अंकुर शर्मा ! जल्दी आओ , “इकजुट-भारत” ले आओ ;
परमदुष्ट अब्बासी-हिंदू , इससे भारत को मुक्त कराओ ।
हिंदू होने की सजा गुलामी , अब्बासी -हिंदू के राज में ;
लगातार अन्याय हो रहा , हिंदू संग भारत – राज्य में ।
मूढ बना रखा हिंदू को , गंदी – शिक्षा झूठा – इतिहास ;
मंदिर पर सरकारी कब्जा , धूमिल कर दी पूरी आस ।
किसी तरह से बस जिंदा था, अब अस्तित्व पे बन आयी ;
सामूहिक नरसंहार हो रहे , लाशें कितने टुकड़ों में आयीं ।
कानून- व्यवस्था पूर्ण ध्वस्त है , गुंडों को संरक्षण है ;
सरकारें डरतीं गुंडों से , कैसी ये बात विलक्षण है ?
सबसे गंदी- राजनीति है , दुनिया भर में भारत की ;
नब्बे-प्रतिशत चरित्रहीन हैं , राजनीति में भारत की ।
फर्जी है कानून – व्यवस्था , पूरा गुंडाराज है ;
असली – शासन है गुंडों का , बादशाह बेताज हैं ।
हिंदू अब तक विकल्पहीन है , इसीलिये लाचार है ;
अब आयेगा “इकजुट-भारत” , लेता ये आकार है ।
उल्टी गिनती शुरू हो चुकी , अब्बासी-हिंदू के अंत की ;
अब्बासी-हिंदू के साथ-साथ , गुंडागर्दी के अंत की ।
राष्ट्रनीति की लहर उठ रही , जम्मू से शुरुआत है ;
सन चौबीस के आते-आते , गुंडों को आघात है ।
गुंडों का पूरा गुलाम है , भारत का अब्बासी – हिंदू ;
“इकजुट-भारत” को सत्ता देकर,इसका अंत करेगा हिंदू ।
देश की जिम्मेदारी पूरी , “अंकुर शर्मा” के कंधों पर ;
पूरी-पूरी लगाम लगेगी , गुंडों के पाप के धंधों पर ।
हिंदू तजो निराशा अपनी , धर्म – सनातन में आओ ;
गांधी की कायरता छोड़ो , अपना साहस शौर्य जगाओ ।
धर्म और मजहब को जानो , शत्रुबोध जागृत कर लो ;
अब्बासी-हिंदू धोखेबाज है , उससे पूर्ण किनारा कर लो ।
हिंदू-धर्म का जानी दुश्मन , वो तो है अब्बासी – हिंदू ;
इसको धूल धूसरित करके,”इकजुट-भारत” लायेगा हिंदू ।
इकजुट-जम्मू , इकजुट-हिंदू ,”इकजुट-भारत” ले आओ ;
मानवता की रक्षा करने , देश को “हिंदू-राष्ट्र” बनाओ ।
अबकी बार जो हिंदू चूका , तो सब कुछ मिट जाना है ;
“अंकुर शर्मा” देर न करना , “इकजुट-भारत” लाना है ।
“जय हिंदू-राष्ट्र”,रचनाकार : ब्रजेश सिंह सेंगर “विधिज्ञ”