विपुल रेगे। सलमान ख़ान की फिल्म ‘राधे : योर मोस्ट वांटेड भाई’ को देखने के लिए दर्शकों ने इतनी बुकिंग करवाई कि ज़ी5 का सर्वर क्रेश हो गया। इस तथ्य की ख़बरें ओटीटी पर फिल्म की रिलीज के बाद चल पड़ी। शायद पढ़ने वालों को ये समझ आ जाए कि बुकिंग तो कई दिनों से चल रही थी लेकिन सर्वर फिल्म की रिलीज के दिन क्रेश होता है। जबकि नब्बे प्रतिशत दर्शक पिछले दिनों ही बुकिंग करवा चुके थे। राधे को लेकर फिल्म समीक्षकों ने मिश्रित प्रतिक्रियाएं दी है। यदि ये फिल्म हिट भी होती है तो संभवतः सलमान खान की आखिरी सफल फिल्म होगी।
कोरियन फिल्म आउटलॉ की रीमेक हमें देखने को मिलती, तो भी हम संतोष कर लेते। लेकिन यहाँ तो निर्देशक प्रभुदेवा का ज़ोर इस बात पर रहा कि सलमान को सुपरहीरो कैसे दिखाया जाए। राधे कहने भर को आउटलॉ की रीमेक है। वास्तविकता तो ये है कि राधे सलमान की कई हिट फिल्मों का मिक्सचर या एक भद्दा सा कोलाज है।
कथा का सार इतना है कि मुंबई में ड्रग्स का धंधा करने वाली नई गैंग आ गई है। ये गैंग लोगों को निर्ममता से मार देती है। गैंग के सफाए के लिए पुलिस विभाग निलंबित पुलिस अधिकारी राधे को बुलाता है। राधे के आने के बाद गैंगवार शुरु हो जाता है। शुरु में कुछ ठीक दिखाई देती फिल्म शुरुआती आधे घंटे में ही पटरी से जो उतरती है, तो फिर अंत तक चढ़ नहीं पाती।
सलमान ख़ान के कॅरियर के ढलान में उनकी जो फ़िल्में आ रही हैं , बहुत ही स्तरहीन है। सिंहासन बचाने के अति प्रयास में सलमान ने फिल्म का सत्यानाश कर दिया है। उनके प्रशंसक कहते हैं ‘वांटेड की वाइब्स आ रही है।’ भैया दर्शक को वांटेड की वाइब्स नहीं देखनी थी, वह कुछ नयापन चाहता था। फिल्म में कुछ भी अच्छा नहीं है।
लचर स्क्रीनप्ले, कमज़ोर वीएफएक्स, दिशा के साथ सलमान की प्रभावहीन केमेस्ट्री ने फिल्म का दम निकाल दिया। प्रभुदेवा ने फिल्म को अस्सी के दशक का ट्रीटमेंट दिया है। अब दर्शक ये भाईगिरी पसंद नहीं करता। विगत तीन दशक में उसने भाईगिरी पर सैकड़ों फ़िल्में देख ली है। सिर्फ गैंगवार पर ही नहीं बल्कि सुपरकॉप का गन्ना भी फ़िल्मी चक्की में इतना पिसा जा चुका है कि उसमे अब कोई रस नहीं रहा। सलमान अभिनय में एवरेज ही रहे हैं। उनके फ्रेश लुक्स भी वीएफएक्स से बनाए प्रतीत होते हैं।
दिशा पटानी फिल्म में केवल नाच-गाने के लिए हैं। इससे बेहतर अभिनय तो उन्होंने मलंग फिल्म में दिखाया था। उनकी केमेस्ट्री तो टाइगर श्रॉफ जैसे युवा अभिनेताओं के साथ दिखाई देती है। सलमान के साथ उनका ऑन स्क्रीन रोमांस निष्प्राण दिखाई देता है। रणदीप हुड़ा ने अपनी ओर से अच्छा प्रयास किया है। जैकी श्रॉफ ने इस फिल्म में काम करके अपनी छवि को क्षति पहुंचाई है।
उनके जैसे दबंग व्यक्तित्व को फिल्म के एक दृश्य में स्कर्ट पहने देख दुःख हुआ। जैकी एक अच्छे अभिनेता हैं लेकिन उनका किरदार बड़ा ही घटिया बनाया गया है। फिल्म के एक्शन वास्तविक नहीं लगते। उनमें अच्छी एडिटिंग न होने के कारण वे अधूरे से लगते हैं। एक्शन दृश्यों में तारतम्यता नहीं दिखाई देती। फिल्म अंत तक आते आते ऐसी कार बन जाती है, जिसके ब्रेक फेल हो चुके हैं। सलमान खान जीप को उड़ाकर ले जाते हैं और हवा में उड़ते हैलीकॉप्टर में चढ़ जाते हैं।
हैलीकॉप्टर क्रेश होने के बाद सलमान और रणदीप हुडा बिल्कुल चंगे होते हैं, क्योक़ि उनको अंतिम मल्ल युद्ध जो करना होता है। इस फिल्म को देखने के बाद दर्शक इस नतीजे पर पहुँचता है कि सलमान की आयु उनके चेहरे से दिखने लगी है, अब उनको हीरो के किरदार नहीं करना चाहिए, उनके रिफ्लेक्सेस इतने डाउन हो चुके हैं कि वे न डांस कर पाते हैं, न एक्शन।
और अभिनय की तो पूछिए मत, उनका सिंहासन डांस और एक्शन से ही बचा हुआ था। कल तक मीडिया इस फिल्म को ब्लॉकबस्टर बता देगा क्योंकि कथित रुप से ज़ी5 का सर्वर डाउन हो गया था। चलिए ऐसा ही सही कि सलमान खान को दर्शक ने ईदी दे दी।
सलमान इसे इस तरह से ले कि दर्शक ने उन्हें सिंहासन से उतारकर अंतिम बार मिठाई खिलाई है और विदाई दे दी है। अपने प्रिय सुपर स्टार के लिए दर्शक इतना तो कर ही सकते थे। बाकी राधे फिल्म ने सलमान खान का विदाई पत्र स्वयं लिख दिया है। 499 रुपये में दर्शक ने ख़रीदा है सिरदर्द। कुछ तो सेंसेबल कीजिये सर।