वामी ,कामी ,जिम्मी, सेक्युलर, तुष्टीकरण यही करते हैं ;
हिंदू – धर्म के यही हैं दुश्मन , हरदम उसे ठगा करते हैं ।
सर्वश्रेष्ठ है धर्म – सनातन , फिर भी हिंदू क्यों हारा ?
चरित्रहीन हैं हिंदू – नेता , इसी वजह से हिंदू हारा ।
भोग – वासना सर पर हावी , हिंदू – नेता भ्रष्ट हो गया ;
आजादी से यही चल रहा , हिंदू हरदम ठगा गया ।
हिंदू इतना ठगा जा चुका , अब ठगने को कुछ भी नहीं ;
केवल जान बची है बाकी,उसके भी जाने में अब देर नहीं।
मरता क्या न करता हिंदू ? अब तो सही राह पर आओ ;
अभी भी संख्या बल में ज्यादा,बचने की कोई राह बनाओ।
वर्तमान जो राजनीति है , तुझे न जिन्दा छोड़ेगी ;
लगभग सारे नेता कायर , उनसे क्या उम्मीद जगेगी ?
दरवाजे सब बंद हैं तेरे , एक नया दरवाजा खोलो ;
अंतिम – संग्राम है होने वाला , एक अजेय मोर्चा खोलो ।
हिंदू – धर्म का कट्टर- रक्षक , परम – साहसी , चरित्रवान ;
ऐसा हिंदू – नेता ढूंढो , एक नया दल हो बलवान ।
यूपी या आसाम से लाकर , एक-जुट सारे हिंदू हों ;
“एकजुट – जम्मू” ने राह दिखायी , ऐसा भारत भर में हो ।
चाहे “राम राज्य परिषद” हो,या “हिंदू महासभा”को लाओ;
एक – एक हिंदू वोट करेगा , हर हालत में सत्ता पाओ ।
सबसे पहला काम यही हो , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ;
संविधान को फौरन बदलो , परम-श्रेष्ठ संविधान बनाओ ।
फिर सारा तुष्टीकरण मिटाओ व अल्पसंख्यकवाद हटाओ;
एक समान हों भारतवासी , आरक्षण का दंश मिटाओ ।
सभी का हो पूरा संरक्षण , कानून का शासन ले आओ ;
राष्ट्र को लूटा जिसने अब तक , काल-कोठरी में जाओ ।
राष्ट्र का जितना भी धन लूटा,कहीं भी हो,वापस आयेगा ;
आक्रांता , बर्बर , हत्यारा , आतंकवाद मिट जायेगा ।
वामी,कामी,जिम्मी,सेक्युलर, सब करनी का फल पायेंगे ;
रक्त राष्ट्र का पीने वाले , राष्ट्रद्रोह की सजा पायेंगे ।
राष्ट्रद्रोह की सजा मौत है , भ्रष्टाचार भी राष्ट्रद्रोह है ;
सब के सब लटके फांसी पर , खत्म तभी ये राष्ट्रद्रोह है ।
मजहब में जितना खून खराबा , ये सारा मिट जायेगा ;
धर्म – सनातन के आने से , पूरा विश्व शांति पायेगा ।
“वंदेमातरम-जयहिंद”
रचयिता:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”