सुरेश चिपलूनकर। तीन-चार साल पहले ही ऐसी जमात को मैंने “ज़ोम्बी” नाम दिया था… अब वह धीरे धीरे चरितार्थ होते दिखाई दे रहा है… पिछले पांच-सात साल में ऐसे ज़ोम्बियों की संख्या तेजी से बढ़ी है… आप अनुमान नहीं लगा सकते कि किसी भी राजनैतिक (या जातिवादी) बहस में अचानक कोई पागल उठकर आप पर हमला कर बैठे…
अक्सर कुछ मित्र पूछते हैं कि मैंने धीरे धीरे लगभग सभी व्हाट्स एप्प समूह क्यों छोड़ना शुरू कर दिया है?? उन्हें यही बताना चाहता हूँ कि ऐसे ही ज़ोम्बियों की वजह से… व्हाट्स एप्प के ज़ोम्बी कहने को तो खुद को बुद्धिजीवी कहते हैं, परन्तु उनकी खाल जरा सी खरोंचते ही उनके अंदर का “सॉफ्ट” ज़ोम्बी सामने आ जाता है… और ये (नकाब ओढ़े हुए) जोम्बी आपके चारों तरफ मौजूद हैं, फेसबुक से लेकर मार्केट, स्कूल, अस्पताल और ऑफिसों में भी…
जैसे ही आपने मोदी-भाजपा का विरोध किया, तो सैकड़ों व्हाट्स एप समूहों में बैठे “सोफिस्टीकेटेड जोम्बी” आपके खिलाफ कभी व्यक्तिगत… कभी जातिवादी… कभी आपके व्यवसाय को लेकर… तो कभी निजी चरित्र हनन इत्यादि पर उतर आते हैं… इसलिए ऐसे अंधों से बहस करने की बजाय आप अपने फेसबुक/ट्विटर प्रोफाइल से कोई भी राजनैतिक विवादित बात करने की बजाय चुप रहें, या समूह से निकल लें… (अथवा फेक आईडी से पोस्ट या कमेन्ट करें).
मुझे तो अभी से यह सोचकर हैरानी है कि यदि मान लो… (थोड़ी देर के लिए मान लो)… कि यदि 2024 में मोदी हार गए, या किसी कारणवश पदच्युत हो गए… तो चित्र में जैसे ज़ोम्बी दिखाए गए हैं,,,, अथवा व्हाट्स एप्प पर जैसे खतरनाक किस्म के पगलाए हुए अंधे बैठे हैं, वो लोग क्या कर बैठेंगे??
इसलिए बेहतर यही है कि “कम से कम अगले आठ-दस महीने” शान्ति रखें… कहीं भी कोई पोस्ट और कमेन्ट करने से पहले दस बार सोच लें, शब्दों को चेक कर लें, विवाद होने वाले समूहों से बाहर हो जाएं… ध्यान रहे कहीं पर भी, किसी भी सार्वजनिक स्थान पर, या ऑफिस में राजनैतिक-जातीय चर्चा भूलकर भी न करें… (मैंने फ़िलहाल यह रुख अपना लिया है, यदि कोई राजनैतिक लेखन कर्म करना है, फेक आईडी से करें).
क्योंकि यह “व्यक्तिवादी ज़ोम्बी कौम” आपके साथ कुछ भी कर सकती है… अब इस जमात को विचार भिन्नता, मत भिन्नता, बहस, विवाद, चर्चा, तथ्य, तर्क इत्यादि से कुछ लेनादेना नहीं है