टीवी 9 भारतवर्ष के सीईओ बरुन दास ने सस्पेंडेड टीआरपी रेटिंग्स बहाल करने के लिए एक पत्र देश के सूचना व प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर को भेजा है। बरुन अपने पत्र के विषय में ही लिख रहे हैं कि समाचार चैनलों की बार्क टीआरपी रेटिंग्स पर लगाया गया प्रतिबंध जल्दी से जल्दी उठा लिया जाए।
बरुन मंत्री जी को अपने पत्र में याद दिलाते हैं कि टीआरपी रेटिंग्स निलंबित कर दिए जाने से देश के सैकड़ों चैनलों के साथ समस्या खड़ी हो गई है। वे लिखते हैं कि ये निलंबन हद से हद दो या तीन माह का होना चाहिए था लेकिन अब चार माह बीत चुके हैं। बरुन और उनके जैसे कई लोगों की चिंता ये है कि न तो बार्क और न ही सरकार ऐसा कोई संकेत दे रही है कि रेटिंग्स भविष्य में कब बहाल की जाएगी।
वे इस बात से चिंतित हैं कि बार्क जैसी महत्वपूर्ण संस्था पर न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन का नियंत्रण है। बरुन दास की चिंता को गंभीरता से लेने की ज़िम्मेदारी बार्क और सरकार की है। जिस समय रिपब्लिक भारत रेटिंग को लेकर विवादों में आया था, तब सरकार ने ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) द्वारा दी जाने वाली न्यूज़ रेटिंग्स दो या तीन सप्ताह के लिए निलंबित कर दी थी।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने रेटिंग्स सस्पेंड करने के लिए न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन की सलाह मानी। सूचना व प्रसारण मंत्रालय एक ऐसी संस्था की बात मानती है, जो एक निजी संस्था है। इसका सरकार से कोई लेना-देना नहीं है। बार्क को देखे तो ये TRAI (Telecom Regulatory Authority of India) की सलाह पर काम करती है।
एक शासकीय नियंत्रण वाली संस्था को एक निजी संस्था नियंत्रित करती है और इस निजी संस्था के हित भी संदिग्ध हैं। भारतवर्ष के सीईओ बरुन ने वाजिब सवाल उठाए हैं। उन्होंने पत्र में लिखा है कि बार्क ने सिर्फ न्यूज़ चैनलों की रेटिंग ही निलंबित क्यों की, बाकी चैनलों की क्यों नहीं। प्रश्न सरकार से है कि घोटाला तो उन चैनलों के जरिये भी हो रहा होगा तो दंड केवल समाचार चैनलों को क्यों दिया जा रहा है।
बरुन के अनुसार यदि वर्तमान व्यवस्था दोषपूर्ण है तो अन्य मनोरंजक चैनलों के लिए उसे यथावत क्यों रखा जा रहा है। इस मुद्दे को लेकर बरुन ने न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है। उल्लेखनीय है कि न्यूज़ ब्रॉडकास्टिंग एसोसिएशन के बोर्ड ऑफ़ डाइरेक्टर्स के अध्यक्ष इंडिया टीवी के मालिक रजत शर्मा हैं। इस समूह में आजतक, एबीपी और ज़ी न्यूज़ जैसे चैनल शामिल हैं।
एक शासकीय नियंत्रण वाली संस्था पर एक गैर शासकीय संस्था का नियंत्रण सरकार मौन होकर कैसे देख रही है। क्या इस सरकार का अपना विवेक नहीं है। सूचना व प्रसारण मंत्रालय को देखना चाहिए कि टीवी चैनलों के मालिकों की संस्था बार्क के मामले में दखल न दें। सरकार की चुप्पी के चलते बार्क की रेटिंग्स अब तक बहाल नहीं हो सकी है।
रेटिंग्स न आने के कारण विज्ञापनों को लेकर बड़ा घालमेल हो रहा है। बरुन ने अपने पत्र में सोते प्रकाश जावड़ेकर को ये कहकर जगाने का प्रयास किया है कि उनका मार्केट फीडबैक टीआरपी निलंबन को लेकर बड़ी भयानक तस्वीर पेश कर रहा है। बरुन के मुताबिक टीआरपी निलंबन के बाद विज्ञापनदाता लगातार संशय की स्थिति में है।
इसके कारण समाचार चैनलों का रेवेन्यू प्रतिशत घटता जा रहा है। न्यूज़ चैनलों का बाज़ार तबाह होने को है तो सूचना-प्रसारण मंत्रालय अब भी नींद में है। इस मंत्रालय की भयंकर लाचारी इससे स्पष्ट होती है कि वह रेटिंग्स के मामले में समाचार चैनलों के मालिकों की निजी संस्था पर निर्भर है। ऐसी बेचारगी, देखी कभी?
Javdekar is lutyen n sold out to them
सही बात