ई वी एम हटाना है
मनोरंजन का नहीं है साधन , मेरी जितनी हैं कवितायें ;
हिंदू ! तुमको बता रहा हूँ , आने वाली घटनायें ।
समझदार हैं जितने हिंदू , सब इससे सहमत होंगे ;
अज्ञान की निद्रा सोने वाले, असमय काल में कवलित होंगे ।
जागो हिंदू ! ज्ञान में जागो , धर्म-सनातन जगा रहा है ;
मानव का अनमोल है जीवन , व्यर्थ में तू क्यों गंवा रहा है ?
लोक और परलोक सामने , दोनों को सुखमय कर ले ;
सारा – जीवन सुखी रहेगा , धर्म – मार्ग में पग धर ले ।
स्वार्थ-लोभ-भय की तृष्णा है , अज्ञानी-हिंदू भटक रहा है ;
अब्बासी-हिंदू की मृग-तृष्णा है , हिंदू उसमें लपक रहा है ।
अब्बासी-हिंदू चालाक शिकारी , हिंदू का शिकार करता है ;
शत-प्रतिशत ये मजहबवादी , हिंदू-धर्म नष्ट करता है ।
अरब-अमेरिका अब्राहमिक हैं , उनसे मिली सुपारी है ;
हिंदू – धर्म नष्ट कर देगा , इसकी ही ये सुपारी है ।
बहुत बड़ा ये कालनेमि है , तरह-तरह के स्वांग बनाता ;
तिलक-त्रिपुण्ड का वेश बनाकर , सदा ही हिंदू को ठगता ।
महामूर्ख जितना भी हिंदू , इसके चक्कर में फँसा हुआ है ;
आये दिन गर्दन कटती है , इस काले-नाग से डँसा हुआ है ।
काला-नाग अब्बासी-हिंदू , हिंदू ! अब तो इसको पहचानो ;
अंतिम-अवसर पास तुम्हारे , इसकी पूरी-सच्चाई जानो ।
हिंदू अब भी न चेता तो , महाभँवर में फँस जायेगा ;
जान – माल – सम्मान जायेगा , तेरा धर्म चला जायेगा ।
ऐसी जगह तुझे मारेगा , जहाँ न कोई पानी होगा ;
दुख और पश्चाताप ही होगा , और नहीं कुछ भी होगा ।
ये भी लोक चला जायेगा , परलोक भी तेरा जायेगा ;
अब्बासी – हिंदू का अनुयायी , घोर – नरक में जायेगा ।
हिंदू ! सावधान हो जाओ , तेरा सब-कुछ लुट जायेगा ;
रोता – रोता जग में आया , रोता जग से जायेगा ।
यदि तुझको सुख से जीना है,अच्छी-सरकार बनाना होगा ;
हिंदू-शासन की पद्धति से , भारत-वर्ष चलाना होगा ।
एक ही दल इसमें सक्षम है , “एकम् सनातन भारत” दल ;
हिंदू ! इसके बनो मेम्बर , हिंदू ! पहचानो अपना बल ।
इस चुनाव से पहले करना , ई वी एम हटाना है ;
“राम-राज्य” भारत पायेगा , हिंदू-सरकार बनाना है ।