बहुत बड़ा षड्यंत्र चल रहा , हिंदू – धर्म मिटाने का ;
अंतर्राष्ट्रीय साजिश है ये , हिंदू का गला काटने का ।
सबसे पहला इसका मोहरा , गांधी का निर्माण हुआ ;
मजहब वालों ने इसे बनाया , फिर आगे का काम हुआ ।
षड्यंत्र के आकार को समझो , एक पिरामिड जैसा है ;
शीर्षकोण पर “चर्च” है बैठा , व आधार तिकोना है ।
वामी-इस्लामी-फ्री मेजन ही , तीनों कोण जो नीचे हैं ;
ये चारों हिंदू के दुश्मन , इनके विवाद सब पीछे हैं ।
फिर भी इनकी औकात नहीं थी , हिंदू – धर्म मिटाने की ;
इसीलिये तरकीब निकाली , अब्बासी-हिंदू लाने की ।
जितने भी गद्दार हैं हिंदू , उन्हें बनाया अब्बासी-हिंदू ;
महाभ्रष्ट , मक्कार , कुटिल हैं , वे ही हैं सरकारी-हिंदू ।
“स्टॉकहोम-सिंड्रोम” से पीड़ित , जेहादी के गुलाम हैं ;
बलात्कार पीड़िता के वंशज , ये सच्चाई आम है ।
राजनीति ऐसी वैश्या है , रखैल बनाते गुंडे हैं ;
हिंदू – इतिहास को पूरा बदला , ये उनके हथकंडे हैं ।
संविधान पूरा घटिया है , मजहब को सर पर बैठाया ;
मंदिर पर सरकारी कब्जा , हिंदू-धन जजिया में लुटाया ।
चारों कोणों से हमले हो रहे , बीच फंसा हिंदू बेचारा ;
सबसे ऊपर “चर्च की ताकत” , उसने चांदी का जूता मारा ।
धर्म – सनातन से दूर हो रहे , इसी से हिंदू मार खा रहे ;
वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , जेहादी सब हावी हो रहे ।
दिशाहीन असहाय है हिंदू , क्योंकि नेता अब्बासी-हिंदू ;
किंकर्तव्यविमूढ़ है इतना हिंदू , मौत के मुंह में जाता हिंदू ।
बचने का बस यही मार्ग है , कट्टर- हिंदू नेता पाना है ;
केवल “नोटा” में ही ताकत , हिंदू – धर्म बच जाना है ।
हिंदू अपनी ये ताकत पहचाने , “नोटा” हथियार चलाना है ;
आने वाले जितने चुनाव हैं , अब्बासी- हिंदू को हराना है ।
केवल कट्टर – हिंदू जीते , किसी भी दल का या निर्दल हो ;
जहां न हो ऐसा प्रत्याशी , तब केवल नोटा का बटन हो ।
जितने भी मुट्ठी भर जीतें , हिंदू-सरकार ही बनना है ;
हिंदू-सरकार की शक्ति से ही,मजहब का पिरामिड ढहना है।
हिंदू का ब्रह्मास्त्र है “नोटा” , हर – हिंदू को चलाना है ;
“धर्मयुद्ध” जीतेंगे इसी से , हिंदू – राष्ट्र बनाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”