कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस की सरकार बनवाने के लिए ‘पीडी पत्रकारों’ का पूरा झुंड राज्यपाल पर टूट पड़ा है। कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला के चरित्र हनन से लेकर उन्हें संविधान का पाठ पढ़ाने के लिए इंडिया टुडे, टाइम्स ऑफ इंडिया, शेखर गुप्ता, राजदीप सरदेसाई, सागरिका घोष, अरूणपुरी जैसे कांग्रेसी मीडिया हाउस और पत्रकारों ने मोर्चा संभाल लिया है। ये सभी वो पत्रकार हैं, जिनकी निष्ठा न केवल कांग्रेस के प्रति रही है, बल्कि कांग्रेस के भ्रष्टाचार में कई बार इन्होंने सहयोगी की भूमिका भी निभाई है! 2009 में सोनिया गांधी की मनमोहन सरकार को बचाने के लिए ‘कैश फॉर वोट’ का सीडी दबाने वाला राजदीप सरदेसाई हो या फिर देश पर सेना के कब्जे की काल्पनिक पटकथा लिखने वाले शेखर गुप्ता या फिर कोयला खदान में फंसे व्यावसायी का निवेश अपने ग्रुप में लेने वाले अरुणपुरी- इनकी बेचैनी कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनवाने के लिए बढ़ती जा रही है, जिस कारण पत्रकारिता की सारी मर्यादाओं को इन्होंने ताक पर रख दिया है! कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने भी कहा है कि राजनीतिक पार्टियां जो कर रही हैं, करती रहें, लेकिन पत्रकारों व मीडिया हाउसों को अपनी मर्यादा का पालन करना चाहिए!
संविधान क्या कहता है?
पहले बता दूं कि संविधान त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में राज्यपाल को विवेकाधिकार देता है, जो राष्ट्रपति के पास भी नहीं है। त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में संविधान कहता है- 1) राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुला सकते हैं। 2) बहुमत न होने की स्थिति में चुनाव पूर्व के सबसे बड़े गठबंधन को बुला सकते हैं 3) यदि सबसे बड़ी पार्टी और चुनाव पूर्व के सबसे बड़े गठबंधन की ओर से दावा नहीं किया जाता है तो चुनाव के बाद के बाद हुए गठबंधन को सरकार बनाने का आमंत्रण दे सकते हैं और उसे एक निश्चित अवधि में विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं। 4) राज्यपाल को यह विवेकाधिकार है कि वह देखें कि कौन-सी पार्टी या गठबंधन राज्य में स्थायी सरकार दे सकती है। वह उसे सरकार बनाने के लिए आमंत्रित कर सकते हैं और उसे बहुमत साबित करने के लिए एक निश्चित समय सीमा प्रदान कर सकते हैं।
कर्नाटक की वर्तमान परिस्थिति में संविधान की व्याख्या
कर्नाटक की वर्तमान स्थिति पर नजर डालें तो- 1) सबसे बड़ी पार्टी भारतीय जनता पार्टी है। 2) चुनाव पूर्व का कोई गठबंधन ऐसा नहीं है, जिनकी सीटें मिलकर भाजपा से अधिक होती हों। 3) सबसे बड़ी पार्टी के रूप में भाजपा ने दावा कर दिया है, इसलिए चुनाव बाद हुए कांग्रेस-जेडीएस गठबंधन से पूर्व उसे बहुमत साबित करने का अवसर दिया जाना चाहिए। 4) चौधरी चरण सिंह, चंद्रशेखर और स्वयं जेडीएस प्रमुख देवेगौड़ा की छोटी पार्टियों को समर्थन देकर उससे बीच में ही समर्थन वापस लेने का पुराना कांग्रेसी रिकॉर्ड है, इसलिए कांग्रेस और जेडीएस के साथ अस्थायित्व का मसला जुड़ा है, जिसे स्व-विवेकाधिकार के आधार पर राज्यपाल ध्वस्त कर सकते हैं।
इंडिया टुटे और टाइम्स ऑफ इंडिया राज्यपाल को धमकाने के अंदाज में कर रहे हैं बात!
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक बार ट्वीट किया था कि उनका ट्वीट उनका कुत्ता ‘पीडी’ करता है। यानी राहुल गांधी के विचारों को ‘पीडी’ शब्द देता है। ऐसे ही ‘पीडी पत्रकारों’ से यह मीडिया भरी पड़ी है, जो सोनिया और राहुल गांधी के लिए संवैधानिक मर्यादा तक को ताक पर रखने पर आमदा रहे हैं!
इंडिया टुडे ग्रुप और उसके मालिक अरुणपुरी की गुजरात चुनाव से लेकर कर्नाटक चुनाव तक कांग्रेस के नेताओं के साथ गुप्त बैठकों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। अरुणपुरी अपने एक संपादक राहुल कंवल को साथ-साथ लिए कांग्रेस के पक्ष में घूम रहे हैं और जेडीएस नेता व देवगौड़ा के बेटे कुमारस्वामी को ‘किंग’ के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं!
People of #Karnataka want me to become 'king', not 'kingmaker', says JDS leader HD Kumaraswamy#ITVideo
More videos: https://t.co/Nounxo6IKQ pic.twitter.com/kBM1L0pekt
— India Today (@IndiaToday) May 16, 2018
यह तब भी जायज होता, लेकिन इंडिया टुडे ग्रुप ने तो कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला को पूर्व में गुजरात भाजपा का संकटमोचक करार देकर एक तरह से यह साबित करने का प्रयास किया है कि राज्यपाल कनार्टक में भाजपा के लिए बैटिंग कर रहे हैं। जबकि अभी राज्यपाल ने अपना कोई निर्णय दिया ही नहीं है। यानी यह पहले से राज्यपाल पर दबाव बनाने का प्रयास है!
Vala, who has earned a reputation of a crisis manager in the Gujarat unit of the BJP, was made state party chief after the rebellion by Shankarsinh Vaghela in the mid-90s that resulted in the fall of Keshubhai Patel government.#ResultOnKarnatakahttps://t.co/IvY2yupu0J
— India Today (@IndiaToday) May 15, 2018
यह ठीक है कि वजुभाई वाला पहले गुजरात में कद्दावर भाजपा नेता रहे हैं, लेकिन यह भी सच है कि राज्यपाल का पद आजादी के बाद से ही राजनैतिक है। 2004 में सोनिया गांधी ने सत्ता संभालते ही वाजपेयी सरकार द्वारा नियुक्त सभी राज्यपालों को बदल दिया था, लेकिन जब इसी अरुणपुरी की ओर से एक सवाल किसी राज्यपाल को लेकर नहीं उठाया गया,क्यों? यही काम TOI ने भी किया है और इन दोनों समूहों ने यह साबित करने का प्रयास किया है कि कर्नाटक के राज्यपाल भाजपा कार्यकर्ता हैं, जबकि सच यह है कि संविधान से इतर राज्यपाल भी नहीं जा सकते हैं, अन्यथा सुप्रीम कोर्ट उन्हें आईना दिखा सकता है।
Karnataka governor Vajubhai Vala bound by SC order to call Congress-JD(S)? https://t.co/6sOGvJnAsg
— TOI India (@TOIIndiaNews) May 16, 2018
टाइम्स ऑफ इंडिया ने तो राज्यपाल वजुभाई वाला को एक तरह से धमकाने के अंदाज में लिखा है कि वजुभाई वाला कांग्रेस-जेडीएस को आमंत्रित करने के लिए बाध्य हैं! टाइम्स ऑफ इंडिया 1994 के बोम्मई मामले और 2006 के बिहार मामले पर सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग का हवाला दे रहा है, लेकिन सच यह है कि रूलिंग में यह कहीं नहीं लिखा है कि राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को नहीं बुला सकते, जैसा कि संविधान कहता है। बोम्मई केस में तो साफ-साफ सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि चुनाव बाद समान विचारधारा के दलों का गठबंधन किसी तरह अनुचित नहीं है! जबकि आज कर्नाटक के परिस्थिति में देखें तो कांग्रेस और जेडीएस दोनों एक-दूसरे के खिलाफ न केवल चुनाव लड़े हैं, बल्कि एक-दूसरे पर जमकर कीचड़ भी उछाला है! फिर कहां हुई समान विचारधारा?
शेखर गुप्ता, वेणु, राजदीप सरदेसाई और सागरिका घोष की कांग्रेस के लिए छटपटाहट देखिए!
प्रो-कांग्रेसी शेखर गुप्ता अपने वेब ‘दप्रिंट’ के माध्यम से राज्यपाल को कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री पद के लिए आमंत्रित करने की सलाह पेश कर रहे हैं।
Why the Karnataka Governor must invite HD Kumaraswamy to be Karnataka chief minister. @DilliDurAst Shivam Vij’s opinion: https://t.co/s2KWgv1vyk
— Shekhar Gupta (@ShekharGupta) May 16, 2018
तो सागरिका बोम्मई मामले के केवल एक पक्ष को उजागर कर कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना रही है।
On SR Bommai in R Prasad case, SC held: "if a political party with other political party stakes a claim and satisfied on majority…the Governor cannot refuse on a subjective assessment that majority cobbled by unethical means…Governor is NOT an autocratic political ombudsman"
— Sagarika Ghose (@sagarikaghose) May 16, 2018
इसी तरह सागरिका के पति और पत्रकारिता में हर तरह के अनैतिक आचरण को अपनाने वाले राजदीप सरदेसाई भाजपा को नैतिकता का पाठ पढ़ाते हुए कांग्रेस-जेडीएस के पक्ष में उतरे हुए हैं।
If the BJP wants to show they are a truly value based party with a diff, they should allow JDS-Cong to form a Govt, let it collapse under its own contradictions,then return to power with a clear majority. Any other step now will be an invite to horse trading. #ResultOnKarnataka
— Rajdeep Sardesai (@sardesairajdeep) May 16, 2018
वहीं चिदंबरम के बेहद करीबी रहे और लगातार फेकन्यूज चलाने के आरोपों से घिरे ‘द वायर’ के एम.के वेणु फिर से फर्जीवाड़ा करते हुए बिना सबूत भाजपा पर विधायकों को खरीदने के लिए चारों ओर नोट बांटने का आरोप मढ़ने पर लगे हैं। स्वाभाविक है, इनका मालिक चिदंबरम जो घिरा है! है न वेणू?
Just look at the kind of cash being thrown around by BJP in Karnataka. It is obscene. After demonetisation BJP leadership said a dozen times that reform of political funding soon. What we get is Reddy brothers managing finances. Sham!
— M K Venu (@mkvenu1) May 16, 2018
गोवा और मणिपुर का उदाहरण अलग है
40 विधानसभा वाली गोवा में 2017 में हुए चुनाव में कांग्रेस को जहां 16 सीटें आयी थीं, वहीं भाजपा को 14 सीटें आयी थी, जबकि अन्य के खाते में 10 सीटें थी। गोवा कांग्रेस की ओर से राज्यपाल के पास सरकार बनाने के लिए प्रस्ताव ही नहीं भेजा गया था। तब गोवा कांग्रेस के प्रभारी दिग्विजय सिंह का समुद्र स्नान की तस्वीर खूब वायरल हुई थी। गोवा कांग्रस ने भी देरी के लिए दिग्विजय सिंह पर ही आरोप लगाया था। गोवा कांग्रेस ने जब सरकार बनाने का प्रस्ताव राज्यपाल मृदुला सिन्हाजी को दिया ही नहीं तो उन्होंने सबसे पहले प्रस्ताव लेकर पहुंची भाजपा और उसके गठबंधन को सरकार बनाने और बहुमत साबित करने का अवसर प्रदान कर दिया।
60 सदस्यीय मणिपुर में कांग्रेस को 28 सीटें मिली, जो बहुमत से तीन सीटें दूर थी, जबकि भाजपा ने 21 सीटें जीतीं थी, लेकिन उसके गठबंधन के पास 32 सीटें थीं जो बहुमत से अधिक थी, इसलिए राज्यपाल नजमाहेबतुल्ला ने भाजपा को सरकार बनाकर बहुमत साबित करने का अवसर प्रदान कर दिया।
कांग्रेस और पीडी पत्रकारों का पाखंड देखिए
कांग्रेस और उसके पीडी पत्रकारों के पास इसका कोई जवाब नहीं है कि वह गोवा और मणिपुर में तो कह रहे थे कि सबसे बड़ी पार्टी को पहले सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया जाए, लेकिन आज यही लोग कर्नाटक में कह रहे हैं कि सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित न किया जाए? इसी से कांग्रेस और उसके पीडी पत्रकारों का पाखंड उजागर होता है!
Congis have no answer to Governor calling BJP as single largest. Their example of Goa goes against them because they had proposed the largest single to be invited first
— Subramanian Swamy (@Swamy39) May 16, 2018
URL: journalists got pressure on karnataka governor in favour of congress-jds alliance
Keywords: karnataka election, congress media nexus, rajdeep sardesai, Shekhar Gupta, sagarika ghose,