संदीप देव। संघ प्रमुख का हालिया बयान सुनिए! जाति उस महाभारत में ढूंढ रहे हैं, जिसमें माता सत्यवती एक मल्लाह कन्या होते हुए भी हस्तिनापुर की महारानी बनी। महाभारत के रचनाकार वेदव्यास की मां और कौरवों और पांडवों की दादी बनी।
इनको शायद कर्ण का सूत पुत्र होना याद आ रहा है तो बता दूं कि सूत का मतलब रथ चालक होता है। उसके साथ छुआछूत या जानवरों जैसा व्यवहार नहीं होता था, जैसा संघावत चर्चा कर रहे हैं! जानवरों जैसा व्यवहार होता तो संजय को दिव्य चक्षु नहीं मिलता। वह धृतराष्ट्र के बगल में बैठकर महाभारत का सारा वृत्तांत उन्हें नहीं सुना रहे होते!
फिर इनके चमचे महाभारत से एकलव्य का उदाहरण दे सकते हैं। तो एकलव्य के पिता हिरण्यधनु निषाद उस समय के सबसे शक्तिशाली मगध राज्य के सेनापति थे। उस समय जातिवाद होता तो एक निषाद कभी सेनापति नहीं बन सकते थे, लेकिन बने।
द्रोणाचार्य हस्तिनापुर के प्रतिद्वंद्वी राज्य मगध के सेनापति के पुत्र को अर्जुन सदृश्य धनुर्धर नहीं बना सकते थे, इसलिए अंगूठा मांग लिया। यह कूटनीति थी, न कि जातिवाद!
बिना धर्म शास्त्र को पढ़े कभी यह व्यक्ति महाभारत में समलैंगिकता ढूंढ लेता है, तो कभी जातिवाद!

मुगल बादशाह अकबर ने मैला ढोने वाली मेहतर जाति का निर्माण किया, उस पर यह कभी नहीं बोलेगा, क्योंकि मुगलों से ही इनका DNA मिलता है!
स्वतंत्रता के बाद आप इतिहास उठाइए, आपको हिंदू समाज को सबसे अधिक जातियों में बांटने का संवैधानिक निर्णय इसी संघ से निकली पार्टी के सत्तासीन या इनके सहयोग से चली सत्ता के समय दिखेगा। जरा उदाहरण देखिए:-
१) मंडल कमीशन का निर्माण (1979) जनसंघ-जनता पार्टी की सरकार।
२) मंडल कमीशन लागू(1990) भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार।
३) मंडल कमीशन के जरिए असंवैधानिक रूप से मुस्लिम और ईसाई आरक्षण का रास्ता खोला (1990) भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार।
३) SC/ST लागू (1989) भाजपा समर्थित वीपी सिंह की सरकार।
४) SC/ST act की सूची में 22 से बढाकर 47 अपराध शामिल किया(2015 ) मोदी सरकार

५) SC/ST पर सुप्रीम कोर्ट का निर्णय पलटा(2018) मोदी सरकार।

६) राज्यों के OBC सूची अपडेट करने के अधिकार को खत्म करने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को पलटा(2021) मोदी सरकार।
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