विपुल रेगे। ब्रितानी शासन की क्रूरता वास्तविक ढंग से प्रस्तुत करने वाली फ़िल्में बहुत कम बनी है।अधिकांश फ़िल्में ब्रिटिश सोच को छुए बिना सतही रुप से प्रस्तुत होती रही है। भारतीयों को दास समझने वाली सामंती ब्रिटिश सोच एस.एस.राजामौली की आर आर आर में लहू की भांति टपकती है, रिसती है। ये राजामौली का भव्य सिनेमा है। इसका सम्मोहन विलक्षण है। इसका कैनवास अत्यंत विशाल और भव्य है, जिस पर राजामौली ने कुशल चित्रकार की भांति दो क्रांतिवीरों का सुंदर और मार्मिक पोट्रेट बनाया है।
एक अंग्रेज अधिकारी स्कॉट एक गोंड भील जाति की आठ वर्षीय बालिका को दो पैसों में खरीद कर अपने भव्य एम्पायर में ले गया है। वह साँस लेती छोटी सी बच्ची उसके लिए एक एंटीक वस्तु है। अंग्रेज अधिकारी की पत्नी लेडी स्कॉट को बच्ची मल्ली की चित्रकारी अत्यंत प्रिय है, जो वह उसके हाथों पर बनाती है। बच्ची को वापस लाने के लिए उसी कबीले का एक युवा कोमाराम भीम उठ खड़ा होता है।
मल्ली और कोमाराम भीम के बीच बैरियर बनकर खड़ा है अंग्रेज़ों का विश्वासपात्र अधिकारी अल्लूरी सीताराम राजू। राजामौली ने इस कथा के ढांचे पर बहुत मनोरंजक फिल्म का निर्माण किया है। उनके जैसा स्टोरीटेलर आज भारत में कहीं नहीं है। राजामौली की इस प्रस्तुति के किस-किस डिपार्टमेंट की प्रशंसा की जाए, यहाँ तो सब कुछ बेजोड़ है।
राजामौली की विशेषता है कि वे अपने पात्रों की कैरेक्टर बिल्डिंग के लिए अनुपम दृश्य रचते हैं। आर आर आर में भी वहीं बात दिखाई देती है। अल्लूरी की कैरेक्टर बिल्डिंग वे एक गजब के एक्शन सीक्वेंस से करते हैं। लाजपत राय की गिरफ्तारी के विरोध में सैकड़ों आंदोलनकारियों ने थाना घेर लिया है। एक आंदोलनकारी पुलिस का मज़ाक बनाता है।
अंग्रेज़ अधिकारी आदेश देता है कि उसे गिरफ्तार कर थाने में लाया जाए। भीड़ देखकर किसी का साहस नहीं होता लेकिन अल्लूरी भीड़ के बीच कूद पड़ता है। ऐसे ही कोमाराम भीम के चरित्र को राजामौली ने एक ही सीक्वेंस में दर्शकों को एक्सप्लेन कर दिया है। कोमाराम की एंट्री एक शेर से लड़ाई के दौरान होती है। राजामौली की तकनीकी टीम ने फिल्म को शत-प्रतिशत दिया है।
सेंथिल कुमार की सिनेमेटोग्राफी अत्यंत भव्य है। आर आर आर के वीएफएक्स की बात करना बहुत आवश्यक है। आर आर आर के वीएफएक्स के लिए दस लोगों की टीम बनाई गई थी। फिल्म में वीएफएक्स का हैवी उपयोग किया गया है। पूरी फिल्म एक से एक एक्शन सीक्वेंस से भरी पड़ी है। राजामौली ने जहाँ तकनीक में सुंदर कार्य किया है, वही इमोशंस से भी दर्शक को छुआ है।
कोमाराम और मल्ली की बॉन्डिंग परदे पर झलकती है। कोमाराम और अल्लूरी की मित्रता में बेहतर केमेस्ट्री दिखाई देती है। रामचरण तेजा और जूनियर एनटीआर ने संतुलित अभिनय किया है। इन दोनों पर ही ये फिल्म टिकी हुई है। अजय देवगन को एक पूरा एक्शन सीक्वेंस दिया गया है। उन्होंने तन्मयता से अपना किरदार निभाया है। रामायण के रुपकों का विलक्षण प्रयोग इस फिल्म में देखने को मिला है।
एक दृश्य में श्रीराम की मूर्ति उनके धनुष-बाण के साथ दिखाई गई है। ये दृश्य बहुत सुंदरता के साथ फिल्माया गया है। आलिया भट्ट को कम फोकस दिया गया है। वे परदे पर बमुश्किल पंद्रह से बीस मिनट ही दिखाई देती है। कोमाराम और एक ब्रिटिश युवती का लव एंगल स्वाभाविक नहीं लगता है। इस पर राजामौली ने होमवर्क नहीं किया। अपितु कुछ छोटी कमियों के साथ आर आर आर बड़े परदे का दैत्य सिद्ध हो रही है।
संपूर्ण देश में फिल्म को तगड़ा रिस्पॉन्स मिला है। फिल्म की बुकिंग ही पचास करोड़ का आंकड़ा पार कर गई थी। अनुमान है कि आर आर आर अपने पहले दिन ओपनिंग का नया कीर्तिमान स्थापित करेगी। इसका पहले दिन का कलेक्शन ही 150 करोड़ से पार होने की पूर्ण संभावनाएं दिख रही हैं। आर आर आर एक बुलडोजर है। इस बुलडोजर द्वारा बॉक्स ऑफिस रौंद दिया गया है।
तीन घंटे की ये फिल्म पहले दिन ही ब्लॉकबस्टर होती दिखाई दे रही है। फिल्म में कोई आपत्तिजनक दृश्य नहीं है। इसे सपरिवार बैठकर देखा जा सकता है। इस सप्ताहांत आर आर आर का उन्माद आकाश छुएगा। आप भी इस उन्माद में प्रसन्नता से सम्मिलित हो सकते हैं। राजामौली आपको आपके टिकट के मूल्य से दुगना मनोरंजन देते हैं।