मेजर विहान के जीजा करण उरी में हुए आतंकी हमले में शहीद हो जाते हैं। विहान की भांजी सलामी के समय ‘वार क्राई’ गाती है। उसके बिलखते स्वर सुन सख्त दिल फौजी रो पड़ते हैं। नन्ही बच्ची के रुदन को आकाश भी संभाल नहीं पा रहा। ‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’ का ये दृश्य सहसा हमें 2015 के साल में खींच ले जाता है। हमें याद आते हैं गोरखा रेजीमेंट के कर्नल राय, जिन्हे आतंकियों ने धोखे से मारा था। याद आती है गोरखा राइफल्स का ‘वार क्राई’ गाती उनकी नन्ही बेटी और याद आते हैं उसकी आँखों से बहते अनवरत आंसू।
निर्देशक आदित्य धर की फिल्म ‘उरी द सर्जिकल स्ट्राइक’ जवाब है उन लोगों को, जो ये कहते थे कि सर्जिकल स्ट्राइक हुई ही नहीं। ये जवाब है उन लोगों को, जो कहते थे सर्जिकल स्ट्राइक के ‘सबूत’ दिखाओ। ये जवाब है उन देशों को, जो सोचते हैं, बुद्ध का देश किसी को पलटकर जवाब देने के क़ाबिल नहीं है । फिल्म की शुरुआत में ही निर्देशक साफ़ कर देते हैं कि स्क्रीनप्ले पब्लिक डोमेन में उपलब्ध जानकारियों और सेना से प्राप्त इनपुट्स के आधार पर बनाया गया है। उरी में हुए कायराना आतंकी हमले का करारा जवाब किस तरह दिया गया था।
सेना और सरकार ने क्या स्ट्रेटजी अपनाई थी। कैसे इस अभियान को गोपनीय रखा गया। इन सवालों का पुख्ता जवाब ये फिल्म देती है। फिल्म में दर्शक की दिलचस्पी बनी रहे इसके लिए कुछ काल्पनिक प्रसंग डाले गए हैं। जैसे ‘डीआरडीओ’ में कार्यरत एक युवा ऐसा ड्रोन बनाता है, जो पक्षी की तरह दिखाई देता है और आसानी से पकड़ में नहीं आता। इसी ड्रोन की मदद से भारतीय सेना आतंकियों के ठिकानों का पता लगाती है।
फिल्म के जो किरदार प्रभावित करते हैं, उनमे विकी कौशल, परेश रावल, कीर्ति कुल्हारी, यामी गौतम, योगेश सोमण प्रमुख हैं। विकी कौशल ने अपने किरदार पर जो मेहनत की है, वह दिखाई देती है। वे चार संवाद बोलकर फौजी बनने का प्रयास नहीं करते। उन्होंने फौजी की तरह दिखने के लिए विधिवत प्रशिक्षण लिया था। अपने शरीर को उस तरह से तैयार किया था। वे युवा अभिनेता हैं और इस फिल्म के बाद फिल्म उद्योग के लिए बड़ी संभावनाएं बनकर उभरेंगे। परेश रावल दूसरा करिश्मा है जो इस फिल्म में दर्शक की रूचि बनाए रखता है।
गोविन्द भारद्वाज का किरदार देश के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोवाल से प्रेरित है। फिल्म में कहीं भी परेश रावल पहचान में ही नहीं आते। ये करिश्मा केवल गेटअप का नहीं है। उन्होंने बारीकी से डोभाल के व्यक्तित्व का अध्ययन किया है। गोविन्द जब गुस्से में होते हैं तो अपना फोन तोड़ देते हैं। उनके फोन तोड़ने वाले दृश्य खासे दिलचस्प हैं। कीर्ति कुल्हारी ने बताया है कि उनमे ‘स्पार्क’ है। और इन सबसे ऊपर फिल्म के निर्देशक ने उम्मीद जगाई है कि ऐसी उत्कृष्ट युद्ध फिल्मों का निर्माण आगे भी होता रहेगा।
फिल्म की सफलता में तकनीकी योगदान सराहनीय रहा है। शिवकुमार पणिकर की पैनी एडिटिंग, मितेश मीरचंदानी की सुंदर सिनेमेटोग्राफी, निनाद जेड्रो का आर्ट डायरेक्शन, विशाल आनंद के विजुअल इफेक्ट्स, रोहित सरदेसाई के वीएफएक्स ने बेजोड़ काम किया है। कुछ छोटी कमियां हैं लेकिन फिल्म के समग्र प्रभाव पर असर नहीं डालेगी। जैसे नरेंद्र मोदी का किरदार मिस्कास्टिंग का शिकार हो गया। ये किरदार किसी और अभिनेता को देना चाहिए था।
इस वीकेंड दो ऐसी फ़िल्में प्रदर्शित हुई हैं, जिन्हे दर्शकों का प्यार चाहिए। एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर और उरी द सर्जिकल स्ट्राइक दोनों ही मनोरंजक और शिक्षाप्रद फ़िल्में हैं और सपरिवार देखी जा सकती है। एक देश के प्रति समर्पण सिखाती है तो दूसरी बताती है कि कैसे देश की राजनीति पर एक परिवार ने अतिक्रमण कर रखा था। ये सप्ताहांत राष्ट्र के नाम समर्पित है। ये दोनों फ़िल्में आपके बच्चों को कम से कम आँख मारना तो नहीं सिखाएगी। जब आप घर लौटेंगे तो कुछ अच्छा घर अवश्य लेकर जाएंगे।
URL: Uri: The Surgical Strike is fashioned as a different kind of Bollywood war film.
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