विपुल रेगे। पृथ्वी से लेकर आकाशगंगाओं तक के सुपरहीरोज हम मार्वल की फिल्मों में देख चुके हैं। ये नया सुपरहीरो इजिप्ट की धरती पर जन्मा है। वह कभी मनुष्य था लेकिन मिस्र के देवताओं की शक्ति से ‘ब्लैक एडम’ बन जाता है। एक गलती के कारण वह कब्र में कैद है। एक दिन एक लड़की उसका नाम पुकारती है और वह धरती फाड़कर बाहर आता है। पांच हज़ार वर्ष बाद बदली हुई दुनिया में ‘ब्लैक एडम’ के नए शत्रु उसके सामने होते हैं।
डीसी कॉमिक्स का कैरेक्टर ‘ब्लैक एडम’ कॉमिक्स के पन्नों से निकलकर पहली बार सिनेमा के परदे पर दिखाई दिया है। विश्वभर के दर्शकों ने उसका स्वागत किया है। हालाँकि फिल्म देखने के बाद पता चलता है कि दर्शकों के मन में अपने प्रिय अभिनेता ‘ड्वेन जॉनसन’ को देखने का चाव अधिक था। फिल्म में रोमांचक एक्शन सीक्वेंस हैं। शानदार क्वालिटी के वीएफएक्स हैं। उच्च स्तर की भव्यता है लेकिन फिर भी कुछ कमी दिखाई देती है। फिल्म ने वर्ल्ड वाइड बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार ओपनिंग ली है।
फिल्म का बजट बहुत हैवी है। इसे बनाने में 1654 करोड़ की लागत आई है। स्पेशल इफेक्ट्स , लोकेशंस और सितारों की महंगी फीस में वह खर्च दिखाई देता है। ड्वेन जॉनसन खुद में बड़ा आकर्षण है। उनके नाम पर थियेटर्स में दर्शक खींचे चले आते हैं। चमक-दमक में तो ये फिल्म बहुत आगे दिखाई देती है लेकिन इसका मूल आधार कमज़ोर दिखाई देता है। ड्वेन जॉनसन के कैरेक्टर में बहुत संभावनाएं छुपी हुई थी। ये कैरेक्टर किसी वैज्ञानिक की लैब से पैदा नहीं हुआ है।
इसकी शक्तियों का स्त्रोत इजिप्ट के देवता है। उसके ब्लैक एडम बनने की प्रक्रिया को दिखाया ही नहीं गया है। या ऐसा कहे कि बहुत जल्दी में निपटा दिया गया है। जब कोई मनुष्य सुपरहीरो बनता है तो उस प्रक्रिया के लिए पूरा एक सीक्वेंस दिया जाता है। इससे फिल्म में दर्शकों की रोचकता बढ़ जाती है। ड्वेन जॉनसन अपने किरदार में फिट हैं लेकिन रुपांतरण नहीं कर सके। एक प्राचीन देवता की इमेज को ब्रेक कर उन्हें पहलवान दिखाई देना अधिक पसंद है। वार्नर ब्रदर्स के मुख्य प्रतिद्व्न्दी मार्वल है।
मार्वल की तरह वे भी एक ‘यूनिवर्स’ विकसित करने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन अब तक अधिक सफलता नहीं मिल सकी है। ‘ब्लैक एडम’ की ओपनिंग देख लगता है कि वार्नर ब्रदर्स अपने सपने को सच करने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। चिंता की बात ये है कि फिल्म में शाजान की प्राचीन कहानी का एसेंस आखिर तक बरक़रार नहीं रह पाता। शाजान प्राचीन मिस्र में एक मजदूर था। राजा के अत्याचारों से तंग आकर लोग विद्रोह कर देते हैं। ब्लैक एडम अत्याचार के प्रति विद्रोह की अग्नि से पैदा हुआ था।
हालांकि फिल्म के अंतिम आधे घंटे में हम परदे पर बस वीएफएक्स युक्त धूम-धड़ाका देखते रहते हैं, जिसमे भावनाओं का मिश्रण नहीं होता। मुझे ऐसा लगता है कि सिनेमा जल्द ही अपनी मूल धारा पर लौट जाएगा। उस सिनेमा में कथा ही सबसे बड़ी स्टार होगी। स्पेशल इफेक्ट्स युक्त फिल्मों का दौर अब अपने सर्वोच्च पर है। यहाँ से नीचे जाने के सिवा कोई मार्ग नहीं होता। इस विधा के सिनेमा के अंत की शुरुआत हो चुकी है। यदि आप अब भी ऐसी फिल्मों से नहीं ऊबे हैं तो इस वीकेंड ड्वेन जॉनसन के लिए थियेटर का रुख कर सकते हैं। वैसे भी ड्वेन को परदे पर देखना खुशनुमा अहसास होता है।