संदीप देव ।हमें अपने बच्चों को समलैंगिकता जैसी अप्राकृतिक कुकृत्य से बचाने के लिए अपने धर्मग्रंथों का सही परिप्रेक्ष्य सामने रखना होगा, न कि भ्रमित करने वाला परिप्रेक्ष्य, जैसा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत जी ने रखा है।
मैंने भागवत जी को Twitter पर टैग करते हुए आग्रह किया है कि वह अपने बयान वापस लें। साथ ही पांचजन्य एवं आर्गेनाइजर के संपादक द्वय को हंस-डिम्भक की कथा वाला हरिवंश पुराण स्कैन करा कर WhatsApp भी किया है कि वह इसका खंडन करते हुए सही कथा को भी प्रकाशित कर एक मीडिया के धर्म का निर्वहन करें।
हो सकता है कि संघ की शोध टीम ने गलत संदर्भ भागवतजी को थमा दिया हो, जैसा कि कुछ लोग कह रहे हैं! यदि ऐसा है तो सही संदर्भ और कथा मैंने भेज दी है, वह इसे प्रकाशित करें। यह बड़प्पन ही होगा। क्षमा मांगने से कोई छोटा नहीं होता। आखिर में कानून का रास्ता तो खुला है ही!
आप सब निम्न दो ट्वीट को RT कर दबाव बना सकते हैं ताकि सही संदर्भ समाज के सामने आ सके और हिंदू समाज की अगली पीढ़ी गुमराह होने से बच सके।
मैं सिर्फ अपने ऋषि ऋण का निर्वहन कर रहा हूं। धन्यवाद 🙏
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