श्वेता पुरोहित। माघ महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी को वसंत पंचमी कहा जाता है। इस दिन बुद्धि की देवी माँ सरस्वती का प्रादुर्भाव हुआ था। इसलिए इस दिन माँ सरस्वती के पूजन का विधान है। गृह प्रवेश से लेकर नए कार्यों की शुरुआत के लिए भी इस तिथि को शुभ माना जाता है।
इस वर्ष,आप जहाँ रहते हैं उसके अनुसार यह त्यौहार १३/१४ फरवरी को पड़ रहा है। वैदिक ज्योतिष में पंचम भाव शिक्षा, विद्या, रचनात्मकता, कला और प्रेम का प्रतीक है। यह सिंह राशि और सिंह के भीतर केतु (अंतर्ज्ञान) द्वारा शासित मघा नक्षत्र से मेल खाता है।
देवी सरस्वती विद्या, ज्ञान, शिक्षा, भाषा, संगीत, कला, विज्ञान और प्रौद्योगिकी की देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं। माँ सरस्वती प्रेम और सभी रूपों में रचनात्मक ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं। ज्योतिषीय दृष्टि से, वसंत पंचमी को नए प्रयास शुरू करने के लिए शुभ माना जाता है।
सरस्वती देवी को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है। संगीत की उत्पत्ति करने के कारण वे संगीत की देवी भी हैं। देवी सरस्वती का वाहन हंस है मोती चुगना उसकी विशेषता है इन गुणों को अपनाकर ब्रह्म पद पाया जाता है !
कंठ में माँ सरस्वती का स्थान है, जहां विशुद्ध चक्र है और जो 16 पंखुड़ियों वाला है। सामान्य तौर पर यदि आपकी ऊर्जा इस चक्र के आसपास एकत्रित है तो आप अति शक्तिशाली होंगे।
इस चक्र का मंत्र है : हं
कैसे जाग्रत करें : कंठ में संयम करने और ध्यान लगाने से यह चक्र जाग्रत होने लगता है।
प्रभाव : इसके जाग्रत होने कर 16 कलाओं और 16 विभूतियों का ज्ञान हो जाता है। इसके जाग्रत होने से जहां भूख और प्यास को रोका जा सकता है वहीं मौसम के प्रभाव को भी रोका जा सकता है।
माँ सरस्वती हाथों में वीणा (lyre) धारण किए होती हैं। वीणा एक ऐसा वाद्य यंत्र है जिसका प्रयोग शास्त्रीय संगीत में किया जाता है, जैसे दुर्गा के हाथों में तलवार, लक्ष्मी के हाथों में कमल का फूल होता है उसी तरह मां सरस्वती के हाथों में वीणा होती है।वीणा शांति, ज्ञान और संगीत का प्रतीक है। सरस्वती और नारद का वीणा वादन तो जगप्रसिद्ध है ही।वीणा के प्रमुख दो प्रकार हैं; रुद्र वीणा और विचित्र वीणा। यह मूलत: ४ तार की होती है, लेकिन यह शुरुआत में यह एक तार की हुआ करती थी। वीणा से निकली ध्वनि मन के तार छेड़ देती है। इसे सुनने से मन और शरीर के सारे रोग मिट जाते हैं। वीणा से ही सितार, गिटार और बैंजो का आविष्कार हुआ।
वसंत पंचमी अनुष्ठान
देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए “ओम् ऐं सरस्वत्ये नमः” मंत्र का 108 बार जाप करें। इससे विशेष रूप से देवी सरस्वती के आशिर्वाद से विद्या और शिक्षा के सभी पहलुओं में वृद्धि होती है।
इस दिन के तेज, चमक और शुभता को आत्मसात करने के लिए पीले रंग के कपड़े पहनें।
सभी प्रयासों में बुद्धि, ज्ञान और रचनात्मकता का आशीर्वाद पाने के लिए देवी सरस्वती को केसर युक्त मीठे चावल चढ़ाएं।
देवी सरस्वती को वाणी प्रदान करने वाली दिव्य ऊर्जा के रूप में प्रतिष्ठित किया जाता है, जैसा कि ज्योतिष में द्वितीय भाव (जो वाणी का भाव है) से दर्शाया जाता है। वसंत पंचमी के दिन कुछ घंटों का मौन रखकर वाणी को शुद्ध करने का एक प्रभावी साधन माना जाता है। इस दिन ध्यान और आध्यात्मिक प्रवचनों में संलग्न रहने से वाणी और धन से जुड़ा दूसरा घर मजबूत होता है।
वसंत पंचमी बच्चों को विद्या और शिक्षा के क्षेत्र में दीक्षित करने के लिए विशेष महत्व रखती है। अक्षर-अभ्यास या विद्या-आरंभ जैसे अनुष्ठान जो उनकी शैक्षिक यात्रा की शुरुआत का प्रतीक हैं, इस शुभ दिन किए जाते हैं।
सरस्वति महाभागे विद्ये कमललोचने
विद्यारूपे विशालाक्षि विद्यां देहि नमोऽस्तु ते ।।
हे महाभाग्यवती ज्ञानरूपा कमल के समान विशाल नेत्र वाली, ज्ञानदात्री सरस्वती ! मुझको विद्या दें, मैं आपको प्रणाम करती हूँ ।
आप सब को वसंत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं। माँ सरस्वती का आशिर्वाद आप के ऊपर सदैव बना रहे