अर्चना कुमारी। उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी बमबाज गुड्डू मुस्लिम को आखिरकार धर दबोचा गया। अतीक और अशरफ मरने से पहले इसी बदमाश का नाम आखरी शब्द के तौर पर लिया था जिस दौरान उन दोनों की हत्या कर दी गई थी। स्पेशल टास्क फोर्स उत्तर प्रदेश पुलिस नासिक से गिरफ्तार किए जाने का दावा किया है जबकि बताया जाता है कि प्रयागराज में जन्मा गुड्डू मुस्लिम शुरू से ही शातिर प्रवृत्ति का रहा है।
गुड्डू मुस्लिम स्कूली दिनों से ही वह लूट और रंगदारी वसूलने जैसे कांड में शामिल होने लगा। इसी दौरान कई बड़े बदमाशों के संपर्क में आया। बताया जाता है कि तब से ही वह बम बनाने लगा। गुंडागर्दी और मारपीट की शिकायतों से परेशान होकर घरवालों ने उसे पढ़ने के लिए लखनऊ भेज दिया। लेकिन यहां गुड्डू मुस्लिम ने बड़े अपराध को अंजाम देना शुरू कर दिया। अपराध के शुरुआती दिनों में उसकी मुलाकात पूर्वांचल के दो बाहुबली नेताओं अभय सिंह और धनंजय सिंह से हुई। उन दिनों ये भी लखनऊ यूनिवर्सिटी में ही पढ़ते थे।
इन दोनों के साथ पाते यह और कुख्यात बन गया था। गुड्डू मुस्लिम का नाम पहली बार तब चर्चा में आया। जब उसने 1997 में लखनऊ के चर्चित लामार्टीनियर स्कूल के गेम टीचर फेड्रिक जे गोम्स की हत्या कर दी। इस मामले में गुड्डू गिरफ्तार हुआ था। गुड्डू के साथ राजा भार्गव और धनंजय सिंह को भी इस मामले में आरोपी बनाया गया। बताया जाता है कि पुलिस के सामने गुड्डू ने अपना गुनाह भी कबूल कर लिया था, लेकिन इसके बावजूद कोर्ट में पुलिस तीनों को दोषी साबित नहीं कर पाई।
बाद में तीनों बरी हो गए। इस दौरान गुड्डू ने एक और हत्या का जुर्म कबूला था। उसने बताया था कि फैजाबाद के ठेकेदार संतोष सिंह को भी उसी ने मारा था। गुड्डू ने ये भी बताया कि कैसे संतोष को उसने जहर दिया और उसकी लाश रायबरेली में छोड़ दी। इसके बाद उसकी कार, राइफल और पैसे लूट लिए। इसी हत्या के बाद अभय और धनंजय के बीच दुश्मनी बढ़ी। 26 साल बाद भी वो एक दूसरे के दुश्मन हैं। इस हत्या के बाद गुड्डू धनंजय का और भी ज्यादा करीबी हो गया।
लखनऊ में रहते हुए गुड्डू जुर्म की दुनिया का बड़ा नाम बन गया। उन दिनों लखनऊ में एक और नाम की तूती बोलती थी। बाहुबली विधायक अजीत सिंह का। रेलवे मोबाइल टॉवर लगाने के सभी ठेके अजीत को ही मिलते थे। धनंजय इन ठेकों को हासिल करना चाहता था और इसके लिए उसने गुड्डू का सहारा लिया। कहा जाता है कि गुड्डू ने विभाग के अधिकारियों को अपहरण करना शुरू कर दिया। उन्हें हत्या की धमकी देकर टेंडर अपने कब्जे में ले लेता था।
साल 1997 में बसपा सरकार के दौरान राज्य निर्माण निगम के इंजीनियर को बीच सड़क पर गुड्डू ने गोलियों से भून दिया गया। इस हत्या में धनंजय सिंह के साथ गुड्डू मुस्लिम भी आरोपी बनाया गया था।सरकारी टेंडर कब्जा करने के दौरान ही उसकी पहचान यूपी के बड़े माफिया श्रीप्रकाश शुक्ल से हुई। धीरे-धीरे गुड्डू श्रीप्रकाश के काफी करीब पहुंच गया।
श्रीप्रकाश को वह अपना गुरू मानने लगा । श्रीप्रकाश के एनकाउंटर के बाद गुड्डू गोरखपुर के माफिया परवेज टाडा के संपर्क में आया। परवेज पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट था और जाली नोटों की तस्करी करता था। परवेज से गुड्डू की मुलाकात श्रीप्रकाश ने ही करवाई थी। गुड्डू परवेज के लिए बम बनाने का काम करने लगा। इसके बाद परवेज ने गुड्डू की मुलाकात बिहार के उस समय के खूंखार चर्चित माफिया से करवा दी।
गुड्डू को यूपी पुलिस ढूंढ रही थी। इससे बचने के लिए वह बिहार पहुंच गया। बिहार में भी उसने कई बड़े अपराधों को अंजाम दिया। साल 2001 में गोरखपुर पुलिस ने उसे पटना के बेउर जेल के सामने से गिरफ्तार कर लिया। कहा जाता है कि गुड्डू को तब अतीक अहमद ने ही जेल से छुड़वाया था। इसके बाद से वह अतीक अहमद के लिए काम करने लगा।
धीरे-धीरे गुड्डू अतीक का बेहद खास बन गया। साल 2005 में बसपा विधायक राजू पाल को दिनदहाड़े गोलियों से भून दिया गया था। इस मामले में भी गुड्डू मुस्लिम का नाम सामने आया था। सीबीसीआईडी ने गुड्डू को आरोपी बनाया। उसके खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। जब अतीक को पकड़ा गया, तब गुड्डू अंडरग्राउंड हो गया।
अंडरग्राउंड रहते हुए ही उसने अपना रियल स्टेट का कारोबार किया। अतीक गैंग को भी संभालता था। उमेश पाल हत्याकांड के बाद कई सीसीटीवी फुटेज सामने आए। इनमें साफ तौर पर देखा जा सकता है कि कैसे गुड्डू मुस्लिम एक के बाद एक उमेश और उनके गनर्स पर बम फेंक रहा है। गुड्डू के साथियों ने जब उमेश पर गोलियां बरसानी शुरू की तो वह नीचे गिर गया। कुछ देर में उमेश उठ कर घर की तरफ भागे तो गुड्डू ने कूद कर उनकी तरफ बम फेंका और मौके से फरार हो गया था।