विपुल रेगे। ख्यात फिल्म निर्देशक स्टीवन स्पीलबर्ग ने अपने फ़िल्मी कॅरियर में 33 फिल्मों का निर्देशन किया है। संसार के अधिकांश फ़िल्मी दर्शक उन्हें जुरासिक पार्क के विशाल डायनासोर्स के लिए जानते हैं। हालाँकि जुरासिक पार्क और जुरासिक वर्ल्ड उनके लंबे फ़िल्मी कॅरियर के छोटे से पड़ाव हैं। गुरुवार को यूनिवर्सल पिक्चर्स की जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन प्रदर्शित हुई। स्पीलबर्ग ने डायनासोर को हमारी मनोरंजन संस्कृति का एक अभिन्न हिस्सा बना दिया है। यही कारण है कि डायनासोर जब सेल्युलाइड के स्क्रीन पर आते हैं तो टिकट खिड़की पर हलचल बढ़ जाती है।
निर्देशक कोलिन ट्रेवारो की जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन ने विश्वभर में अच्छी ओपनिंग ली है। भारत में इसे गुरुवार को कम दर्शक मिले लेकिन सप्ताहांत में फुटफॉल्स बढ़ जाएंगे। जुरासिक सीरीज की इस फिल्म को अच्छी समीक्षाएं नहीं मिल रही हैं। इस कारण ट्रेड पंडित अच्छी ओपनिंग में क्रेक पड़ने की बात कह रहे हैं। हालाँकि जुरासिक वर्ल्ड अपने आप में इतना बड़ा ब्रांड है कि लोग इसे लेकर आ रही समीक्षाओं पर अधिक ध्यान नहीं देते हैं।
वास्तव में जुरासिक सीरीज की फ़िल्में देखने के लिए अधिकांश परिवार आते हैं। जुरासिक सीरीज की फिल्म देखना उनके लिए पिकनिक मनाने जैसा होता है। फिल्म की कहानी मानवों और डायनासोर के सह-अस्तित्व से शुरु होती है। अब डायनासोर पार्क में कैद नहीं है। वे दुनिया के सभी स्थानों में फ़ैल चुके हैं और सर्वाइव करने का प्रयास कर रहे हैं। संसार डायनासोर से आतंकित हैं और उस पर एक वैज्ञानिक ने डायनासोर्स पर नई रिसर्च कर ली है।
ये वैज्ञानिक एक विशाल टिड्डी दल तैयार कर संसार की फसलों को समाप्त करना चाहता है ताकि पारिस्थिकी तंत्र में अस्थिरता फ़ैल जाए। हालाँकि कुछ लोग ऐसे हैं, जो इस खतरनाक योजना को सफल नहीं होने देना चाहते। ये फिल्म देखते हुए मुझे समझ नहीं आया कि समीक्षकों को कोलिन ट्रेवारो की ये फिल्म पसंद क्यों नहीं आई। एक सुंदर कथानक, उच्च स्तरीय वीएफएक्स से निर्मित डायनासोर की विभिन्न प्रजातियां और एक से बढ़कर एक एक्शन सीक्वेंस फिल्म में डाले गए हैं।
दर्शक का रोमांच बना रहे, इसके लिए हर प्रयत्न किया गया है। निर्देशक कोलिन ट्रेवारो और स्टीवन स्पीलबर्ग ने अपनी एक शैली विकसित की थी। ये दोनों ही मूक डायनासोर्स का चरित्र दिखा सकते थे। वे उनका आपसी रिश्ता दिखा सकते थे। इस फिल्म में एक मादा डायनासोर और उसके नन्हे बच्चे का स्टोरी प्लाट भी साथ चलता है। माँ-बेटे की ये कथा मार्मिक है और दर्शकों को भी पसंद आएगी।
बहुत से दर्शकों का विचार होता है कि जुरासिक सीरीज की हर फिल्म स्टीवन स्पीलबर्ग बनाते हैं। जबकि उन्होंने इस सीरीज की शुरुआती दो फ़िल्में ही निर्देशित की है। इसके बाद की फिल्मों के साथ वे कार्यकारी निर्माता के रुप में जुड़े हुए हैं। भारत के सिनेमाई बाजार में हमेशा से ही डायनासोर का खुले मन से स्वागत होता आया है। शुक्रवार से लेकर रविवार तक जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन भारत में अच्छे दर्शक जुटाएगी।
इसमें हर वह कंटेंट है, जो एक मनोरंजक फिल्म में होना चाहिए। इसे सपरिवार देखा जा सकता है। जो फ़िल्में कंटेंट से दमदार और परिवार सहित देखने योग्य होती है, उनकी आयु बॉक्स ऑफिस पर अच्छी रहती है। अगले सप्ताह में इस हॉलीवुड फिल्म के सम्मुख कोई बड़ी फिल्म नहीं है, जो इसे चुनौती दे सके। अक्षय कुमार की सम्राट पृथ्वीराज का पतन तेज़ी के साथ जारी है और इसका लाभ केवल जुरासिक वर्ल्ड डोमिनियन को मिलता दिखाई दे रहा है।