कोरोना वैक्सीन के लॉंच पर माननीय प्रधानमंत्री जी ने पूरे देश को सम्बोधित करते हुये कहा था कि कोरोना के संबंध में शुरुआत से ही उन्होंने साइंस पर विश्वास किया और यही कारण है
कि वे साइंटिफिक तरीक़े से देश में ही तैयार की गई दोनों वैक्सीन जो पूरी तरह सुरक्षित है, देशवासियों को समर्पित कर रहे हैं। इस वैक्सीन के प्रयोग से पूरा देश कोरोना मुक्त हो जायेगा।
उनका विश्वास था कि मेडिकल साइंस से रोज़ी-रोटी कमाने वाले हेल्थ वर्कर्स तथा डॉक्टरों को भी साइंटिफिक तरीक़े से डेवेलप की गई वैक्सीन पर उतना ही भरोसा होगा जितना हमारे प्रधानमंत्री जी को है।
उन्हें यह भी पता था कि पैसे देकर इनमें से कोई भी यह मंगल टीका नहीं लगवायेगा अत: देश के 3 करोड़ स्वास्थ्य कर्मियों को यह टीका मुफ़्त लगाने की सौग़ात दी।
परन्तु यह मिथ्या साबित हुआ और यहॉं तक कि गोदी मीडिया के अनुसार भी लगभग 65% स्वास्थ्य कर्मियों ने शुभ मंगल टीका नाकार दिया है।
अत: मंगल टीके पर विश्वास दिलाने और देश के वैज्ञानिकों का सम्मान बरकरार रखने के लिये अगले चरण में 50 वर्ष से अधिक सभी राजनेता एवं मुख्यमंत्रियों सहित स्वयं प्रधानमंत्री टीका लगवायेंगे।
यह विचार करना आवश्यक है कि जिस देश के नागरिकों ने माननीय प्रधानमंत्री जी के आह्वान पर तीन महीने अपना रोज़गार-धंधा छोड़ देशव्यापी लॉकडाउन का पालन किया, कोरोना वारियर्स के लिये ताली-थाली बजाई, दिये और मोमबत्ती जलाई, पुष्प वर्षा की,
अपने सगे संबंधियों का दाह-संस्कार नहीं किया, बहुत से लोगों ने बिना इलाज के जान गँवाई, दुनिया का सबसे बड़ा पलायन झेला तथा हज़ारों किलोमीटर पैदल मार्च किया,
मास्क लगाया, बार-बार हाथ धोये, सैनेटाइजर लगाया, निरंतर भयभीत करने वाली कॉलर ट्यून सुनी, परन्तु आज वही देशवासी वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं।
पिछले 10 महीनों में क्या हुआ कि सरकार, डी जी सि आई, नीति आयोग के गणमान्य सदस्यों, देश के स्वास्थ्य मंत्री तथा अन्य प्रवक्ताओं द्वारा बार-बार वैक्सीन को 110% सुरक्षित बताये जाने के बावजूद भी देश वैक्सीन लेने को तैयार नहीं है
और परिस्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि स्वयं देश के प्रधानमंत्री को पहले वैक्सीन लगवानी पड़ रही है। मेरे विचार से निम्न कारणों से लोगों में अविश्वास पैदा हुआ होगा-
(1) आज पूरी दुनिया जानती है कि सुरक्षित वैक्सीन बनने में कम से कम 10 वर्ष का समय लगता है अत: 10 महीनों में सुरक्षित वैक्सीन कैसे तैयार हुई ?
(2) कोरोना वाइरस लगातार परिवर्तित हो रहा है अत: कोरोना के पुराने पैरामीटर्स पर तैयार की गई वैक्सीन नये स्ट्रेन पर कैसे कारगर होगी ?
(3) वैक्सीन ना ही कोरोना की दवा है और ना ही इम्यूनिटी बूस्टर। वैक्सीन का काम है इम्यूनिटी को विषाणु विशेष को नष्ट करने हेतु उपयुक्त एन्टीबॉडी का एडवांस में ज्ञान देना। परन्तु मीडिया में वक्तव्य देने वालों ने वैक्सीन को इम्यूनिटी बूस्टर बता कर कनफ्यूजन पैदा कर दिया है।
(4) लोगों को समझ नहीं आ रहा कि कोरोना होने के बाद जिनकी इम्यूनिटी ने प्राकृतिक तरीक़े से एंटीबॉडी बनाना सीख लिया है उन्हें वैक्सीन लेने की क्यों आवश्यकता है ? क्योंकि कोरोना के पूर्व किसी भी अन्य वैक्सीन में ऐसे अनुदेश नहीं थे।
(5) वैज्ञानिकों ने बताया कि कोरोना की एंटीबॉडी शरीर में ज़्यादा समय नहीं रहती अत: वैक्सीन द्वारा बनाई जाने वाली एंटीबॉडी तो और भी जल्दी समाप्त हो जायेगी क्योंकि वैक्सीन द्वारा नियंत्रित संक्रमण ही दिया जाता है।
(6) एक ही व्यक्ति के दुबारा कोरोना संक्रमित होने से यह आशय निकलता है कि कोरोना को रोकने में वैक्सीन कारगर सिद्ध नहीं होगी ।
(7) कोरोना विशेष समित ने सिरम इंस्टीट्यूट द्वारा निर्मित ‘कोवीशील्ड’ तथा भारत बॉयोटेक द्वारा निर्मित ‘कोवैक्सीन’ दोनों को एक ही साथ डी जी सि आई को इमरजेंसी एप्रूवल के लिये भेजा जबकि ‘कोवैक्सीन’ के थर्ड फ़ेज़ के ट्रायल पूरे नहीं हुये थे।
(8) डी जी सि आई ने दो ही दिनों में एक कदम आगे बढ़कर दोनों वैक्सीन को एकसाथ 110% सुरक्षित होने की मुहर लगाकर स्वीकृति प्रदान कर दी ?
(9) सभी को ज्ञात है कि सिरम इंस्टीट्यूट ने 5-6 करोड़ ‘कोवीशील्ड’ वैक्सीन एप्रूवल के पहले ही बना ली थीं। तब तक उनके भी ट्रायल पूरे नहीं हुये थे।
(10) दोनों वैक्सीन का इमरजेंसी प्रयोग हेतु स्वीकृति के पहले ही मैन्यूफ़ैक्चर होने का तात्पर्य यह है कि कोरोना विशेष समिति और डी जी सि आई का एप्रूवल महज औपचारिकता थी।
(11) यह स्पष्ट है कि दोनों संस्थानों को वैक्सीन ख़रीदने का आश्वासन वैक्सीन ट्रायल के पहले ही दिया जा चुका था। अत: वैक्सीन पर संदेह होना स्वाभाविक है।
(12) यदि दोनों वैक्सीन इतनी ही सुरक्षित थीं तो सरकार ने मंगल टीके का शुभारंभ उस समय क्यों नहीं किया जब देश में कोरोना पीक पर था ?
(13) आज जब सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ कोरोना दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है और समाप्त होने की कगार पर है तो सरकार देशव्यापी वैक्सीन लगाने पर क्यों आमादा है ?
(14) देश में कोरोना के प्रति हर्ड इम्यूनिटी प्राकृतिक रूप से डेवलप हो चुकी है और यदि नहीं भी हुई तो वैक्सीन कभी भी हर्ड इम्यूनिटी डेवलप करने में कारगर सिद्ध नहीं होगी क्योंकि वैक्सीन एक ही प्रकार के कोरोना स्ट्रेन के लिये हर्ड इम्यूनिटी बनायेगी।
(15) वैक्सीन से बताये जा रहे तत्कालीन साइड इफ़ेक्ट, साइड इफ़ेक्ट नहीं अपितु वैक्सीन के इफेक्ट हैं। वैक्सीन लेने के पश्चात कुछ स्वास्थ्य कर्मियों की मृत्यु वैक्सीन से नहीं बल्कि हार्ट अटैक ही है।
असली साइड इफेक्ट तो कुछ समय बाद ही पता चलेगा कि इन वैक्सीन ने शरीर के किस अंग को छतिग्रस्त किया क्योंकि वैक्सीन के लॉंगटर्म ट्रायल इमरजेंसी एप्रूवल के तहत बाईपास कर दिये गये हैं।
(16) वैक्सीन का असली साइड इफ़ेक्ट आने में कई साल लग सकते हैं और इसका ज्ञान स्वास्थ्य कर्मियों को है जिसके फलस्वरूप अधिकांश स्वास्थ्य कर्मी वैक्सीन का तिरस्कार कर रहे हैं।
(17) हमारा देश अमेरिका नहीं है जहॉं व्यक्ति के स्वास्थ्य की ज़िम्मेदारी सरकार की हो। हमारे यहॉं स्वास्थ्य समस्याओं के लिये प्रत्येक व्यक्ति स्वयं ज़िम्मेदार है तो समझ नहीं आता कि सरकार कोरोना वैक्सीन को लेकर इतना सक्रिय क्यों है ?
इसके अलावा मुझे ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांश लोगों ने साइंस को लैब के अंदर बंद कर दिया है। हम अब उसी चीज को साइंस या साइंटिफिक मानते हैं जिसे किसी लैब या अनुसंधान केन्द्र में नियुक्ति किये गये वैज्ञानिक द्वारा एक्सपेरिमेंट कर साबित किया गया हो।
इतिहास गवाह है कि कुछ शताब्दियों पहले वैज्ञानिक की नियुक्ति नहीं की जाती थी और साइंस प्रकृति में पाई जाती थी।
उदाहरण के लिये जेम्स वाट, आर्कमिडीज, राइट ब्रदर्स, आइंस्टाइन कोई भी साइंटिस्ट नहीं थे और इनकी साइंस लैब के अंदर नहीं प्रकृति में थी और आज भी वास्तविक साइंस प्रकृति में ही है।
कोरोना एक प्राकृतिक आपदा है और इसलिये इसका उपाय भी प्रकृति में ही है। मैं पिछले 10 महीनों से लगातार यह बताने का प्रयास कर रहा हूँ कि कोरोना की ना कोई दवा बनी है और ना ही बनेगी, ना ही कोई थिरैपी व वैक्सीन कारगर सिद्ध होगी।
कोरोना का एकमात्र उपाय सस्टेन्ड इम्यूनिटी है, जिसमें ‘प्रिवेन्टिका’ बहुत ही कारगर साबित हुई है। नार्मल खानपान, व्यायाम, नींद, आराम तथा तनावमुक्त जीवन के अलावा सुबह-शाम एक ‘प्रिवेन्टिका’ आपको पर्याप्त इम्यूनिटी देने में सझम है
जो आपको केरोना के हर स्ट्रेन से सुरक्षित रखने के अलावा अन्य 19 प्रकार की विभिन्न बीमारियों से भी सुरक्षा प्रदान करती है।
कमाण्डर नरेश कुमार मिश्रा
फाउन्डर ज़ायरोपैथी
टॉल फ़्री-1800-102-1357
ईमेल- kamayninaresh@zyropathy.com
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