सनातन को मिटाने की बात करने वाले अपने आप को मिटाने की बात कर रहे हैं-श्री महन्त स्वामी हरिगिरि जी महाराज(मुख्य संरक्षक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा) सनातन धर्म की मूल अवधारणा में जातिवाद को कोई स्थान नहीं-श्रीमहन्त स्वामी नारायण गिरी जी महाराज(अध्यक्ष दिल्ली संत महामंडल)
गुंडा एक्ट के अपराधी पिंकी तोमर का समस्त संत समाज ने पगड़ी पहना कर समर्थन दिया

आज गोविंदपुरम के प्रीतम फार्म में श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े व दिल्ली संत महामंडल के मार्गदर्शन और अमर बलिदानी मेजर आशाराम त्यागी सेवा संस्थान के तत्वावधान में दो दिवसीय सनातन कॉन्क्लेव उत्साह और मर मिटने के जज्बे के साथ शुरू हुआ जिसमें बड़ी संख्या में संतो, बुद्धिजीवियों व युवाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
सनातन कॉन्क्लेव में साधुओं के सभी 13 अखाड़ों व अनेक पंथ सम्प्रदायो के प्रतिनिधि सम्मिलित हुए।अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया,कनाडा तथा यूरोप से भी सनातन धर्मी कॉन्क्लेव में शामिल हुए।
आज सनातन कॉन्क्लेव की अध्यक्षता करते हुए श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़े के मुख्य संरक्षक श्रीमहन्त हरिगिरि जी महाराज ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि सनातन धर्म ही मानवता का पर्याय है।सनातन धर्म को मिटाने का प्रयास सम्पूर्ण मानवता को मिटाने जैसा है।आज जो लोग सनातन को मिटाने की बात कर रहे हैं, वो अच्छी तरह समझ लें कि सनातन के मिटने के बाद सम्पूर्ण विश्व इराक,सीरिया,लेबनान और अफगानिस्तान बन जायेगा जहाँ केवल विनाश ही विनाश होगा।
इस विनाश की आग में उनके घर भी जल जायेंगे जो इस विनाश को आमंत्रित कर रहें हैं।ऐसे लोग अच्छी तरह से समझ ले कि हम सनातन धर्म की रक्षा के लिये अडिग चट्टान की तरह खड़े हैं।समय आने पर हम सनातन धर्म की रक्षा के लिये मर मिटेंगे पर सनातन धर्म को नहीं मिटने देंगे।

सनातन कॉन्क्लेव के मुख्य मार्गदर्शक श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता व दिल्ली संत महामंडल के अध्यक्ष दूधेश्वरनाथ पीठाधीश्वर स्वामी नारायण गिरी ने कहा कि सनातन धर्म के शत्रु और सनातन धर्म के विरोधी सनातन धर्म को सबसे ज्यादा जातिवाद और छुआछुत का नाम लेकर बदनाम करते हैं जबकि जातिवाद और छुआछूत तो सनातन धर्म की मूल अवधारणा में कहीं है ही। सनातन धर्म तो वर्ण व्यवस्था पर आधारित धर्म है और वर्ण व्यक्ति के कर्म से निर्धारित होते हैं, जन्म से नहीं।
हर किसी को समझना चाहिये कि विदेशी लुटेरों ने हमारी गुरुकुल परंपरा और प्राचीन प्रामाणिक ग्रन्थों के हर पुस्तकालय को समाप्त करके सनातन धर्म को उसके मूल सिद्धांतों से काट दिया और हम पर अनेक ऐसी कुरीतियों को थोप दिया जो हमारी थी ही नहीं जातिवाद और छुआछूत भी ऐसी ही एक कुरीति है।आज सनातन के मानने वालों के मन से ये कुरीति लगभग खत्म हो चुकी है पर स्वार्थी राजनेता अपने तुच्छ स्वार्थों के लिये जातिवाद को हवा देते हैं और सनातन के मानने वालों को आपस मे लड़ा देते हैं।अब संत समाज इस समस्या से निबटने की गहन रणनीति तैयार कर रहा है जिसका असर अतिशीघ्र ही दिखाई देगा।
कॉन्क्लेव में श्री तुफैल चतुर्वेदी जी ने न्याय मंच की अवधारणा को उपस्थित सन्तो और बुद्धिजीवियों के समक्ष रखा और कहा कि सनातन धर्मी होने के कारण हमारा पहला दायित्व है कि हम धर्म के लिये लड़ने वालों की हर सम्भव सहायता करें।अगर हम ऐसा नहीं करते तो सनातन धर्म को बचाना असम्भव होगा।
उन्होंने प्रत्येक सनातनी से कम से कम अपने दो बिछड़े हुए भाइयों को सनातन में घर वापसी में लाने का आह्वान किया। सनातन कॉन्क्लेव में नीरज अत्रि जी ने इस्लामिक जिहाद के वास्तविक कारणों पर प्रकाश डालते हुए इसके खतरों के बारे वास्तविकता जो समझाया।
सनातन कॉन्क्लेव का संचालन दिल्ली संत महामंडल के महामंत्री महामंडलेश्वर स्वामी नवलकिशोर दास जी महाराज ने किया।
सनातन कांन्क्लेव में श्री महंत प्रेम गिरी(सभापति जूना अखाड़ा), महामंडलेश्वर विद्या गिरी जी ,महामण्डलेश्वर कंचन गिरी जी महाराज दिल्ली संत महामंडल, महामंडलेश्वर हरिओम गिरी जी, महामंडलेश्वर साध्वी अन्नपूर्णा भारती जी, महामंडलेश्वर भैयादास जी,महंत धीरेंद्र पुरी (कोषाध्यक्ष दिल्ली संत महामंडल ),महंत नारायण दास उदासीन,श्री महंत सोम गिरी जी,श्री महंत महेश पुरी (सचिव जूना अखाड़ा),श्री महंत शैलेंद्र गिरीजी(सचिव जूना अखाड़ा),अवतार मुनि जी,मंगल दास कोतवाल दिल्ली संत महामंडल तथा अन्य संतो ने अपने विचार रखें।