एकम् सनातन भारत का ध्वज
तन भी कुंठित, मन भी कुंठित , ये कुंठित यौन के रोगी हैं ;
सब कुछ है इनका कुंठित , ये पूरे – पूरे भोगी हैं ।
धर्म इन्हें सीमा में बांधे , इसी से धर्म के दुश्मन हैं ;
सरकारी – अब्बासी हिंदू , पूरा गंदा तन-मन-धन है ।
इसीलिये ये मंदिर तोड़ें , गलियारा बनवाते हैं ;
हिंदू – मंदिर लूट – लूट कर , जजिया में बंटवाते हैं ।
हिंदू कुछ भी जान न पाये , झूठा – इतिहास पढ़ाते हैं ;
चरित्रभ्रष्ट हिंदू को करने , धार्मिक-शिक्षा रुकवाते हैं ।
यौन-दास भारत को बनाने , तरह-तरह की साजिश लाये ;
कितना विकृत सेक्स है इनका ?समलैंगिकता को ले आये ।
कितना बड़ा षड़यंत्र है इनका ? हिंदू-धर्म मिटा देने का ;
दुनियाभर के पुरस्कार हैं , इसी से नेता पाने का ।
चट्टे – बट्टे इक थैली के , जितने भी अब्राहमिक देश हैं ;
अब्बासी – हिंदू कठपुतली है , लेता इनसे आदेश है ।
जागो हिंदू ! अब तो जागो , वरना सब लुट जायेगा ;
झूठे ढोंगी नेता पहचानो , तब ही तू बच पायेगा ।
गहरी रात बीतने वाली , अब सूर्योदय ही आता है ;
“एकम् सनातन भारत” आता , अंधियारे को हटाता है ।
सच्चाई का ये प्रकाश है , अंधियारा मिटना होगा ;
जाग जायेंगे सारे हिंदू , सेक्युलरिज्म को हटना होगा ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , पूरे विश्व में छायेगा ;
“एकम् सनातन भारत” ही तो , सर्वत्र इसे फैलायेगा ।
केवल हिंदू को संभलना है , अपना अज्ञान छोड़ना है ;
रामायण – गीता – महाभारत , पढ़ना और पढ़ाना है ।
इसमें जिसको भी दिक्कत हो,”संदीपदेव” का चैनल देखो ;
गागर में सागर को भरता , सर्वश्रेष्ठ सब-कुछ सीखो ।
इसमें तनिक न आलस करना, सबके मन की ज्योति जले ;
“एकम् सनातन भारत” का ध्वज , इसी के पीछे विश्व चले ।
अब्बासी – हिंदू तो धोखा देता , हम करके दिखलायेंगे ;
विश्व – गुरु था भारत पहले , फिर से उसे बनायेंगे ।
जितना भी अंधेर यहाँ पर , अब हटने में देर नहीं है ;
“एकम् सनातन भारत” का प्रण, कुछ भी देर-सवेर नहीं है ।
पहला अधिवेशन आज हो रहा , हरिद्वार की पुण्य भूमि है ;
आशीर्वाद है महाविष्णु का , धन्य-धन्य भारत की भूमि है ।