आईएसडी नेटवर्क। संघ प्रमुख मोहन भागवत ‘सामवेद’ के उर्दू अनुवाद का विमोचन करने जा रहे हैं। ‘सामवेद’ का उर्दू अनुवाद बॉलीवुड के निर्माता-निर्देशक इक़बाल दुर्रानी ने किया है। आगामी 17 मार्च को लाल किले पर आयोजित होने वाले एक कार्यकर्म में भागवत उर्दू अनुवाद का विमोचन करेंगे। संघ के इस प्रयास को देश के मुस्लिम वर्ग के करीब जाने के रुप में देखा जा रहा है। विगत कुछ समय से संघ की सार्वजानिक गतिविधियों से स्पष्ट होता जा रहा है कि उसका कैडर मुस्लिम वर्ग को लुभाने के लिए लगातार ऐसे प्रयास कर रहा है।
संघ के मुस्लिमों के करीब जाने के प्रयासों का हिंदूवादी लंबे समय से विरोध करते आए हैं लेकिन संघ के कर्ताधर्ता इस विरोध को नज़रअंदाज़ कर इस दिशा में कार्य करते रहे हैं। अब संघ ने एक नया शिगूफा छोड़ा है। इक़बाल दुर्रानी द्वारा किये गए उर्दू अनुवाद का विमोचन करने का उद्देश्य ये है कि मुस्लिम आबादी का एक बड़ा वर्ग अपनी भाषा में प्राचीन हिन्दू धर्म ग्रन्थ को समझ सके। संघ को ये आशा है कि मुस्लिम आबादी सामवेद के उस संदेश को आत्मसात कर सकेगी, जो मानवता की भलाई के लिए दिया गया था।
इक़बाल दुर्रानी ने पिछले वर्ष ही ‘सामवेद’ का उर्दू अनुवाद पूरा कर लिया था। इक़बाल दुर्रानी पेशे से एक फिल्म निर्माता हैं। उन्होंने अपने कॅरियर में बहुत सी फिल्मों का निर्माण किया। दुर्रानी अपने कॅरियर में केवल तीन हिट फ़िल्में ही दे सके थे। ‘फूल और कांटे’, ‘शिवा’ और ‘खुद्दार’ उनके कॅरियर की महत्वपूर्ण फ़िल्में रही हैं। दुर्रानी को बी ग्रेड का फिल्मकार कहा जाता है। पिछले कुछ वर्षों से उन्होंने फिल्म निर्माण बंद कर दिया था। इसके बाद वे ‘सामवेद’ के उर्दू अनुवाद में जुट गए थे।
संघ प्रमुख मोहन भागवत के कार्यकाल में संघ ने मुस्लिमों को जोड़ने के लिए बहुत प्रयास किये गए हैं। भागवत की लिखी ‘भविष्य का भारत’ का अनुवाद भी उर्दू में किया गया था। ‘सामवेद’ के उर्दू अनुवाद के आयोजन को लेकर आयोजक जीवकांत झा ने जो बात कही है, उससे देश के हिन्दुओं में नाराज़गी बढ़ सकती है। झा ने शास्त्रों को एक विज्ञान के रुप में बताते हुए कह दिया है कि शास्त्र किसी धर्म विशेष से संबंधित नहीं है। आयोजक की ये टिप्पणी देश के हिन्दू समाज को नाराज़ कर सकती है।
फिलहाल तो संघ अपने कार्यक्रम के लिए देश के सभी नागरिकों, खास तौर से हिन्दुओं का समर्थन जुटाने का प्रयास कर रहा है। हालाँकि आसार है कि हिन्दू समाज इस आयोजन को सिरे से नकार सकता है।