संदीप देव । संघ प्रमख मोहन भागवत संघ की पत्रिका पांचजन्य एवं आर्गेनाइजर तथा उनके संपादक हितेश शंकर एवं प्रफुल्ल केतकर के विरुद्ध महाभारत काल के सगे भाईयों हंस-डिम्भक को समलैंगिक कहने/छापने व भगवान कृष्ण को अफवाहबाज बताने की जो शिकायत मैंने दिल्ली के बिंदापुर थाने में दर्ज कराई थी, उस पर कार्रवाई न होता देख उसे दिल्ली पुलिस के कमिश्नर को स्पीड पोस्ट कर दिया है। वहां से भी कोई रिस्पांस नहीं होने पर मैं अदालत की शरण लेने को बाध्य होऊंगा।
इतनी क्या जिद है इनकी कि हिंदू धर्मग्रंथों, हिंदू चरित्रों और भगवान श्रीकृष्ण पर अनर्गल प्रलाप करके भी यह हिंदू समाज से क्षमा नहीं मांगना चाहते? एक खंडन तक नहीं छापना चाहते?
वहीं मोहन भागवत ने इसी साक्षात्कार में कथित रूप से केवल यह कह दिया था कि हिंदू समाज के अंदर की आक्रामकता हजार साल के मुस्लिम शासन के कारण है, तो इसके लिए संघ के तीन नेता इंद्रेश कुमार, रामलाल एवं कृष्ण गोपाल दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग के घर मुस्लिम समाज के कुछ प्रतिनिधियों के समक्ष सफाई पेश करने चले गये थे!
हद तो यह कि मुस्लिम समाज के समक्ष पांचजन्य को जोर-जोर से पढ़कर सुनाया गया और सफाई पेश की गई कि संघ प्रमुख का आशय गलत नहीं था, मीडिया ने उनके बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है।
मुस्लिम समाज के समक्ष सफाई, और हिंदू महाभारत-पुराण एवं हिंदू सगे भाईयों पर ‘समलैंगिकता’ जैसा झूठा आरोप लगाने पर भी खंडन का एक शब्द नहीं? यह किस तरह का आचरण है इस ‘तथाकथित हिंदू संगठन’ का?