विपुल रेगे। ‘आदिपुरुष’ के मेकर्स ने कहा है कि वे फिल्म में कोई बदलाव नहीं करेंगे। टीजर के रिलीज के बाद इसके भारी विरोध के बावजूद निर्माता बदलाव न करने की बात कह रहे हैं। फिल्म के गीतकार मनोज मुंतशिर के बाद निर्देशक ओम राउत कई प्रकार के तर्क देकर विरोध शांत करने के प्रयास कर रहे हैं। हालांकि विरोध की आग बुझती दिखाई नहीं दे रही है। ये देखना दुःखी करने वाला है कि राउत एंड टीम अपनी गलतियों को मानने के बजाय फिल्म रिलीज करने पर अड़ गई है।
आदिपुरुष के विरोध के बाद निर्देशक ओम राउत सामने आए हैं और जनता को भरसक भरोसा दिलाने का प्रयास कर रहे हैं कि उनकी फिल्म में कुछ भी गलत नहीं है। ओम राउत ने एक इंटरव्यू में कहा कि हमारा रावण आज के ज़माने के अनुसार क्रूर है। राउत को कोई ये बताए कि वे वाल्मीकि रामायण पर आधारित फिल्म बना रहे हैं, न कि आधुनिक रामायण।
इस महान काव्य ग्रन्थ के प्रति स्वाभाविक जुड़ाव हर हिन्दू अनुभव करता है क्योंकि अपनी हज़ारों वर्ष की जन्म यात्रा में उसने कभी न कभी राम की भक्ति अवश्य की है। विजयादशमी के अवसर पर वाराणसी में चित्रकूट रामलीला समिति ने भरत मिलाप का मंचन किया था। इस मंचन में इतनी सजीवता थी कि आसपास खड़े दर्शकों की आँखें नम हो गई। हमारे यहाँ राम लीला का मंचन वर्षों से चलता आ रहा है।
किसी राम लीला निर्देशक के मन में ये खुराफाती विचार क्यों नहीं आया कि राम-रावण-हनुमान का गेटअप बदल देते हैं, रामायण के तीन मुख्य आधार स्तंभों की पहचान ही बदल देते हैं। वाराणसी में बैठा एक रामलीला निर्देशक भी जानता है कि रामायण की प्रस्तुति करते समय कोई परिवर्तन नहीं किया जा सकता। बदलाव के प्रश्न पर राउत ने कहा कि वे सभी लोगों के सुझाव नोट कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि अगले वर्ष जनवरी में जब ये फिल्म प्रदर्शित होगी तो लोगों की शिकायतें दूर हो जाएंगी। मुझे लगता है फिल्म में परिवर्तन की मांग को लेकर ओम राउत ने डिप्लोमेटिक जवाब दिया है। वास्तविकता के आधार पर फिल्म में अब कोई बदलाव नहीं किया जा सकेगा। आदिपुरुष की शूटिंग तो पिछले वर्ष फरवरी में ही पूरी हो चुकी है।
लोग जिस बदलाव की मांग कर रहे हैं, वह करने के लिए ओम राउत को अपनी फिल्म का सत्तर प्रतिशत से अधिक हिस्सा पुनः शूट करना पड़ेगा, जिसके लिए फिल्म के निर्माता भूषण कुमार, प्रभास और सैफ अली खान तैयार नहीं होंगे। स्वाभाविक है कि जिन दृश्यों में सैफ और हनुमान का पात्र दिखाई दिए हैं, उन्हें फिर नए गेटअप के साथ शूट करना होगा।
इससे फिल्म का बजट बढ़ेगा और संभव है कि रिलीज डेट भी बढ़ानी पड़ जाए। इसके सिवा निर्देशक के पास और कोई रास्ता भी नहीं है। आदिपुरुष को लेकर जो भी शोर मचा है, आम जनता की ओर से मचाया गया है। इसमें सोशल मीडिया के तथाकथित इन्फ्लुएंसर्स अब तक नहीं उतरे हैं। यहाँ तक की राजनीतीक पार्टियां मौन हैं। भाजपा ने दिखाने के लिए विरोध किया है।
भाजपा इससे अधिक नहीं कर सकती, क्योंकि केंद्र में उनकी ही सरकार है। भाजपा और उससे जुड़े सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर ओम राउत और मनोज मुन्तशिर का विरोध तो कर रहे हैं लेकिन वे सेंसर बोर्ड अध्यक्ष व सूचना व प्रसारण मंत्री के विरुद्ध बोलने से बच रहे हैं। संभवतः उन्हें ऐसे निर्देश दिए गए हैं। इस दौर में हमारे और विश्व के सबसे महान पौराणिक ग्रंथ की ऐसी दुर्गति इससे पहले कभी देखी नहीं गई है।