विनीत नारायण। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी आपसे पहले किसी प्रधानमंत्री ने विधान सभा चुनावों में इतनी मेहनत नहीं की । वो सब तो एक – दो रैली किया करते थे। प्रांतीय चुनाव प्रांतीय नेताओं के नेतृत्व में लड़े जाते रहे हैं।
पर आप आग में झुलसते मणिपुर तो नहीं गये जबकि आपने वहाँ अगले 25 बरस तक शांति स्थापित करने का वायदा करके वोट माँगे थे। वहाँ आपकी सरकार ही है।
लेकिन कर्नाटक चुनाव प्रचार के लिए आपने 8 बार कर्नाटक की यात्राएँ कीं, 19 रैलियां की, 6 रोड शो किये, एक मेगा रोड शो तो आपने 26 किलोमीटर लंबा किया, आपका मीडिया मैनेजमेंट भी टॉप क्लास था, बीजेपी की आईटी सेल तो रात दिन वहाँ आक्रामक थी ही, प्रमोशन, प्रचार और जनसंपर्क में आपके दल का कोई मुक़ाबला नहीं कर सकता। आप पर बीजेपी की तरफ़ से करोड़ों रुपये के फूल भी बरसाये गये।
आपकी इन राजनैतिक यात्राओं पर जनता का भी अरबों रुपया खर्च हुआ होगा ?
परिणाम बीजेपी को कांग्रेस के मुक़ाबले आधी भी सीट नहीं मिलीं।ऐसा ही अन्य प्रांतों के चुनावों में भी हुआ ,फिर इतनी क़वायद का क्या लाभ ? भविष्य में आप अपने पद की गरिमा के अनुसार ही ये सब करें और उसी अनुसार अपने भाषणों में गरिमामय भाषा का प्रयोग किया करें तो बेहतर रहेगा, बाक़ी आपकी मर्ज़ी !