आईएसडी नेटवर्क। दिवंगत सुशांत सिंह राजपूत और उनकी मैनेजर दिशा सालियान केस को तीन वर्ष होने आए हैं लेकिन इन संदिग्ध मौतों का सच आज भी परदे के पीछे छुपा हुआ है। अब तक कोई ठोस परिणाम हाथ नहीं आया है। जनता की मांग पर इन दोनों का केस केंद्रीय एजेंसियों को सौंपा गया था लेकिन केंद्रीय एजेंसियों ने केस पर चुप्पी ही साध ली। उस समय भाजपा ने इस मुद्दे को भुनाकर बिहार में खूब वोट बटोरे किन्तु सुशांत के परिवार को जांच और सिर्फ जांच ही मिली। ऐसा ही मामला दिशा सालियान का भी है। लगातार मांग उठने के बाद दिसंबर में मुंबई पुलिस की एक विशेष जांच टीम ने दिशा सालियान की कथित आत्महत्या की जांच शुरू की।
8 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की उनके मलाड स्थित अपार्टमेंट से संदिग्ध अवस्था में गिरकर मौत हो गई थी। इसके ठीक छह दिन बाद 14 जून 2020 को सुशांत सिंह राजपूत बांद्रा के अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए थे। परिस्थितियां यहाँ भी संदिग्ध थी लेकिन मुंबई पुलिस की प्रारंभिक जांच में बतलाया गया कि सुशांत ने अवसाद में आकर आत्महत्या की है। बहुत से ऐसे तथ्य थे, जो किसी साजिश की ओर इशारा कर रहे थे लेकिन मुंबई पुलिस तत्कालीन महाराष्ट्र सरकार की शह में आकर इस केस को तहस-नहस करती रही।
इस केस में केंद्रीय संस्थाओं को लाया गया। सीबीआई जैसी संस्था भी कुछ दिन कवायद कर चुप बैठ गई। सरकार और सीबीआई इस मामले पर कुछ बोलने के लिए तैयार ही नहीं थे। सुशांत के प्रशंसकों के लिए ये दिल तोड़ने जैसी स्थिति थी। पूरे देश से एक ही आवाज़ उठ रही थी कि सुशांत और दिशा की हत्या की गई है लेकिन मुंबई पुलिस अपनी जाँच पर अड़ी रही। तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस मामले को लेकर सीधा-सीधा केंद्र सरकार से पंगा ले लिया। समय गुज़रता रहा और काफी सबूत नष्ट हो गए। ये बात भी निकल कर आई कि सुशांत के घर पर काफी सबूत मिटाए गए।
इसी माह दिसंबर में इस केस में पुनः चिंगारी दे दी गई, जब मुंबई पुलिस की एक विशेष जांच टीम ने दिशा सालियान की मौत की जांच एक बार फिर से शुरु कर दी। हालांकि सुशांत सिंह राजपूत केस की जांच कब शुरु होगी, इस पर अब भी प्रश्न बना हुआ है। दिशा सालियान आत्महत्या मामले में सरकार की ओर से मामले की जांच सर्कल 11 के पुलिस उपायुक्त अजय बंसल और मालवणी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक चिमाजी अधव को सौंपी गई है। हालाँकि इसमें अभी से राजनीति शुरु हो गई है। जाँच शुरु होने के बाद सोमवार को ही भाजपा विधायक नितेश राणे ने जांच अधिकारी चिमाजी आधव को एसआईटी से हटाने की मांग की है।
हालाँकि इन दोनों मामलों में कुछ ठोस होने उम्मीद अब कम दिखाई देती है। वर्तमान शिंदे सरकार सुशांत सिंह राजपूत केस को लेकर जांच कराने का ठोस आश्वासन नहीं दे रही। सुशांत के प्रशंसक एक तरह से मान चुके हैं कि ये केस अब बंद हो चुके हैं। दिशा सालियान की मौत की जांच के लिए गठित की गई टीम ने उनके पिता सतीश सालियान से बात की है। सतीश सालियान ने कहा कि ‘दिशा ने न तो आत्महत्या की और न ही किसी ने उसकी हत्या की। हालांकि, पुलिस इस मामले की जांच कर रही है, इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कह सकता।’ कुल मिलाकर जांच उसी पुराने ढर्रे पर चल रही है।
मुंबई पुलिस ने सीबीआई से कितने इनपुट्स लिए, इस बारे में भी कोई जानकारी नहीं है। ये भी नहीं पता कि ये टीम प्रारंभिक सबूतों के आधार पर जांच करेगी या नए सिरे से जांच शुरु की गई है। जाँच शुरु होने के तुरंत बाद केंद्रीय मंत्री नारायण राणे ने सनसनीखेज बयान दिया। उन्होंने कहा ‘मैं पहले ही कह चुका हूं कि अभिनेता सुशांत सिंह और दिशा सालियान दोनों की हत्या की गई है। इसमें राज्य का एक मंत्री शामिल था। पहले कोई जांच नहीं हुई लेकिन, अब जांच हो रही है। अब सच्चाई सामने आ जाएगी। इस मामले में आदित्य ठाकरे निश्चित रूप से जेल जाएंगे।’ ये बयान नारायण राणे पहले भी दे चुके हैं लेकिन उनकी बात को गंभीरता से नहीं लिया गया। कुल मिलाकर इन दोनों संदिग्ध मौतों की जांच में अब भी कुछ ठोस बाहर नहीं आया है।