कुछ लोग यह सवाल लेकर आ जाते हैं कि अमेजन पर पुस्तकों पर छूट मिल रही है, वहां शिपिंग चार्ज नहीं लगता, इसलिए आप छूट दीजिए और शिपिंग चार्ज मत लीजिए।
अमेजन प्रतिदिन 17cr रुपये बर्न (नुकसान उठाकर कस्टमर बनाए रखने के लिए खर्च) करता है, इसलिए वह भरपूर छूट और फ्री शिपिंग दे सकता है।
Kapot.in को अन्य प्रकाशक की पुस्तकों की बिक्री से जो मार्जिन मिलता है,
उसी से कपोत अगली पुस्तक की प्रिंटिंग कास्ट, बुक मेकिंग, कवर मेकिंग, अनुवाद, ई कामर्स के लिए कार्यरत लोगों की सैलरी एवं अन्य कास्ट, कार्यालय खर्च, बुक शिपिंग कास्ट, लेबल व इनवैलप प्रिंटिंग कास्ट आदि निकलता है। बड़े और छोटे प्लेटफार्म की तुलना करना न्ययासंगत नहीं है।
https://www.kapot.in/ में एक पैसा भी बाहरी निवेश नहीं है। इसे हमने आमजनों के साथ मिलकर बनाया है। बिना किसी निवेश और बाहरी फंड के इंडोलॉजी के लिए एक स्वदेशी e-commerce खड़ा करने का हमारा प्रयास है।
यदि इसमें भी लोग 50₹ सस्ता, 50₹ महंगा का हिसाब लगाने बैठ जाएं तो फिर जन सहयोग से एक स्वदेशी प्लेटफार्म खड़ा होना संभव नहीं है।
ऐसे लोगों से कहना चाहूंगा कि ₹50 बचाने के लिए आप शौक से उसी अमेजन से शॉपिंग करें, जिस पर हमारे देवी-देवताओं के चित्र वाला डोरमेट और कमोड बेचा जा रहा है।
मुझे अमेजन की यह हरकत चुभी इसलिए मैंने e-commerce की शुरुआत की और यह मेरे नियमित पाठक और दर्शक जानते हैं।
अत: आग्रह है कि #kapot से पुस्तकें आदि खरीदने वही लोग आएं, जिनके लिए भारतीय हिंदू संस्कृति का महत्व है और वो इसे बढाने के लिए स्वयं प्रयासरत हैं और जो चाहते हैं कि हर क्षेत्र में हमारा अपना स्वयं का ऐसा प्लेटफार्म खड़ा हो, जिसमें पंचमक्कारों का एक पाई भी न लगा हो।
बिना कुछ खर्च (समय, शोध, अर्थ, संसाधन, श्रम) किए हम पंचमक्कारों से लड़ाई जीत जाएं, यह संभव नहीं है। बात तीखी है, परंतु यही सच है।
धन्यवाद।