चाँद चर्चा में है। 22 जुलाई को भारत ने अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ा अहम कदम रख दिया है। चंद्रयान:2 की लॉन्चिंग के साथ ही भारत भविष्य के ‘स्पेस ट्रेड’ का एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी बन गया है। वैसे तो हम आज अंतरिक्ष में एक बड़ी ताकत बन चुके हैं लेकिन अब तक हमने एक भी व्यक्तिगत अभियान लांच नहीं किया था। अब तक भारत ने अंतरिक्ष में अमेरिका और रूस के साथ संयुक्त मिशन ही किये हैं। इस बात के संकेत पहले ही मिल गए थे कि भविष्य में अंतरिक्ष पर कब्जा करने की होड़ और भी तेज़ हो जाएगी। भारत जिस तेज़ी से अंतरिक्ष की दौड़ में आगे बढ़ रहा है, उससे विश्व की महाशक्तियों को चिंता होने लगी है। ये बात भी कम उल्लेखनीय नहीं है कि मोदी सरकार आने के बाद ‘स्पेस ट्रेड’ की ओर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है।
जब सन 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार पटल पर आई तो कुछ ख़ास मंत्रालय प्रधानमंत्री ने अपनी निगरानी में रखे थे। अंतरिक्ष मंत्रालय शुरू से ही मोदी के पास रहा है। दूसरे कार्यकाल में भी मोदी ने इसे अपने पास ही रखा है। बताया जा रहा है कि भारत चाँद पर अपना पहला कदम रखे, इसके लिए प्रधानमंत्री विशेष रूचि ले रहे हैं। उनका विजन दूरदर्शी है। वे जानते हैं कि भविष्य में ‘अंतरिक्ष पर अधिकार’ करना वैश्विक राजनीति में अत्यंत महत्वपूर्ण होने जा रहा है। आज सैटेलाइट पर दुनिया टिकी हुई है और हम तो इस क्षेत्र में इतनी तरक्की कर चुके हैं कि दूसरे देशों के सैटेलाइट अंतरिक्ष में लॉन्च कर रहे हैं।
सन 2017 में भारत ने विभिन्न देशों के 104 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित कर रूस का पुराना कीर्तिमान तोड़ दिया। इससे पहले 2014 में रूस ने एक साथ 37 सैटेलाइट लॉन्च किये थे। उस साल भारत ने इसराइल, कजाकिस्तान , नीदरलैंड, स्विटज़रलैंड और अमरीका के सैटेलाइट लॉन्च किये थे।पिछले साल इसरो ने अपने भू प्रेक्षण उपग्रह ‘हाइपर स्पेक्ट्रल इमेजिंग सैटेलाइट’ की मदद से आठ देशों के 23 सैटेलाइट अंतरिक्ष में स्थापित किये । इनमें 23 सैटेलाइट अमेरिका के थे और अन्य सैटेलाइट ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, कोलंबिया, फिनलैंड, मलेशिया, नीदरलैंड और स्पेन के थे। जबसे हमने मात्र 450 करोड़ की लागत से ‘मंगल मिशन’ सफलतापूर्वक लॉन्च किया तो पूरी दुनिया जान गई कि भारत सस्ते दाम पर उत्क़ष्ट अंतरिक्ष अभियानों को अंजाम दे सकता है। अमेरिका ने इसलिए ही अपने सैटेलाइट भारत से लॉन्च करवाना शुरू किये क्योंकि उसे खुद लॉन्च करने में कहीं अधिक लागत लगानी पड़ती थी।
ये इसरो की जागरूकता है कि हीलियम गैस का रिसाव होने के बाद मिशन को टाल दिया गया था। ये इस बात का प्रमाण है कि चंद्रयान:2 की शत प्रतिशत सफलता के लिए इसरो कितना प्रतिबद्ध है। चंद्रयान-2 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरेगा जहां अभी तक कोई देश नहीं पहुंच पाया है। यहीं वजह है कि अमेरिका, रूस और चीन को भारत से ईर्ष्या होने लगी है। ये मिशन पता लगाएगा कि चाँद पर पानी की मात्रा कितनी है। चाँद की जमीन के भीतर खनिज और रसायनों का पता लगाएगा। लगभग 3,850 किलो वजनी अंतरिक्षयान ऑर्बिटर,विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर के साथ उड़ान भरेगा। ये अपनी यात्रा पूरी करने के लिए 54 दिन का समय लेगा।
22 तारीख की दोपहर भारत अंतरिक्ष में नई छलांग लगाने में सफल रहा है। ये छलांग हर भारतवासी को अनुभव करना चाहिए। भारत शनैः शनैः अपनी उस वास्तविक पोजीशन को हासिल करने की ओर बढ़ रहा है, जिस पर हम प्राचीन काल में आसीन थे। हमें ब्रम्हांड के सभी रहस्यों का ज्ञान था। हम सूर्य और चंद्र ग्रहण के बारे में पहले ही बता सकते थे। आर्यभट्ट का भारत पुनः जीवित हो रहा है। 22 जुलाई भारतवर्ष के इतिहास में एक महत्वपूर्ण तारीख सिद्ध होगी।