रमाशंकर कटारे।उत्तरप्रदेश में भाजपा शीर्ष नेतृत्व और योगी जी में तनातनी के फिर समाचार आ रहे हैं। भाजपा लोकसभा चुनाव से पहले उत्तरप्रदेश में मुस्लिम वोट साधने के लिए योगीजी को हटाकर कोई लिबरल मुख्यमंत्री बनाना चाहती है। कहा जा रहा है कि पहले योगीजी को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर लोकसभा चुनाव लड़ने का प्रस्ताव दिया गया था लेकिन योगीजी ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।
उसके पश्चात उन्हें केंद्र में कोई अति महत्वपूर्ण मंत्रालय देने का प्रस्ताव दिया गया पर योगीजी उससे भी सहमत नहीं हुए।
योगीजी और भाजपा केंद्रीय नेतृत्व की यह अनबन कोई नई नहीं है, 2022 चुनाव के बाद भी भाजपा वहाँ किसी और को मुख्यमंत्री बनाना चाह रही थी पर योगीजी तब भी नहीं माने। फिर उन्हें 8 साल पुराने हेट स्पीच मामले को उठाकर, उमा भारती की तर्ज पर निपटाने की कोशिश की गई, पर भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व तब भी सफल नहीं हुआ।
अभी ज्यादा दबाव को देखते हुए इस बार योगीजी ने भी राजनैतिक दांव खेला दिया। इंडिया स्पीक्स डेली पर संदीप देव जी पिछले तीन सालों से हलाल का मुद्दा उठाते रहे हैं। ISD पर उठे इस विमर्श पर कुछ अन्य यू ट्यूब चैनलों ने भी चर्चा की, पर बाद में उसे बन्द कर दिया।
मोदीजी के नेतृत्व में भाजपा तुष्टिकरण से आगे निकलकर तृप्तिकरण में लगी हुई है जो हिंदुओं के एक बड़े वर्ग को रास नहीं आ रहा है और लोग भाजपा से दूर होने लगे हैं यह योगीजी जान रहे हैं और इसलिए उन्होंने उत्तर प्रदेश में हलाल का दांव खेला दिया। अब यदि भाजपा उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाती है तो सन्देश ये जाएगा कि उन्होंने हलाल के विरुद्ध कार्यवाई की है इसलिए उन्हें हटाया गया है।
योगीजी माफिया, विशेषकर मुस्लिमों के विरुद्ध कार्यवाई, बुलडोजर प्रणाली से लोकप्रिय हुए हैं। अभी उसमें कुछ ढिलाई दिख रही है, जो कहीं न कहीं केंद्र के हस्तक्षेप के कारण हो सकता है, इससे योगीजी की छवि पर भी प्रभाव पड़ा है, अतः योगीजी ने इस बार हलाल का दांव खेला है। इससे केंद्र भाजपा भी असमंजस में है, न वो योगीजी की इस कार्यवाई का समर्थन कर पा रही है न विरोध।