विपुल रेगे। शाहिद कपूर की ‘ब्लडी डैडी’ एक रक्तरंजित फिल्म है, जिसमे हिंसा का अतिरेक है। ये फिल्म अपनी कथावस्तु की धार पर कमज़ोर है लेकिन अभिनय के बिंदु पर प्रभावित करती है। अली अब्बास ज़फर के निर्देशन में बनी ‘ब्लडी डैडी’ जिओ सिनेमा पर रिलीज हुई है। प्रस्तुतिकरण के मामले में फिल्म औसत रह जाती है लेकिन कलाकारों का अभिनय याद रह जाता है। एक विदेशी फिल्म की नक़ल पर बनी ये फिल्म दर्शकों की मिश्रित प्रतिक्रियाएं पा रही है।
सन 2011 में Frédéric Jardin की sleepless night रिलीज हुई थी। फिल्म बॉक्स ऑफिस पर अच्छी चली थी। इसका स्क्रीनप्ले बड़ा रोचक था इसलिए भारत में पहली बार कमल हासन ने इस स्क्रीनप्ले पर ‘Thoongavanam’ बनाई थी। फिल्म औसत रुप से सफल रही थी। एक रात की इस कहानी को अली अब्बास ज़फ़र वैसा नहीं बना सके, जैसा कमल हासन की फिल्म दिखाने में सफल रही थी। हालाँकि अभिनय के लिहाज़ से फिल्म स्ट्रांग है।
शाहिद कपूर अपने फुल झक्कीपन के साथ मौजूद हैं। शाहिद अपने किरदार में डूबकर काम करते हैं। सुमेर आज़ाद का किरदार उनकी पिछली फिल्मों की याद दिलाता है। संजय कपूर का अभिनय प्रशंसनीय है। सिकंदर चौधरी की भूमिका में रोनित रॉय ने अच्छा अभिनय किया है लेकिन वे उस क्रूरता को नहीं दिखा सके, जिसकी डिमांड ये कैरेक्टर करता है। डायना पेंटी औसत रही हैं। राजीव खंडेलवाल निगेटिव शेड में छा जाते हैं।
एक रात की इस तेज़ भागती कहानी में बहुत कुछ अच्छा है और बहुत कुछ बुरा। कुछ कैरेक्टर्स ‘मिस्कास्टिंग’ के चलते खराब हो गए। डायना के स्थान पर कोई और अभिनेत्री होनी चाहिए थी। रोनित रॉय को सिकंदर चौधरी का कैरेक्टर सूट नहीं करता। वे इस कैरेक्टर की मांग पूरी नहीं कर सके। स्क्रीनप्ले कैची नहीं है। मनोरंजन के लिए अवसर नहीं खोजे गए। फिल्म एक ही लय में दौड़ती रहती है। कॉमेडी की सिचुएशन निकाली जा सकती थी लेकिन हंसाने का ज़िम्मा भी शाहिद कपूर के कन्धों पर डाल दिया गया है।
एक्शन अच्छा है लेकिन ऐसा नहीं कि फिल्म की यूएसपी बन सके। जब आपके पास शाहिद जैसा फिट अभिनेता हो तो एक्शन दृश्यों पर मेहनत की जा सकती थी। सुमेर आज़ाद और उसके बेटे के रिश्ते में वह केमेस्ट्री नहीं झलकती, जिसकी आवश्यकता थी। यहाँ निर्देशक से चूक हुई है। ‘ब्लडी डैडी’ एक टाइमपास मनोरंजन है। इसमें बेहतर एक्शन नहीं है लेकिन खून खराबा अधिक है। यदि आप शाहिद कपूर का अभिनय पसंद करते हैं तो ये फिल्म देख सकते हैं। अत्यधिक मारकाट के कारण ये फिल्म वयस्क दर्शकों को ही देखनी चाहिए।