लूट – खसोट , हत्या , दुष्कर्म , जिन लोगों में जायज है ;
उनको सख्त से सख्त सजा हो , क्योंकि ये नाजायज है ।
बस इसमें केवल एक ही मुश्किल , देश का नेता कायर है ;
गांधीवाद है कचरा गाड़ी , जिसका घिसा हुआ टायर है ।
घिसा हुआ ये टायर फेंको , कचरा गाड़ी को आग लगाओ ;
सदियों खून का घूंट पिया है , देश को हिंदू- राष्ट्र बनाओ ।
मजहबवालों के कितने राष्ट्र हैं?अपना भी एक राष्ट्र बनाओ;
जो भी हिंदू के दुश्मन हैं , धर्म- सनातन से उन्हें हराओ ।
सारे हिंदू एक राय हों , अपना वोट किसे देना है ?
जो भी हिंदू – राष्ट्र बनाये , देश की सत्ता देना है ।
इस मुद्दे पर ही चुनाव हो , तनिक भी नहीं हटना है ;
हर हाल में हिंदू – राष्ट्र बनाओ , जरा भी नहीं डिगना है ।
अबकी चूके तो फिर डूबे , इससे नहीं उबरना है ;
आर – पार का धर्म – युद्ध है , हमको इसे जीतना है ।
धर्म – सनातन शक्ति हमारी , हर हाल में हम ही जीतेंगे ;
हम , धोखे से डंसने वाले नागों के फन , कुचलेंगे ।
सदियों हमने धोखा खाया और नहीं अब खायेंगे ;
वामी ,कामी ,जिम्मी ,सेक्युलर , अब सब मुँह की खायेंगे ।
धर्म – सनातन किया प्रदूषित , पाखंडी कथावाचकों ने ;
धर्मगुरु का वेश बनाकर , डालर – दीनारी बाबाओं ने ।
धर्म – सनातन हिंदू जाने , स्वयं ही शास्त्र का मनन करो ;
रामायण ,गीता, महाभारत , घर में लाकरके पठन करो ।
हिंदू जब ये करने लगेगा , चमत्कार हो जायेगा ;
कायर और नपुंसक – नेता , छूमंतर हो जायेगा ।
धर्मनिष्ठ जब हिंदू होंगे , नेता भी वैसे आयेंगे ;
यूपी या आसाम के जैसे , सत्यनिष्ठ नेता आयेंगे ।
चरित्रवान व परम – साहसी , देश के जब नेता होंगे ;
शाहीन बाग की ऐसी – तैसी , रोड-जाम तक कहीं न होंगे ।
सबका विश्वास है हवा – हवाई , डीएनए भी है बेमानी ;
तुष्टीकरण हलाहल जानो , अल्पसंख्यकवाद है बेईमानी ।
सत्यनिष्ठ ही धर्मनिष्ठ है , राष्ट्रनिष्ठ कहलाता है ;
मानव – धर्म का शासन होकर , हिंदू- राष्ट्र बन जाता है ।
हिंदू – राष्ट्र की अंतिम परिणति , राम – राज्य में होती है ;
सारा – विश्व शांति पाता है , बस मानवता होती है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”
रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”