टैक्स-बोझ में दबा है हिन्दू
भ्रष्टाचार की गंदी लानत , टैक्स – बोझ बढ़ता जाता ;
वामी,कामी,जिम्मी,सेक्युलर , भोग-विलास बढ़ाता जाता ।
गंदी – राजनीति भारत की , वोट खरीदे जाते हैं ;
मुफ्त में गल्ला व धन देकर , सत्ता को कब्जाते हैं ।
ऐसे नेता सत्ता पाकर , क्या कुछ अच्छा कर पायेंगे ?
केवल भ्रष्टाचार बढ़ाकर , टैक्स बढ़ाते जायेंगे ।
टैक्स बोझ में दबा है हिन्दू , क्योंकि सबसे सीधा है ;
गाय दुधारू बना हुआ है , घूँट खून का पीता है ।
विकल्पहीन था अब तक हिन्दू , कोई नहीं मार्ग सूझा ;
जिसको भी वो सत्ता देता , वही बढ़ाता टैक्स का बोझा ।
पर अब रात अंधेरी बीती , उदय हो रहा न्याय का सूरज ;
“एकम् सनातन भारत” आया, बनके चमके धर्म का सूरज ।
केवल धर्म – सनातन सक्षम , अंधकार मिट जायेगा ;
हिंदू को पूरा न्याय मिलेगा , अब्बासी-हिंदू पिट जायेगा ।
धर्म – सनातन के शासन में , सारा भ्रष्टाचार मिटेगा ;
चरित्रहीन नेता-अफसर का , सारा काला-साम्राज्य मिटेगा ।
चमकेगा न्याय – धर्म का सूरज , सारा अन्याय मिटायेंगे ;
अच्छे – अच्छे कानून बनाकर , काले – कानून हटायेंगे ।
सर्वोत्तम संविधान लायेंगे , शुभ – मुहूर्त में लागू होगा ;
कोई कार्य अशुभ न होगा , अच्छे-मुहूर्त में अच्छा होगा ।
जिनके लिये राज्य होता है , वही प्रमुखता पायेंगे ;
प्रजातंत्र में जनता संप्रभु , यथार्थ इसे बनायेंगे ।
अभी तो सिस्टम उलट चुका है , नेता बन बैठा है मालिक ;
रिश्वत देकर वोट खरीदे , फिर जनता का बनता मालिक ।
धर्म – सनातन की शिक्षा से , पूरा-सिस्टम ठीक बनेगा ;
धर्म से ही नैतिकता आती , इसी से भ्रष्टाचार हटेगा ।
बनेंगे नैतिक नेता – अफसर , चरित्रवान सारे होंगे ;
हर हालत में ये होके रहेगा , जब अच्छा – शासन लायेंगे ।
कानून बनेंगे धर्मनीति से , कृष्ण-विदुर-चाणक्य नीति से ;
सर्वश्रेष्ठ है हिंदू – शासन , देश चलेगा राष्ट्रनीति से ।
अब्बासी-हिंदू का समय हो चुका, अब हर हाल में जाना है ;
जागरूक हो रहा है हिंदू , अब न झाँसे में आना है ।
“एकम् सनातन भारत” लायेगा , धर्म-सनातन का शासन ;
सर्वश्रेष्ठ बस यही मार्ग है , “राम-राज्य” सा होगा शासन ।