श्वेता पुरोहित। ग्रहों के आधिपत्य वाले लोग और पदार्थ ,सूर्य के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
चम्पोदुम्बरकौशाम्बिचेदिविन्ध्याटवीकलिङ्गाश्च । पुण्ड्रा गोलाङ्गूल श्रीपर्वतवर्द्धमानानि ॥ इक्षुमतीत्यथ तस्करपारतकान्तारगोपबीजानाम् । तुषधान्यकटुकतरुकनकदहनविषसमरशूराणाम् ॥ भेषजभिषक्चतुष्पदकृषिकरनृपहिंस्रयायिचौराणाम्। व्यालारण्ययशोयुततीक्ष्णानां भास्करः स्वामी ॥
अर्थात्:
गोपाल जाति, बीज पदार्थ, मोटे अनाज और भूसी निकालने से प्राप्त अनाज (गेहूँ, ज्वार, बाजरा, मोटे चावल), मिर्च आदि तीखे पदार्थ, पेड़, सोना, अग्नि पदार्थ, विषैले पदार्थ एवं रासायनिक पदार्थ, योद्धा या सैनिक बल, चिकित्सा, चिकित्सक, खेती, पशु, राजा, हिंसक लोग, आक्रामक स्वभाव वाले या युद्ध में पहल करने वाले लोग, चोर, सर्प, निर्जन देश, प्रसिद्ध लोग, तीखे पदार्थ या तीक्ष्ण नामक प्रदेश ।
इन सब पदार्थों और लोगों के स्वामी सूर्य हैं।
चंद्रमा के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
मधुररसकुसुमफलसलिललवणमणिशङ्खमौक्तिकाब्जानाम् ।
शालियवौषधिगोधूमसोमपाक्रन्दविप्राणाम् ॥ सितसुभगतुरगरतिकरयुवतिचमूनाथभोज्यवस्त्राणम् ।
शृङ्गिनिशाचरकार्षकयज्ञविदां चाधिपश्चन्द्रः ॥
अर्थात्:
मधुर रस के पदार्थ (सभी फल, फूल, खाद्य पदार्थ) जल, नमक, मणिमुक्ता, शंख, पानी से उत्पन्न पदार्थ, अच्छे अनाज, जौ, औषधियाँ, गेहूँ, यज्ञकर्ता, अपेक्षाकृत मध्यम बल वाले राजा और ब्राह्मण ।
सफेद रंग के पदार्थ, चाँदी, लोकप्रिय जन, घोड़े, सुन्दर व प्यारे जीव प्राणी, स्त्रियाँ, सेनापति, खाने के बने हुए पदार्थ, कपड़े, सींग वाले जानवर, रात्रिचर जीव, कृषिकर्त्ता, यज्ञवेत्ता – इन सबका अधिपति चन्द्रमा है।
इन सब पदार्थों और लोगों के स्वामी चंद्र हैं।
मंगल के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
कुन्तलकेरलदण्डककान्तिपुरम्लेच्छसङ्करिणः ॥
नागरकृषिकरपारतहुताशनाजीविशस्त्रवार्तानाम् ।
आटविकदुर्गकर्वटवधिकनृशंसावलिप्तानाम् ॥
नरपतिकुमारकुञ्जरदाम्भिकडिम्भाभिघातपशुपानाम् ।
रक्तफलकुसुमविद्रुमचमूपगुडमद्यतीक्ष्णानाम् ॥
कोशभवनाग्निहोत्रिकधात्वाकरशाक्यभिक्षुचौराणाम् ।
शठदीर्घवैरबह्नाशिनां च वसुधासुतोऽधिपतिः ॥
अर्थात्:
नागरिक लोग, किसान, पारत, अग्निजीवी लोग, शस्त्रजीवी, जंगली जातियाँ, किले, कर्वटपुर, कसाई, पापी लोग, चंचल मन वाले लोग।
राजा, बालक, हाथी, गर्वीले लोग, भ्रूण नाशकर्ता अथवा कठोर भाषण करने वाले, पशुपालक, लाल रंग के पदार्थ, मूँगा, सेनापति, गुड़, मदिरा, तीखे पदार्थ ।
भण्डारगृह, अग्निहोत्र करने वाले, धातुओं का संग्रह व संस्कार करने वाले, लाल गेरुए वस्त्रों वाले या बौद्ध सन्यासी, भिक्षु, चोर, स्वार्थी व शठ लोग, लम्बी शत्रुता रखने वाले, अधिक खाने वाले- इन सबका स्वामी मंगल है।
बुद्ध के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
सौराष्ट्रसेतुजलमार्गपण्यबिलपर्वताश्रयिणः ॥
उदपानयन्त्रगान्धर्वलेख्यमणिरागगन्धयुक्तिविदः ।
आलेख्यशब्दगणितप्रसाधकायुष्यशिल्पज्ञाः ॥
चरपुरुषकुहकजीवकशिशुकविशठसूचकाभिचाररताः ।
दूतनपुंसकहास्यज्ञभूततन्त्रेन्द्रजालज्ञाः॥
आरक्षकनटनर्तकघृततैलस्नेहबीजतिक्तानि ।
व्रतचारिरसायनकुशलवेसराश्चन्द्रपुत्रस्य ॥
अर्थात्:
सुराष्ट (सौराष्ट्र), पुल मार्ग, सड़क आदि मार्ग, पानी के रास्ते व यात्री बिक्री की चीजें, पर्वतवासी लोग, पानी के यन्त्र, गान विद्या, संगीत विद्या, लेखन, जौहरी (मणि परीक्षक), रंगने की विद्या के निष्णात, चित्रकार डिजायनर, गन्ध निर्माता, रेखाचित्र विशेषज्ञ, व्याकरण व भाषा के विशेषज्ञ, गणित विद्या, उक्त सब कार्य व ये कार्य करने वाले लोग, जीवन रक्षक कार्य करने वाले या जीवन रक्षक औषधि निर्माण, शिल्पी (कुशल मिस्त्री, दस्तकार आदि), जासूस, बनावटी अदाओं से जीवन निर्वाह करने वाले, बच्चे, कवि, शठ अर्थात् स्वार्थी लोग, चुगलखोर, खतरनाक तान्त्रिक क्रियाएँ करने वाले, सन्देश वाहक दूत, नपुंसक लोग, हँसने हँसाने वाले, उपहास कुशल लोग, भूतप्रेत सम्बन्धी क्रिया करने वाले, जादूगर, हाथ की सफाई दिखाने वाले, सुरक्षाधिकारी (पुलिस या अर्ध सैनिक बल), अभिनेता, नर्तक, घी, तेल, अन्य चिकने पदार्थ (स्नेह) अर्थात् तिल व सरसों के तेल के अलावा बादाम, अखरोट, मूंगफली आदि के तेल रिफाइन्ड तेल आदि, बीज, तीखे स्वाद वाले पदार्थ, व्रती नियमधारी लोग, रसायन (Chemicals) विशेषज्ञ, खच्चर आदि भार वाहक घोड़े 8- ये सब बुध के आधिपत्य में हैं।
गुरु के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
त्रैगर्तपौरवाम्बष्ठपारता वाटधानयौधेयाः । सारस्वतार्जुनायनमत्स्यार्द्धग्रामराष्ट्राणि ॥ हस्त्यश्वपुरोहित भूपमन्त्रिमाङ्गल्यपौष्टिकासक्ताः । कारुण्यसत्यशौचव्रतविद्यादानधर्मयुताः ॥ पौरमहाधनशब्दार्थवेदविदुषोऽभिचारनीतिज्ञाः । मनुजेश्वरोपकरणं छत्रध्वजचामराद्यं च ॥ शैलेयकुष्ठमांसीतगररससैन्धवानि वल्लीजम् । मधुररसमधूच्छिष्टानि चोरकश्चेति जीवस्य ॥
अर्थात्:
त्रिगर्त, पौरव देश, अम्बष्ठ, पारत, वाटधान, यौधेय, सरस्वती नदी का प्रदेश, अर्जुनायन, मत्स्य देश का आधा भाग, हाथी, घोड़ा, पुरोहित व शास्त्रज्ञ लोग, राजा, मन्त्री, विवाहादि मंगल कार्यों में सहयोगी जन, दयालु पुरुष, सत्यवादी, पवित्र व सत्य आचरण करने वाले, व्रती तपस्वी, विद्वान् उच्च शिक्षित लोग, दानी व धार्मिक।
नागरिक लोग, बड़े धनाढ्य, शब्द व भाषा के विशेषज्ञ, अर्थ के विशेषज्ञ (आचार्य, व्याख्याता, निष्कर्ष दाता या अर्थ शास्त्री) वेद के विद्वान्, अभिचार (तान्त्रिक क्रियाएँ) में कुशल, नीति के जानकार, राजसी चीजें, छत्र, झंडा, ध्वज आदि, व्यजन चंवर आदि पहाड़ों पर पैदा होने वाली खुशबूदार चीजें, गेरु आदि कूट (जड़ी) मांसीतगर (खुशबूदार वनस्पति), नमक, साबुत दालें आदि, मीठे पदार्थ, मोम आदि सब पदार्थ बृहस्पति के अधीन हैं।
तगर :
अगर तगर अगर की तरह का खुशबूदार पदार्थ। कई रंगों में मिलता है। पिंड तगर व तगर इसके भेद हैं।
मांसी :
जटामांसी नाम से प्रसिद्ध है। त्वचा रोगों में काम आती है। बालछड़ नाम से भी मिलती है। बालछड़ भी कहते हैं।
शैलय :
पत्थर के फूल नाम से बिकता है। दवाओं में प्रयुक्त होता है। कमेला नाम प्रसिद्ध है।
कुष्ठ :
कूट नाम से प्रसिद्ध जड़ी है। कड़वा व मीठा दो तरह का होता है।
शुक्र के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
रवरजताकरकुञ्जरतुरगमहामात्रधनयुक्ताः ॥
सुरभिकुसुमानुलेपनमणिवज्ञविभूषणाम्बुरुहशय्याः।
वरतरुणयुवतिकामोपकरणपृष्टान्त्रमपुरभुजः ॥
उद्यानसलिलकामुकयशःसुखौदार्यरूपसम्पन्नाः ।
विद्वदमात्यवणिग्जनघटकृच्चित्राण्डजास्त्रिफलाः॥
कौशेयपट्टकम्बलपत्रौर्णिकरोघ्रपत्रचोच. नि ।
जातीफलागुरुवचापिप्पल्यश्चन्दनं च भृगोः ॥
अर्थात्:
गाड़ी, रथ आदि वाहन, चाँदी, खज़ाना, कोष, बैंक, मुद्रा प्रसार स्थान, हाथी, छोड़े, बड़े वाहनपति, धनाढ्य लोग।
सुगन्धपदार्थ, फूल, लेप, मालिश आदि के पदार्थ (मरहम, बाम आदि) मणियां (रत्न) हीरा, गहने, कमल, बिस्तर, सुन्दर कीमती पलंग व बिस्तर आदि, प्रधान पुरुष, जवान लड़के लड़कियाँ, सजने सँवरने व आकर्षक दिखने के सभी उपकरण, कोमल व कम खाने वाले लोग, मीठा पसन्द करने वाले लोग ।
बाग बगीचे आदि मनोरंजक भ्रमण स्थान, पानी, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण भावना, यशस्वी लोग, सुखी लोग, उदार मन वाले, सुन्दर लोग, विद्वान् मन्त्रि वर्ग, छोटे व मझोले व्यापारी (ट्रेडर्स) बर्तन बनाने वाले, अनेक प्रकार के पक्षी, त्रिफला (आयुर्वेदिक औषधि) ।
रेशमी व चमकीले सुन्दर वस्त्र, कम्बल, कोमल व कीमती ऊन, रोध, तेजपाल ज्ञारियल, जातीफल (जायफल) अगर, बचा, पिप्पला कोमल व कीमती का शुक के आधीन हैं।
पिप्पली :
पीपली या पीपल के नाम से मिलती है। गर्म तासीर है। इसके कई भेद हैं। पीपला मूल, गज पिप्पली, छोटी बड़ी पीपल आदि।
वचा :
बच नाम से उपलब्ध है। रंग भेद से दूधिया बच या बच नाम हैं। प्रायः मस्तिष्क रोगों (मिर्गी) आदि की दवाओं के निर्माण में प्रयुक्त होती है।
रोध्र या लोध्र :
लोध व पठानी लोध के नाम से मिलता है। पिसने पर भूरा रंग (खाल जैसा), प्राचीन काल का श्रृंगार उपकरण, Face Powder की तरह इस्तेमाल किया जाता था।
शनि के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
खलमलिननीचतैलिकविहीनसत्त्वोपहतपुंस्त्वाः ॥
बान्धनशाकुनिका शुचिकैवर्तविरूपवृद्धसौकरिकाः। गणपूज्यस्खलितव्रतशबरपुलिन्दार्थपरिहीनाः ॥
कटुतिक्तरसायनविधवयोषितो भुजगतस्करमहिष्यः। खरकरभचणकवातलनिष्पावाश्चार्कपुत्रस्य ॥
अर्थात्:
दुष्ट, दरिद्री, गन्दे रहने वाले लोग, तेल के व्यवसायी, आत्मबल व तेज से रहित लोग, पुरुषत्व में कमजोर लोग ।
गिरफ्तार करने वाले लोग (पुलिस व जेलर आदि), पक्षियों के शिकारी व पालने वाले, अपवित्र कार्यों में रुचि लेने वाले, मल्लाह, बदसूरत लोग, बूढ़े लोग, सुअर पालने वाले लोग, मुखिया लोग, भ्रष्ट सन्यासी या नियम सन्यास आदि छोड़ देने वाले, शबर देश, पुलिन्द (उड़द, राजमा आदि) बालियों से उत्पन्न होने वाले मुलायम अनाज (चावल आदि) । इन सब पदार्थों पर शनि का आधिपत्य है।
राहु के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
गिरिशिखरकन्दरदरीविनिविष्टा म्लेच्छजातयः शूद्राः ।
गोमायुभक्षशूलिकवोक्काणाश्वमुखविकलाङ्गा ॥
कुलपांसनहिंस्रकृतघ्नचौरनिःसत्यशौचदानाश्च ।
खरचरनियुद्धवित्तीव्ररोषगर्त्ताश्रया नीचाः ॥
उपहतदाम्भिकराक्षसनिद्राबहुलाश्च जन्तवः सर्वे ।
धर्मेण च संत्यक्ता माषतिलाश्चार्कशशिशत्रोः ॥
अर्थात्:
पर्वत की चोटियाँ, पर्वत की कन्दराएँ, गुफावासी लोग, म्लेच्छ जातियाँ, शूद्र, गीदड़ का शिकार करने वाले, शूलिक जनपद, वोक्काणदेश, अश्वमुख देश, विकलांग लोग ।
कुल के विपरीत कर्म करने वाले, हिंसक लोग, अपकारी व कृतघ्न लोग, चोर, झूठे व बेईमान लोग, अपवित्र आचार वाले, कंजूस लोग, गधे, गुप्तचर, कुश्ती करने वाले, अति क्रोधी स्वभाव वाले, घाटियों में रहने वाले, नीच लोग।
निन्दित व बदनाम लोग, झूठे धार्मिक, ढोंगी, राक्षस, खूब सोने वाले प्राणी, धर्महीन, उड़द व तिल आदि ये सब पदार्थ राहु के आधिपत्य में हैं।
केतु के आधिपत्य वाले पद्धार्थ और लोग:
गिरिदुर्गपह्नवश्वेतहूणचोलावगाणमरुचीनाः ।
प्रत्यन्तधनिमहेच्छव्यवसायपराक्रमोपेताः ॥
परदारविवादरताः पररन्ध्रकुतूहला मदोत्सिक्ताः ।
मूर्खाधार्मिकविजिगीषवश्च केतोः समाख्याताः ॥
अर्थात्:
पहाड़ी किले, पह्लव जनपद, गोरे लोग, हूण, चोल, अवगण स्थानीय लोग अफगानिस्तान), मरु प्रदेश, चीन देश, पहाड़ों की तलहटी में रहने वाले, धनवान्, असंतोषी लोग, व्यवसाय कुशल लोग पराक्रमी लोग ।
दूसरे की स्त्रियों में अनुरक्त, मुकदमे बाज, दूसरों का दोष दर्शन करने वाले, मतवाले घमंडी लोग, मूर्ख, धर्मरहित, सदा जीतने की इच्छा वाले- ये सब पदार्थ केतु के आधीन हैं।