घिरा हुआ है तू मोमिन से और मेमना बन बैठा ;
राष्ट्र बचाने को आया था और सेकुलर बन बैठा ।
राष्ट्र की हरदम करे हिफाजत , वो ही चौकीदार है ;
भले लोग मर रहे राष्ट्र के , कैसा चौकीदार है ?
काहे को दाढ़ी बढवायी ? राष्ट्र को इसका भेद बता ।
पक्का चेला तू गांधी का , उनके दाढ़ी कहां बता ?
आसाराम से तुझे न मतलब , उनकी जैसी दाढ़ी क्यों ?
इसका कोई लाभ नहीं है , तू हो जा अब ज्यों का त्यों ।
जनता तुझसे चाह रही है , सी.एम. जैसा धाकड़पन ;
सबको एक नजर से देखे , कहीं नहीं हो दब्बूपन ।
कानून को जो भी तोड़ रहे हैं , उनके सर को तोड़े तू ;
जात-पांत ,मजहब हो कोई , इक लाठी से हांके तू ।
सबसे पहले राष्ट्र है होता , इसको कभी न भूले तू ;
राजनीति जो वोट बैंक की , उसको कभी न करना तू ।
सत्तायें आती जाती हैं , राष्ट्र हमेशा रहता है ;
राष्ट्र की खातिर जो जीता है , नाम अमर हो जाता है ।
सारे मोमिन दूर हटा कर , उनसे अपना पिंड छुड़ाओ ;
जिसके लिए धरा पर जन्मा,उसको करके अब दिखलाओ।
दुनिया भर में हर मजहब के , कई -कई देश बन चुके हैं ;
केवल हिंदू राष्ट्र नहीं है , लगता है सब भूल चुके हैं ।
अपनी स्मृति ठीक करो तुम,धर्म ध्वजा को अब लहराओ ;
विश्व शांति के लिए जरूरी , भारत को हिंदू राष्ट्र बनाओ ।
“वंदे मातरम- जय हिंद”
रचनाकार :ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”
बात बात में संत श्री आसारामजी बापू को घुसेड़ने की जरुरत क्या है। जबकि आपके ही शो पर आकर इस केस से सम्बंधित सारी सच्चाई बताई गई थी। हिन्दुओ की सबसे बड़ी कमजोरी यही है की उनका भला करने वालों को कोई कुछ भी आरोप लगा कर जेल करवा दे , हिन्दू बड़े ही चाव से फिर उन महापुरुषों की बुराई करना शुरू कर देता है।
भाई मेरे ध्यान से पढो, आसाराम जी का कोइ मान-मरदन नहीं हुआ है।