसर से लड़ते हुए ‘भक्षक’ की कहानी ने जन्म लिया।
फिल्म बनाने से पहले पुलकित ने व्यापक शोध किया है। यही कारण है कि ‘भक्षक’ एक दस्तावेजी फिल्म प्रतीत होती है। नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई भक्षक वयस्क दर्शकों के लिए है। ये एक रियलस्टिक फिल्म है। इसमें नाच-गाने और कॉमेडी नहीं मिलेगी। देश की गंभीर समस्या पर एक संजीदा फिल्म देखना चाहते हैं तो स्विच ऑन कीजिये। फिल्म का निर्माण शाहरुख़ खान के रेड चिली एंटरटेनमेंट ने किया है। रेड चिली एंटरटेनमेंट की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने सामाजिक सरोकारों वाली फिल्म बनाई है, जो सोचने पर विवश करती है।