व्यक्तिवाद में राष्ट्रद्रोह की सीमा लांघ चुके कुछ राष्ट्रद्रोहियों (मास्टरस्ट्रोक प्रजाति) को मैं कहना चाहता हूं कि जरा सर्च कर पढ़ो:-
१) वाजपेई जी को उनके सुरक्षा सलाहकार ब्रजेश मिश्रा ने कैसे डुबोया था? वो किस देश के खुफिया एजेंसी के लिए काम कर रहे थे? IC-814 और कारगिल युद्ध, मुशर्रफ-वाजपेई डॉक्ट्रिन में उनकी क्या भूमिका थी? और सोनिया की सरकार ने 2011 में उनको पद्म विभूषण पुरस्कार क्यों दिया था?
२) लालकृष्ण आडवाणी के सलाहकार सुधींद्र कुलकर्णी कितने बड़े पाकिस्तान हितैषी थे, अब यह बात किसी से छुपी नहीं है। सुधींद्र कुलकर्णी ने ही जिन्ना की मजार पर आडवाणी को बर्बाद किया था।
३) मनमोहन सिंह के सुरक्षा सलाहकार की अमेरिका परमाणु संधि में क्या भूमिका रही थी? 2008 में मुंबई पर जब हमला हुआ था तो भारत के गृहमंत्रालय के अधिकारियों को पाकिस्तान में बंधक बनवाने का मास्टरमाइंड कौन था?
इसलिए मुझे ज्ञान देने की जगह देशद्रोहियों पहले खुद ज्ञान ले लो कि भारत के बड़े-बड़े पद आजादी के बाद से ही कैसे कंप्रोमाइज रहे हैं? और यह मैं आज नहीं, बल्कि ‘कहानी कम्युनिस्टों की’ में तब के रक्षामंत्री के लिए भी दस्तावेज पेश कर साबित कर चुका हूं।
दो पैसे की अक्ल नहीं, और ढोल पीटने आ जाते हैं! व्यक्ति विरोध में जैसे ‘पंचमक्कार’ देशद्रोही हो चुके हैं, वैसे ही व्यक्तिवाद में ‘मास्टरस्ट्रोक प्रजाति’ भी देशद्रोह की सीमा लांघ चुकी है।
‘मास्टरस्ट्रोकवादियों’ तुम ‘षठ्मक्कारों’ की एक नयी प्रजाति हो, जिनसे देश और धर्म दोनों को उसी तरह खतरा उत्पन्न हो चुका है, जैसे पंचमक्कारों के कारण है!