श्री विजय सिन्हा को बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनने पर हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ ।आप भूमिहार समाज से भाजपा के पहले नेता प्रतिपक्ष बने हैं और बिहार के विधायी इतिहास में तीसरे नेता प्रतिपक्ष इस समाज से बने हैं ।इससे पहले 1967 में स्व महेश प्रसाद सिंह और 1994 में स्व रामाश्रय प्रसाद सिंह नेता प्रतिपक्ष बने थे ।भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट के सतत जनजागरण और संघर्ष के कारण भाजपा विजय सिन्हा को इस पद पर आसीन कराने के लिए बाध्य हुई ।यह हमारी विजय भी है और संतुष्टि भी ।क्योंकि जहाँ हम नीति निर्धारण में कहीं नहीं थे, वहां एक महत्वपूर्ण पद समाज को मिला ।अगर तीन एमएलसी राजद के, एक कांग्रेस के और एक निर्दलीय नहीं जीते होते तो भाजपा की चिन्ता नहीं इस समाज को लेकर नहीं होती ।बोचहा में राजद की भारी अंतर से जीत ने विजय जी के बनने का मार्ग प्रशस्त कर दिया ।
लेकिन फ्रंट की ओर से हार्दिक बधाई के साथ ही यह अपेक्षा भी है कि आप पार्टी के अंदर और बाहर सामाजिक मुद्दों पर मुखर होंगे और समाज हित की रक्षा के लिए कटिबद्ध होंगे ।हम अपेक्षा करते हैं कि हमारी महाराजगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी,जहानाबाद की लोकसभा सीटों पर एनडीए और भाजपा की ओर से भूमिहार समाज के प्रत्याशी अगामी 2024 में उतारे जाएंगे ।क्योंकि यह हमारी परम्परागत और सबसे बड़ी आबादी वाली सीटें हैं जहाँ राजनीतिक रूप से भेदभाव एवं चालाकी करके हमें बेदखल कर दिया गया है ।कटिहार में तीन बार सांसद रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री निखिल चौधरी जी के साथ भी न्याय होगा और उन्हें पुनः कटिहार लोकसभा से उम्मीदवार बनाया जाएगा ।बेगुसराय, मुंगेर और नवादा तो हमारी सीटें हैं हीं ।
ज्ञातव्य है कि समाज के लिए यह महत्वपूर्ण नहीं होता है कि हमारी जाति का आदमी किस पद पर बैठा दिया गया है, बल्कि महत्व यह होता है कि वह व्यक्ति समाज के लिए कितना उपयोगी है ।रामाश्रय बाबु जब नेता प्रतिपक्ष बने थे तब उनका कद विजय सिन्हा से बहुत बड़ा था और कांग्रेस बिहार में 72 विधायकों की पार्टी थी ।लेकिन उनके नेता प्रतिपक्ष रहते 1995 के चुनाव में कांग्रेस 27 विधायकों के साथ तीसरे नम्बर की पार्टी हो गई ।क्योंकि भूमिहार-ब्राह्मण समाज को लगा कि लालु यादव के नजदीक जा रही कांग्रेस पार्टी हमारे हितों की रक्षा करने में असमर्थ है ।बारा जैसा नरसंहार, हेमंत शाही की हत्या के बाद भी कांग्रेस सीताराम केसरी के कारण लालु यादव के साथ नजर आ रही थी ।
आज भी जदयू में ललन सिंह और विजय चौधरी का कद बहुत बड़ा है ।एक राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तो दूसरे कैलाशपति मिश्र और कृष्णकांत सिंह के बाद वित्तमंत्री और संसदीय कार्यमंत्री के रूप में जदयू में दूसरे नम्बर के मंत्री हैं ।सीपीआई में सचिव और विधायक दल के नेता दोनों भूमिहार ही हैं ।और तो छोडिए जिस माले से हमारी लड़ाई रहती है उसके भी राज्य सचिव भूमिहार ही हैं ।लेकिन आम मास सीपीआई या माले के साथ इसलिए नहीं जाता है कि उनकी नीतियां हमारे समाज के प्रतिकूल रहती हैं ।इसलिए अगर विजय सिन्हा भी सामाजिक हितों की रक्षा में विफल रहे तो इस पद पर आसीन होना उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि हो सकती है ,सामाजिक स्वीकार्यता नेता के रूप में नहीं होगी ।
भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट अपनी पूर्व की नीति पर चलते हुए अंध भक्ति और अंध विरोध से अलग हम गुण दोष के आधार किसी के साथ सम्मान के साथ जाएगा ।हमारा किसी जाति,धर्म या पार्टी से कोई परहेज नहीं है न ही किसी से विरोध है ।जो हमें जितना सम्मान देगा आनुपातिक रूप से हमारा समर्थन उतना ही मिलेगा ।विजय जी पुनः बधाई ।
सुधीर शर्मा
कार्यकारी अध्यक्ष भूमिहार ब्राह्मण सामाजिक फ्रंट ।
पूर्व प्रदेश महामंत्री,बिहार भाजपा