आईएसडी नेटवर्क। मुंबई में सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत को आत्महत्या मानने से इंकार करने के बाद उनके परिवार ने केंद्र सरकार से सीबीआई जाँच का अनुरोध किया था। अनुरोध स्वीकार करते हुए केंद्र ने तीनों जाँच एजेंसियों को इस केस की जाँच के लिए मुंबई में उतार दिया। कम लोग ही जानते हैं कि इस केस की जाँच में ऐसे अधिकारियों को उतारा गया है, जिनका ट्रेक रिकॉर्ड प्रशंसनीय रहा है। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के एक ऐसे ही अधिकारी मुथा अशोक जैन इस केस की जाँच कर रहे हैं।

मुथा इस समय नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र के डिप्टी डीजी के पद पर कार्यरत हैं। मुथा की गिनती देश के उन निष्ठावान अधिकारियों में की जाती है, जो केस में उतरते हैं तो उसे सॉल्व करके ही वापस आते हैं।
ये बात किसी से छुपी नहीं है कि एनसीबी ने इस केस में अब तक सबसे बेहतर लीड ले रखी है। रिया चक्रवर्ती समेत छह लोगों की गिरफ्तारियां और ड्रग पैडलर्स पर शिकंजा कसने में मुथा और उनकी टीम की प्रशंसनीय भूमिका रही है।
मीडिया के सामने ज़्यादा कुछ न बोलने वाले मुथा के बारे में उनके करीबी अच्छे से जानते हैं कि वे अब इस केस में बड़ी मछली फांसने की तैयारी कर चुके हैं। इस केस में काम करने वाले अधिकांश अफसरों की बहुत चर्चा हुई लेकिन मुथा के बारे में मीडिया ने नागरिकों को नहीं बताया कि वे उत्तरप्रदेश के सबसे निष्ठावान अफसरों में गिने जाते हैं।
मुथा आईआईएम लखनऊ की दूसरी बैच से हैं। वे शुरुआत में कॉपोरेट सेक्टर में चले गए थे लेकिन वहां का माहौल उनको रास नहीं आया। डेढ़ वर्ष बाद ही वे सिविल सेवा में लौट आए। उत्तरप्रदेश में जब मुलायम सिंह यादव की सरकार होती थी तो वे मुथा को इटावा का चार्ज देते थे। इसका कारण था मुथा की साफ़-सुथरी सार्वजानिक छवि और उनकी कार्यशैली।
मीडिया से कम बोलने वाले, कम चर्चा में रहने वाले मुथा अपनी ईमानदारी के कारण अपने साथी अफसरों के बीच काफी चर्चा में रहते हैं। वे पारंपरिक मारवाड़ी परिवार से हैं। कर्तव्य के प्रति उनकी सजगता उनको अपने परिवार के साथ रहने का अवसर भी कम ही देती है। सुशांत सिंह राजपूत प्रकरण की जाँच में यदि हम तेज़ गति से डेवलपमेंट देख पा रहे हैं तो इसका कुछ श्रेय मुथा अशोक जैन और उनकी सजग टीम को भी मिलना चाहिए।