राम-मंदिर को कभी न चाहा
लोकतंत्र के मुख्य हैं दुश्मन , अब्बासी – हिंदू व ई वी एम ;
अब्राहमिक अब्बासी – हिंदू , धर्म मिटाने का है एम ।
अब्बासी-हिंदू खूंखार-भेड़िया , हिंदू-जनता बनी है भेंड़ ;
हिंदू – धर्म मिटा देने को , मार रहा है देश की रेंड़ ।
इसीलिये कमजोर कर रहा , देश की सेना और पुलिस ;
सेना से माफी मंगवाता , शक्तिहीन करवायी पुलिस ।
आतंकी – बर्बर – हत्यारे , पूरे देश पर हैं हावी ;
यदि हालात नहीं बदले तो , पूर्ण – विनाश अवश्यम्भावी ।
अब्बासी-हिंदू का यही लक्ष्य है , भारत से हिंदू मिट जाये ;
संतुष्टीकरण इसी से करता , धर्मांतरित सब हो जायें ।
टैक्स बढ़ाकर हिंदू लूटा , कब्जा कर मंदिर लूटा ;
तीर्थ – स्थल को नष्ट कर रहा , जगह – जगह मंदिर टूटा ।
राम-मंदिर को कभी न चाहा , हरदम उसमें टांग अड़ाई ;
पर जब कोर्ट का निर्णय आया , तब भी इसकी बन आई ।
खुद ही सर पर सेहरा बांधा , खुद ही पीठ थपथपायी ;
महाभ्रष्ट सरकारी – बाबा , उनसे हॉंमी भरवायी ।
राम – मंदिर में लगा जो पैसा , सारा – धन हिंदू का है ;
पर म्लेच्छों को काम बंट रहा , गौ भक्षक पर लुटता है ।
धर्म कहॉं ऐसे मंदिर में ? जहॉं धर्म से काम न हो ;
राजनीति का बना अखाड़ा , मर्यादा का ध्यान न हो ।
शास्त्रविरुद्ध सब काम हो रहे , केवल वोटों का चक्कर है ;
धर्म से कुछ न लेना-देना , हिंदू ! कैसा घनचक्कर है ?
राम – नाम से लूट कर रहे , नेता बाबा सब लूट रहे ;
बढ़-चढ़कर सब हाथ मारते , कितने मंदिर टूट रहे ?
राम-मंदिर तो बनना ही था , सुप्रीम-कोर्ट का निर्णय था ;
उसको लपक रहा वो नेता , जिसका कुछ न समर्पण था ।
भारत का दुर्भाग्य यही है , हर श्रेय अयोग्यों को मिलता ;
कोठारी-बंधु जैसे बलिदानी,उनको कोई सम्मान न मिलता ।
ई वी एम से जीतते आये , भारत में पाखण्डी – नेता ;
लूटमार की होड़ मची है , राम – मंदिर भी लूटते नेता ।
हिंदू ! कब तक मूर्ख बनोगे ? धर्म से तुम खिलवाड़ सहोगे ;
राम-नाम पर धोखा देता , कब-तक उसको सत्ता दोगे ?
हिंदू ! अच्छा नेता चुनना , अच्छे दल की सरकार बनाओ ;
रामभक्त हनुमान की तरह “ एकम् सनातन भारत” लाओ ।
“जय सनातन-भारत”,रचनाकार:ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”