Latest भाषा और साहित्य News
कविता- दुःख नहीं स्वीकार करो, मृत्यु से भी प्यार करो!
दुःख नहीं, स्वीकार करो, मृत्यु से भी प्यार करो! एक छोर पर…
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: ‘मैं जी भर जिया, मैं मन से मरूँ, लौटकर आऊँगा, कूच से क्यों डरूँ’
ठन गई! मौत से ठन गई! जूझने का मेरा इरादा न था,…
अटल बिहारी वाजपेयी की कविता: ‘सुनो प्रसून की अगवानी का स्वर उन्चास पवन में’!
पंडित मदन मोहन मालवीय द्वारा स्थापित सचित्र साप्ताहिक अभ्युदय में प्रकाशित अटल…
कहानी…सपेरा संपादक और नागिन एंकर!
सांप-छुछुंदर नचाने वाले एक ‘सपेरे संपादक’ को आज लोकतंत्र की बड़ी चिंता…
हिंदी कविता : चिदाकाश!
हम चारों तरफ आकाश से घिरे हैं, जो है और जो नहीं…
जिसे तुलसी, सूर का ज्ञान नहीं वह प्रकाशक है! सोचिए हमारी हिंदी के प्रति वह कितनी नफरत से भरी है!
किताबें इंसानों के लिए सबसे बड़ा दोस्त बताई जाती हैं, और हैं…