संदीप देव। हिंदुओं के SC/ST का आरक्षण धर्मांतरित मुस्लिम-ईसाईयों को देने की संभावना तलाशने, धीरे-धीरे इसके पक्ष में माहौल बनाने और हिंदुओं को ठगने के लिए हिंदुओं की ही संस्था (संघ की आनुषांगिक संस्था) विश्व हिंदू परिषद (VHP) को आगे किया गया है!
VHP इसकी संभावना पर बात करने के लिए 4-5 मार्च को नोएडा में एक सेमिनार करने जा रही है! किसी भी पक्ष/विपक्ष में माहौल बनाने के लिए प्रथम चरण यही होता है! उम्मीद करते हैं कि VHP इसके पक्ष की जगह विपक्ष में माहौल बनाएगी ताकि हिंदू संस्था की उसकी गरिमा बनी रहे!
देखा जाए तो PM मोदी और वेटिकन-पोप के बीच मुलाकात के बाद इस पर तेजी आई है। 2024 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह तेजी और बढ़ रही है! ज्ञात हो कि SC में चर्च व ईसाई मिशनरियां ही धर्मांतरित लोगों के लिए आरक्षण की मांग लेकर गई हैं, जिनकी सुनवाई SC में लंबित है। मुस्लिम भी इस मांग के समर्थन में हैं। जिनको ‘पासमांदा’ कह कर प्रधानमंत्री मोदी रोज उनके पिछड़ेपन की दुहाइयां दे रहे हैं, वह इससे बड़ी संख्या में लाभान्वित होने वालों में शामिल होंगे!
इस मांग के बाद मोदी सरकार ने SC/ST आरक्षण में धर्मांतरित मुस्लिम-ईसाई को आरक्षण देने की ‘संभावना’ तलाशने के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश, सोनिया गांधी के खास और क्रिप्टो क्रिश्चियन जस्टिस बालाकृष्णन की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन भी कर दिया है।
यह भी ज्ञात हो कि सच्चर कमेटी और रंगनाथ मिश्र आयोग ने सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार में ही यह संस्तुति दी थी, जिस पर फिलहाल मोदी सरकार अमल करती दिख रही है!
यदि भविष्य में SC/ST आरक्षण में धर्मांतरित मुस्लिम-ईसाई को आरक्षण दिया गया तो निम्नलिखित पांच दूरगामी प्रभाव हिंदू समाज पर पड़ेगा:-
१) SC/ST अर्थात दलित और वनवासियों का अधिकार छिन जाएगा। उनके आरक्षण में हिस्सेदारी करने वालों की संख्या बढ़ जाएगी।
२) आरक्षण का लाभ मिलने के कारण जो हिंदू SC/ST धर्मांतरित नहीं होते थे, इसके लागू होने पर उनका धर्मांतरण और तेज होगा।
३) SC/ST के लिए आरक्षित लोकसभा व विधानसभा सीटें भी मुस्लिम-ईसाई के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
ज्ञात हो कि लोकसभा की 545 सीटों में इस समय करीब 131 सीट आरक्षित हैं, जिनमें अनुसूचित जाति (SC) के लिए 79-84 एवं अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए 41-47 सीटें आरक्षित हैं।
इसी तरह देश के सभी राज्यों की कुल विधानसभा की सीटों में भी बड़ी संख्या में आरक्षित सीटें हैं। सोचिए यदि SC/ST में धर्मांतरितों को भविष्य में आरक्षण मिल गया तो सत्ता सीधे किनके हाथों में होगी? हिंदू पहले से ही इस देश में दोयम दर्जे के नागरिक हैं, वह और चौथे दर्जे के नागरिक हो जाएंगे।
४) बैक-डोर से सोनिया गांधी का ‘सांप्रदायिक लक्षित हिंसा बिल’ लागू हो जाएगा। SC/ST एक्ट के फर्जी केस में जैसे OBC/सवर्ण को आज फंसाया जाता है, कल को धर्मांतरित मुस्लिम- ईसाई भी उन्हें फंसाने लगेंगे।
इसमें बिना जांच के आरोपी को गिरफ्तार करने का प्रावधान है, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 20 मार्च 2018 को बदल दिया था, लेकिन बहुमत के बल पर मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 2018 में न केवल पलटा, बल्कि इसे और कठोर बना दिया है। बाद में 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने भी मोदी सरकार के संशोधन को मंजूरी दे दी।
गौरतलब है कि सोनिया गांधी के ‘सांप्रदायिक लक्षित हिंसा बिल’ में भी दंगे या झड़प के समय अल्पसंख्यकों के आरोप पर हिंदुओं को बिना जांच गिरफ्तार करने की व्यवस्था की गई थी, जिसका हिंदू समाज ने तब पुरजोर विरोध किया था।
संघ-भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए इसका विरोध किया था, आज सत्ता में आते ही उसे ही पिछले दरवाजे से लागू करने का प्रयास किया जा रहा है! इसके लागू होने पर OBC/सवर्ण समाज के लिए इस देश में रहना और जीना मुश्किल होता चला जाएगा!
५) धर्मांतरित मुस्लिम-ईसाई हिंदू दलित/वनवासियों को प्रताड़ित भी खूब करेंगे। हिंदू दलित चाहकर भी मुस्लिम- ईसाई दलित पर SC/ST एक्ट लागू नहीं कर पाएंगे, क्योंकि SC/ST एक्ट अनुसूचित जाति/जनजाति के अंदर ही लगने का प्रावधान अभी तक नहीं है! आज भी ‘भीमों’ (हिंदू दलितों) के सर्वाधिक उत्पीड़न का ‘वास्तविक मामला’ ‘मीम’ समाज की ओर से ही सामने आता है, जिसे राजनीतिक कारणों से दबा दिया जाता है!
अर्थात् धर्मांतरित मुस्लिम-ईसाई को यदि भविष्य में आरक्षण का लाभ मिल जाता है तो हिंदुओं का SC/ST, OBC और सवर्ण समाज- सभी एक साथ प्रभावित होंगे! साथ ही सत्ता पर ‘धर्मांतरितों’ का अधिकार धीरे-धीरे पूर्ण रूपेण स्थापित हो जाएगा!
संघ- भाजपा का ट्रैक रिकॉर्ड क्या कहता है?
इस मामले में संघ-भाजपा पहले ‘सच्चर कमेटी’ का विरोध, फिर उसका पक्ष लेने जैसे ट्रैक रिकॉर्ड पर चलती दिख रही है! सोनिया की मनमोहन सरकार द्वारा अवैध तरीके से केवल मुस्लिमों को आधार बनाकर बनाई गई ‘सच्चर कमेटी’ का संघ-भाजपा ने विपक्ष में रहते हुए विरोध किया था। 2013 में नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर ‘सच्चर कमेटी’ का विरोध किया था, यह कह कर कि यह केवल मुस्लिम वोट लेने के लिए बनाया गया है, परंतु मार्च 2019 में मोदी सरकार संसद के अंदर ‘सच्चर कमेटी’ के प्रावधानों के क्रियान्वयन की रिपोर्ट पेश कर रही थी! यही नहीं, केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह तक कहा कि चूंकि हिंदू बहुसंख्यक और दबंग है, इसलिए अल्पसंख्यकों खासकर मुस्लिम के अधिकारों का रक्षण जरूरी है। मुस्लिम कमजोर हैं, इसके प्रमाण में ‘सच्चर कमेटी’ की ही रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकर ने अक्षरशः रख दिया था!
अर्थात् गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी सुप्रीम कोर्ट में जिसका विरोध कर रहे थे, प्रधानमंत्री बनने के बाद उसी सुप्रीम कोर्ट में वह अपने पूर्व के स्टैंड से 180 डिग्री पलटते हुए उसके न केवल पक्ष में उतर आए हैं, बल्कि उसके क्रियान्वयन की रिपोर्ट भी संसद में पेश कर दी है!
हिंदू समाज के पास अब विकल्प क्या है?
यदि हिंदू समाज ने अभी भी संघ-भाजपा-मोदी सरकार पर सोशल मीडिया और सड़क पर उतर कर दबाव नहीं बनाया, व्यक्तिवाद-पार्टीवाद-संघवाद में चुप रहा तो भविष्य में अपने निर्दोष बच्चों को फर्जी केसों में हवालात की हवा खिलाने का दोषी वह स्वयं होगा।
साथ ही लोकसभा -विधानसभा में वह धर्मातरितों को वोट देने के लिए विवश हो जाएगा। लोकसभा-विधानसभा में धर्मांतरित मुस्लिम-ईसाई ही तय करेंगे कि सरकार किसकी बने, सरकार किन नीतियों पर चले और किन नीतियों को लागू करे!
दलित-वनवासियों का अधिकार सिकुड़ता चला जाएगा तथा धर्मांतरण और तेजी से बढ़ेगा। अगले 50-💯 साल में भारत का पूरा जनसंख्या घनत्व और उसकी संस्कृति बदल जाएगी, और यह सब होगा एक तथाकथित हिंदूवादी संगठन व पार्टी की ‘अदूरदर्शी सोच’, ‘वोट बैंक’ के लालच और ‘तुष्टिकरण-तृप्तीकरण’ के कारण!
अतः मुझे गाली देने पर समय खर्च करने से अच्छा है हिंदू समाज अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए मोदी सरकार और संघ पर दबाव बनाए। वोट दिया है तो दबाव भी बनाओ ताकि आपकी सरकार आपकी रहे, किसी ‘पासमांदा’ आदि की न हो जाए! धन्यवाद।