पुरस्कार की गंदी रिश्वत (भाग-3)
जिसको कोई काम नहीं है , ट्रेनों को झंडी दिखलाता ;
गलत ट्रैक पर देश जा रहा , क्षण-क्षण एक्सीडेंट कराता ।
ट्रेनों को झंडी देने वाला , झंडे का मान गिराता है ;
लाल किले में खुल्लम-खुल्ला , कितना अपमान कराता है ।
झंडे का प्रोटोकॉल गिराया , कोई नहीं सम्मान है ;
खादी की शुचिता ध्वस्त हुई , देखो कितना अपमान है ।
कायर-कमजोर-नपुंसक नेता , कायर-लोगों को भाते हैं ;
झूठी मन की बातें सुनने , भागे – भागे जाते हैं ।
व्यर्थ है जीवन कायर-लोगों का , पूँछ दबाये फिरते हैं ;
मच्छर जैसा देश कतर है , उसके भी आगे झुकते हैं ।
भारत का सम्मान गिराया , दुनिया भर में सभी जगह ;
पुरस्कार की गंदी – रिश्वत , ईमान बेचता सभी जगह ।
चने की झाड़ में फौरन चढ़ता , चाहे गिर जाये नीचे देश ;
केवल स्वयं से प्रेम है इसको , देश-प्रेम का नहीं है लेश ।
असल में है ये देश का दुश्मन , अब्बासी – हिंदू जो नेता ;
जीवन के अध्याय हैं काले , दुश्मन ब्लैकमेल करता ।
धर्म – सनातन से जलते हैं , अब्राहमिक सारे नेता ;
अब्बासी – हिंदू कठपुतली है , गंदे – पुरस्कार लेता ।
पुरस्कार – सम्मान की चाहत , देश लगाता दांव पर ;
नोबेल – प्राइज की काली-छाया , पूरा देश है दांव पर ।
सत्ता से इसे हटाना होगा , हमको देश बचाना होगा ;
हिंदू पर दायित्व है पूरा , अच्छी-सरकार बनाना होगा ।
हिंदू ! तुम हो भारतवासी , पर कितने कब्जेदार-अवैध ?
कब्जा-अवैध बढ़ता जाता है, होती कितनी घुसपैठ अवैध ?
अब्बासी – हिंदू का एजेंडा है , हिंदू – धर्म मिटाने का ;
साथी हैं सरकारी – हिंदू , खुलकर घुसपैठ कराने का ।
कुछ दिन और रह गये दोनों , गजवायेहिंद करा देंगे ;
जागो हिंदू ! अब तो जागो , ये गर्दन कटवा देंगे ।
जैसे-तैसे कुछ दिन काटो , आने वाले हैं आम-चुनाव ;
“एकम सनातन भारत” लाकर , हिंदू जीतेगा हर-चुनाव ।
सारे हिंदू – वोट संगठित , हमको देश बचाना है ;
देश तो तब ही बच पायेगा , अच्छी-सरकार बनाना है ।
अच्छी-सरकार बनाओ हिंदू ! धर्म, राष्ट्र व देश बचाओ ;
“एकम् सनातन भारत” लाकर,जान-मान-सम्मान बचाओ ।