‘कश्मीर फाईल फिल्म से उत्पन्न हिंदूभावनाओं के उफान का राजनीतिक लाभ लेने के लिए भारत सरकार खुल कर सामने आई थी, लेकिन आज अपने ही प्लेटफार्म से कश्मीर फाईल को गाली दिलवा कर सरकार ने यह साबित कर दिया कि उसे प्रचार का लाभ लेना था। हिंदू संहार की आहत भावनाओं से उसे कोई खास लेना-देना नहीं था!
इंडियन फिल्म फेस्टिवल में सरकार ने हिंदू विरोधी इजराइली फिल्मकार #NadavLapid को ज्यूरी हेड बनाया ही क्यों जबकि उसका इतिहास सबको पता है?
सरकार कभी हिन्दू विरोधी देवदत्त पटनायक को ‘यूथ फेस्टिवल’ में गेस्ट बनाती है, कभी ‘खेलो इंडिया’ में आमिर खान को और अब फिल्म फेस्टिवल में लैपिड को! विरोधियों से सर्टिफाइड होने की इनकी कुंठा इतने साल शासन के बाद भी नहीं जा रही है!
मैंने उस समय सरकार की मंशा को भांप कर यह जब लिखा था तो ‘अब्बासी हिंदू’ मेरा विरोध करने के लिए उतर आए थे। सरकारी पर्चा फेसबुक पर छापने वाले ‘सरकारी हिंदुओं’ की दुर्गति यह सरकार ही बार-बार कर देती है, लेकिन ये बेशर्म अपनी निर्लज्ज हरकतों से बाज नहीं आते!
आज #NadavLapid ने कश्मीरी फाईल को सरकार के प्लेटफार्म से प्रोपोगंडा और वल्गर मूवी फिल्म कह दिया और मंच पर हमारे सूचना प्रसारण मंत्री खीसें निपोरते रहे!
लैपिड प्रो-फिलिस्तीन और एंटी इजरायल वैश्विक प्रोपोगंडा का पार्ट है। यह जानते हुए भी मोदी सरकार ने उसे #IFFI2022 का ज्यूरी हेड बनाया! इससे बड़ी आत्महीनता इस सरकार की और क्या होगी? जानबूझकर अरब को खुश करने का खेल खेला गया है शायद!
क्या हमारी सरकार लैपिड जैसों को कहेगी कि हिटलर के यहूदी संहार पर बनी ‘सिंडलर्स लिस्ट’ जैसी फिल्मों को प्रोपोगंडा कह कर तो दिखाओ?