आवश्यकता है आज राष्ट्र को , कट्टर- हिंदूवादी दल की ;
कोई भी पार्टी नहीं काम की , रक्षा न कर सकेगी कल की ।
तथाकथित हिंदूवादी दल , गांधी – नेहरू के चक्कर में है ;
मूल सिद्धांत भूलकर अपने , सेकुलरिज्म के चक्कर में है ।
सबके विश्वास में घनचक्कर हैं , डीएनए यही मिलाते हैं ;
तुष्टीकरण बढ़ाते जाते , हिंदू को मरवाते हैं ।
कश्मीर – त्रासदी संभाल न पाये , उल्टा उसे छुपाते हैं ;
नरसंहार हुआ था भीषण , कहने में घबराते हैं ।
धर्म – सनातन भूल चुके हैं , लगता है सब जिम्मी हैं ;
यूपी व आसाम छोड़कर , लगभग सरकार निकम्मी हैं ।
जरा भी शर्मोहया बची हो , खुलकर हिंदू हित को लाओ ;
अल्पसंख्यकवाद मिटा दो सारा,केवल राष्ट्रधर्म को लाओ ।
गांधी – नेहरू को कचरा कर दो , हिंदूवादी चिंतन लाओ ;
अंबेडकर को ठीक से जानो,पटेल के चिंतन को अपनाओ।
असल बात है सिद्धांत मानना , चाहे मूर्ति न लगवाओ ;
मूर्ति बना माला पहनाना , ऐसा सारा ढोंग मिटाओ ।
आज की गंदी राजनीति में , चरित्रहीन व ढोंगी हैं ;
केवल अपने लिए ही जीते , दैहिक – सुख के भोगी हैं ।
पर अब ये सब नहीं चलेगा , अब तो तुम्हें सुधरना होगा ;
कश्मीर फाइल का तेज धमाका,बहरों को भी सुनना होगा ।
इसका ऐसा तेज धमाका , सोया हिंदू जाग गया है ;
नरसंहार नहीं थे मालूम , हिंदू उनको जान गया है ।
कितना अत्याचार हुआ है ? हिंदू अब सब जान चुका है ;
ऐसी और बनेगी फिल्में , अंधकार- युग बीत चुका है ।
गंदी- राजनीति की साजिश , हिंदू को कमजोर बनाया ;
आरक्षण की तेज धार से , जगह-जगह हिंदू कटवाया ।
सत्ता – लोलुप जितने नेता , सदा राष्ट्र का मान घटाया ;
डॉलर व दीनार के बदले , खुद को ही नीलाम कराया ।
इनका कोई धर्म नहीं है , लूटमार ही मजहब है ;
धर्म के ये पक्के दुश्मन हैं , इनका यार तो मजहब है ।
“विवेक रंजन ” ऐसा सूरज , सारा अंधकार मिटाया है ;
गजवायेहिंद का कितना खतरा ? हिंदू को समझाया है ।
अब हिंदू न मूर्ख बनेगा , अब उसको बच जाना है ;
कट्टर – हिंदूवादी लाकर , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”