म्यांमार के रखाइन प्रांत में रोहिंग्या मुसलमानों ने 99 हिंदुओं का नरसंहार कर दिया। महिलाओं के सामने उनके पति का गला रेता गया, उन्हें अपने परिवार के लोगों की हत्या देखने के लिए मजबूर किया गया। छोटे-छोटे बच्चों को काट दिया गया। महिलाओं का बलात्कार किया गया। कुछ महिलाएं इसलाम कबूल करने की शर्त पर बच गयीं। एमनेस्टी इंटरनेशल की टीम ने बचे हुए 12 लोगों का साक्षात्कार किया, जिसके कारण दुनिया के सामने वह भयानक मंजर सामने आ पाया।
भारत की मीडिया में बैठे लुटियन पत्रकार, वामपंथी एक्टिविस्ट, फिल्मी कलाकार और कांग्रेसी-कम्युनिस्ट नेता लगातार भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बना रहे हैं कि रोहिंग्याओं को जम्मू में बसने दिया जाए। जम्मू में सैन्य क्षेत्र के आसपास बसे हिंदुओं के गांव को उजाड़ कर रोहिंग्याओं को बसाने के खेल के तहत ही कठुआ मामले को तीन महीने बाद उछाल कर अंतरराष्ट्रीय बनाया गया। लेकिन जब एमनेस्टी इंटरनेशल ने रोहिंग्याओं की क्रूरता को खासकर उनके द्वारा किए गये हिंदुओं के नरसंहार को सामने रखा तो सारी लुटियन बिरादरी ने चुप्पी साध ली! मामले को ढकने का प्रयास किया जा रहा है। इंडिया स्पीक्स डेली आपको एक-एक कर उन सभी पीडि़त हिंदुओं की कहानी बताएगा, जिसका साक्षात्कार एमनेस्टी ने लिया है। इसी कड़ी में पेश है आज पीडि़ता रिका धर…
हैवानियत के नंगा खेल को अंजाम देने के लिए जब नर पिशाच बनकर रोहिंग्या मुसलिम आतंक घर में दाखिल हुए तो 24 साल की रिका धर अपने घर में ही थी। उस मनहूस दिन को याद करते हुए धर ने कहा कि उन दरिंदों ने घर से भागने तक का मौका नहीं दिया। जब रोहिंग्या मुसलमान आतंकी के पैर मेरे घर में पड़े तो ऐसा लगा कि कोई नर पिशाच सामने आ धमका हो। रिका धर उन्हीं आठ महिलाओं में से एक है जिनसे इंटरनेशनल एमनेस्टी ने बातचीत की थी।
मुख्य बिंदु
*घर से भाग निकलने तक का भी मौका नहीं दिया था रोहिग्याई दरिंदों ने
*पुरुष और बच्चे की हत्या करने के बाद औरत की छाती में मारी थी गोली
रिका धर ने इंटरनेशनल एमनेस्टी से बातचीत के दौरान बताया कि वे सारे लोग काले कपड़े में आए। किसी का चेहरा नहीं दिखता था, उनकी सिर्फ आंखे दिखाई दे रही थीं। हालांकि उसी इलाके के होने के कारण धर आज भी कुछ हमलावरों को पहचानती है। उन्होंने बताया कि कुछ आतंकी तो खा मौंग सेक गांव के रोहिंग्या समुदाय के थे। यह वही गांव है जहां रोहिंग्या आतंकियों ने हिंदुओं के नरसंहार की घटना को अंजाम दिया था। रोहिंग्या मुसलिमों ने घर आते ही सबसे पहले लूटपाट को अंजाम दिया। वे लोग घर में रखे सारे सोने और पैसे लूट लिए। लूटने से पहले ही उन हैवानों ने हमलोगों के हाथ पीछे कर के बांध दिए। उन हैवानों हमारी आंखों पर भी पट्टी बांध दी थी।
धर का कहना है कि हिंदू गांव के लोगों को बांधने, घरों को लूटन और सभी की आंखों पर पट्टी बांधने के बाद अरकाइन रोहिंग्या सॉल्वेशन आर्मी (ARSA) संगठन के आतंकियों ने सभी लोगों को गांव के बाहर संकरी खाड़ी इलाके की ओर ले गया। वहां पर उन हैवानों ने जितने हिंदुओं के पास पहचान पत्र था सभी को जला डाला। इसके बाद शैतानों ने पुरुषों से औरतों और बच्चों को अलग कर दिया। महिलाओं और बच्चों को जंगल की ओर ले आया।
वहां से दूर होने के कारण हमलोगों को कुछ ज्यादा दिखाई नहीं दे रहा था। लेकिन अपने आदमियों की चीखें साफ सुनाई दे रही थीं। तभी उन पिशाचों ने बारी-बारी से हमारे सभी आदमियों की हत्या कर दी। वहां पर हत्या को अंजाम देने के बाद वे लोग महिलाओं की ओर आया। उनमें से एक हैवान मेरी ओर बढ़ा और बहुत कम दूरी से सीने पर गोली मार दी। कैसे बची इसके बारे में वो भी नहीं जानती? क्योंकि गोली लगते ही वह बेहोश हो गई थी। धर ने उन बची 8 महिलाओं और बच्चों के बारे में बताया कि उनलोगों को तभी छोड़ा गया जब वे लोग हिंदू धर्म को छोड़कर मुसलिम मजहब बनने को तैयार हो गईं।
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Tales of horror from Myanmar: Victim Rika Dhar story of hindu’s massacre by rohingya
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