संदीप देव। उप्र के प्रतापगढ़ से एक हृदय विदारक घटना सामने आई है। 28 वर्षीय हिंदू युवक दिलीप को उसका एक जानकार म्लेच्छ परिवार अपनी बहन के जरिए उसे अपने घर बुलाया और बाद में उस लड़की के भाइयों ने मिलकर दिलीप को मार डाला। बताया जा रहा है कि दिलीप उस म्लेच्छ परिवार की लड़की से प्रेम करता था।
आरोप के अनुसार दिलीप पर हिंदू धर्म छोड़ इस्लाम अपना कर अपनी बहन से निकाह करने का दबाव बना रहा था म्लेच्छ परिवार। दिलीप ने जब धर्मांतरण के लिए मना कर दिया तो उसे मार डाला गया।
इस घटना को पढ़कर मुझे दुख भी हुआ और गुस्सा भी आया कि आधुनिक काल में वीर सावरकर अपनी पुस्तक ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ में हिंदुओं को साफ तौर पर समझा कर गये हैं कि म्लेच्छ महिलाएं म्लेच्छ पुरुषों के समान ही कट्टर होती हैं। बल्कि कई बार तो उनसे अधिक कट्टर होती हैं!
अपने शास्त्रों या अपने महापुरुषों के लिखे को न पढ़ने के कारण आज हिंदुओं की न केवल दुर्गति है, बल्कि वह मारा भी जा रहा है!
जिस देश का नाम भारत ही (ज्ञान के प्रकाश में रत) ज्ञान है, जिस देश ने मानव सभ्यता का प्रथम ग्रंथ वेद (विद्’ धातु अर्थात जानना) दिया है, उस देश की पीढ़ी पढ़ने से कैसे कट गई, इस पर कभी सोचा है?
मेरा प्रयास सनातनधर्मियों तक उनके मूल शास्त्रों और अनमोल पुस्तकों को पहुंचाने का है, और यही एक रास्ता हमारे बचने का भी है, अन्यथा हम अगली पीढ़ी को और अपने परिवार को भी नहीं बचा पाएंगे!
सावरकर के विचारों की प्रासंगिकता आज की पीढ़ी के लिए है। इसमें वीर सावरकर के दूरदर्शी ज्ञान के अमूल्य मोती नयी पीढ़ी के लिए दिए गये हैं।
इसके अलावा सावरकर का ‘छह स्वर्णिम पृष्ठ’ भी इस लिंक पर उपलब्ध है। इस पुस्तक में संक्षेप में हमारे सारे इतिहास को वीर सावरकर ने पीरो कर नयी पीढ़ी के लिए दिया है।
अतः पढ़ें, क्योंकि पढ़ेंगे तो ही बचेंगे, अन्यथा ऐसे ही मारे जाते रहेंगे। पढ़ने से ज्ञान तो होता ही है, मित्र और शत्रु बोध भी स्पष्ट हो जाता है!
पुस्तक प्राप्ति लिंक:-
Link: 1) https://www.kapot.in/product/savarkar-vichar-ki-prasangikta-pb/
Link: 2) https://www.kapot.in/product-tag/savarkar-books/
Link: 3) https://www.kapot.in/product/chhaha-swarnim-pristha-pb/