एकम् सनातन भारत को लाकर
अब्बासी – हिंदू बना रहा है , भारत को कंगला – नाकारा ;
अस्सी-करोड़ को मुफ्त का गल्ला , मेहनतकश को बेचारा ।
सोच है इसकी कितनी गंदी ? वोटो के बदले रिश्वत देता ;
खुद भी देश को बेच-बेचकर , पुरस्कार की रिश्वत लेता ।
न्यू वर्ल्ड-ऑर्डर का दलाल है , हिंदू – धर्म मिटाना चाहे ;
अस्सी-प्रतिशत आबादी को , दुनिया से मिटवाना चाहें ।
खतरनाक इसका एजेंडा , अब्राहमिकों का एजेंडा है ;
उनके हाथों बिका हुआ है , ब्लैकमेल का पूरा डंडा है ।
काले-अध्यायों से भरा पड़ा है,अब्बासी-हिंदू का पूरा जीवन ;
शायद बहुत अनैतिक जीवन , अब भी नहीं है सुन्दर जीवन ।
मैं – मैं करके मिमआता है , जैसे भेड़-बकरी का बच्चा ;
लफ्फाजी और जुमलेबाजी, एक-प्रतिशत भी नहीं है सच्चा ।
रंगा – सियार है पूरा-पूरा , धोखे से गद्दी हथियायी ;
सारी पोल खुल चुकी इसकी , पर शर्म जरा भी न आयी ।
ढोल के सारे साथी डंडा , चालीस – चोरों का साथ है ;
इसकी लंका के सभी – राक्षस , पूरे बावन – हाथ हैं ।
कार्य हैं इनके धर्म – विरोधी , देश – विरोधी भी हैं कृत्य ;
वीभत्स-स्वार्थ इतना अंदर तक , गद्दारी की सीमा तक ।
लोकतंत्र की हर – अच्छाई , इन लोगों ने मिटा डाली है ;
संविधान की अब बारी है , काट रहे अंतिम – डाली है ।
अक्षयवट वृक्ष की भाॅंति है भारत , काशी में कटवा डाला ;
बुलडोजर से गहरा खुदवाकर , जड़ समेत उखड़ा डाला ।
कान खोल कर हिंदू ! सुन लो , यही हश्र तेरा होगा ;
अब्बासी-हिंदू बना रहा तो , निश्चित कालकवलित होगा ।
पर अब भी हिंदू की आंखों में ,अज्ञान का पर्दा पड़ा हुआ है ;
ये पर्दा यदि नहीं हटा तो , हिंदू ! तू पूरा मिटा हुआ है ।
अब हिंदू को तय करना है , क्या अब उसको करना है ;
अपना जीवन उसे बचाना , या फिर उसको मरना है ।
विकल्पहीन अब नहीं है हिंदू ! हिंदू-वादी एक दल आया ;
धर्म-सनातन से संचालित , “एकम् सनातन भारत” आया ।
सर्वश्रेष्ठ-मानव जब हिंदू ! तब जीवन भी सर्वश्रेष्ठ पाना है ;
“एकम् सनातन भारत” को लाकर ,”राम-राज्य” को लाना है ।
“राम-राज्य” पाना है संभव , धर्मनिष्ठ – सरकार बनाओ ;
धर्म-विरोधी दुष्ट जो नेता , अबकी चुनाव में उन्हें हराओ ।
“राम-राज्य” केवल ला सकता , “एकम् सनातन भारत” दल ;
चरित्रवान है कार्यकारिणी , धर्म – सनातन का सम्बल ।