ईरान में बुखारा नामक स्थान पर एक व्यक्ति का जन्म हुआ जिसका नाम ब्रह्मा पड़ा, क्योंकि उसने ब्रह्मवाद का प्रतिपादन किया। यह बुखारा नाम मूलतः पुष्कर था। अपभ्रंश होते-होते वही पुष्कर शब्द क्रमशः पुकर, पुखर, बुखर नामों में परिणत होते-होते अन्तत: ‘बुखारा’ हो गया है।
यहाँ से ब्रह्मा भारतवर्ष में आकर जिस स्थान पर ठहरे, उस स्थान को भी पुष्कर कह दिया गया, जहाँ आज भी ब्रह्मा जी का मन्दिर है। इन ब्रह्मा जी ने ही ब्रह्मवाद की स्थापना करके यह प्रतिपादित किया कि जगत् का मूल कारण ब्रह्म है।
प्राचीन काल में यह नियम था कि जो मनुष्य जिस तत्त्व की परीक्षा करता था एवं उसका प्रचार करता था, उस आविष्कर्ता की कीर्ति को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए उस तात्त्विक नाम से ही उसे विभूषित कर देते थे। इसी मर्यादा के अनुसार विद्वानों ने इन्हें ब्रह्म नाम से विभूषित कर दिया। ये ही ब्रह्मा आगे जाकर पुराणों में ‘आदिब्रह्मा’ नाम से प्रसिद्ध हुए।
इन आदिब्रह्मा की जन्मभूमि पुष्कर है। जिसे आज लोगों ने पुष्कर तीर्थ समझ रखा है, वह वास्तव में पुष्कर तीर्थ की नकल (प्रतिकृति) है, वास्तविक पुष्कर तीर्थ तो भिन्न ही स्थान है। उसी ईरान देश में हमारे ब्रह्मा जी की जन्मभूमि है, जहाँ से भारतीय व्यवस्था उच्छिन्न हो चुकी है। ईरान देश की वह ब्रह्मजन्मभूमि वर्तमान में ‘बुखारा’ नाम से प्रसिद्ध है, इसका प्राचीन नाम पुष्कर ही था।
ये ब्रह्मा अपनी जन्मभूमि पुष्कर (बुखारा) से भारतवर्ष में तीन बार आए थे। भारतवर्ष में जिस स्थान पर ब्रह्मा आकर ठहरे थे, वही स्थान आज भारतवर्ष में पुष्कर तीर्थ नाम से सुप्रसिद्ध है।
पुष्कर राजस्थान में विख्यात परम पावन तीर्थस्थान है, जहाँ प्रतिवर्ष प्रसिद्ध ‘पुष्कर मेला’ लगता है। यह राजस्थान के अजमेर जिले में है। पुष्कर अजमेर शहर से १४ किलोमीटर दूरी पर स्थित है।
ब्रह्मा जी की भारतीय आवासभूमि यही थी। भारतवर्ष में इस स्थान के अतिरिक्त और कहीं भी ब्रह्मा जी का मन्दिर नहीं है, यदि कहीं होगा भी तो जनसामान्य में वह प्रसिद्ध नहीं है।
संकलनकर्ता: राजकिशोर सिन्हा।