मार्वल स्टूडियो की ‘एवेंजर्स – एंड गेम’ देखने का अहसास ऐसा है, मानो सदियों लम्बे सपने से जागना। यकीन मानिये, सन 2008 से चला आ रहा ये खूबसूरत ख़्वाब टूटे, ऐसा दर्शक कभी नहीं चाहता था। सुपर हीरोज का ये तिलस्म शुक्रवार की सुबह टूट गया। ग्यारह साल का ये जादुई तिलस्म खूबसूरती के साथ तोड़ा गया है। इस सीरीज की जितनी भव्य शुरुआत की गई थी, उससे भी अधिक भव्यता के साथ इसे अंत किया गया है। फिल्म विधा में ऐसे परफेक्शन कम ही देखने को मिलते हैं। थियेटर से बाहर आता दर्शक अपने साथ एक उम्मीद लेकर आता है। बच्चे एक प्रेरणा लेकर लौटते हैं कि ‘जो शुरू हुआ है, उसका अंत अवश्य होगा और विध्वंस में ही सृजन के फूल खिलते हैं।’
फिल्म के पहले पार्ट ‘इन्फिनिटी वॉर’ में ब्रम्हांड के सबसे बड़े खलनायक थैनोस ने सारे चमत्कारी पत्थर हासिल कर ब्रम्हांड का संतुलन बिगाड़ दिया था। थॉर के घातक हमले से घायल होकर थैनोस किसी गुप्त जगह पर जाकर छुप गया था। इधर आधे सुपरहीरो विदा हो चुके हैं और एवेंजर्स के सामने उन्हें वापस लाने की चुनौती है साथ ही ब्रम्हांड के संतुलन को कायम रखना भी आवश्यक है। ‘एंड गेम’ में मुश्किल का हल ‘टाइम ट्रेवल’ में दिखाई देता है। आयडिया ये है कि समय में पीछे जाकर वे पत्थर दुबारा हासिल कर लिए जाए। फिल्म रोचक ढंग से आगे बढ़ती है और हर पल गियर बदलते हुए दर्शक को सुपर स्पीड जर्नी पर ले जाती है।
फिल्म का पिछला भाग नाउम्मीदी पर खत्म हुआ था और ये वाला भाग भी नाउम्मीदी से ही शुरू होता है। निर्देशक ने हारे हुए सुपरहीरोज का नैराश्य क्या खूब दिखाया है। उम्मीद खो बैठा थॉर बियर पी पीकर तोंद बढ़ा चुका है। आयरन मैन एक आम इंसान की तरह अपने बेटी के साथ रह रहा है। कैप्टन अमेरिका को लड़ाई के लिए कोई साथ नहीं मिल रहा। हल्क ने जेनेटिक परिवर्तन कर अपने दानवी और मानवी रूप को एक कर लिया है। शुरूआती आधे घंटे की फिल्म देखकर लगता है कि निर्देशक चूक रहा है लेकिन आगे जो परिस्थितियां आती हैं, वह दर्शक को सीट से जकड़ कर रख देती है। दिल छू लेने वाले सीक्वेंस, आँखों को सुकून देते भव्य लोकेशंस, शार्प और अचूक थ्रीडी, अतुलनीय कम्प्यूटर ग्राफिक्स की सुंदर जुगलबंदी मुंह से वाह निकालने को मजबूर कर देती है।
रॉबर्ट डाउनी जूनियर, स्कारलेट जोहानसन, क्रिस इवांस और जोश ब्रोलिन की अदाकारी सबसे मोहक है। ख़ास तौर से रॉबर्ट डाउनी जूनियर और थैनोस का किरदार करने वाले जोश ने तो कमाल का अभिनय किया है। बाकी अदाकारों ने बेहतर किया है लेकिन हल्क का किरदार निभा रहे मार्क रुफ्फालो ने निराश किया है। उनका परफॉर्मेंस बिलो एवरेज रहा है। निर्देशक एंथोनी रूसो और जो रूसो की जोड़ी कसौटी पर खरी उतरती है।
जितना भव्य निर्माण, उतनी ही मेहनत स्क्रीनप्ले पर भी की गई है। फिल्म के हर डिपार्टमेंट पर निर्देशक जोड़ी की पकड़ दिखाई देती है। उन्होंने एवेंजर्स को सम्मानजनक विदाई दी है। भारत में दर्शकों ने एंडगेम को हाथोहाथ लिया है। पिछले दिनों एवेंजर्स के निर्देशक रूसो भारत आए थे और एवेंजर पॉल रुड का वीडियो मैसेज उनके भारतीय प्रशंसकों को दिखाया था। दीवानगी का आलम ये है कि टिकट की कीमत 2500 रूपये तक जा पहुंची है। रिलीज के पहले दिन फिल्म ने भारत में लगभग पचास करोड़ का कारोबार कर रिकार्ड बना दिया है। विश्वभर में इसकी पहले दिन की कमाई एक हज़ार करोड़ के आसपास आंकी जा रही है। भारत में ज्यादातर दर्शक 15 से 20 साल के एजग्रुप के हैं, जिनका एवेंजर्स से कॉमिक्स का नाता है।
थैनोस का अंत देखने के लिए दीवानगी ऐसी है कि रविवार तक की टिकट मिलना मुश्किल हो रहा है।इस वीकेंड पर एवेंजर्स के लिए टिकट कटाने में नुकसान नहीं है। एवेंजर्स फैन जल्द से जल्द ये शानदार फिल्म देख लेना चाहते हैं। निश्चित रूप से फिल्म कमाई के सारे कीर्तिमान ध्वस्त करने जा रही है। न बॉलीवुड में, न दुनिया में फ़िलहाल कोई फिल्म इसका मुकाबला करने में सक्षम है।
थैनोस के अंत के साथ दर्शक एक दुःख भी साथ लेकर आता है। एवेंजर्स आइरन मैन के साथ शुरू हुई थी और इसका अंत भी आइरन मैन के साथ ही होता है। फिल्म एक सटीक सन्देश देती है कि ‘विध्वंस में ही सृजन के बीज प्रस्फुटित होते हैं। आशा की एक किरण सम्पूर्ण ब्रम्हांड को बुराई के अँधेरे से मुक्त कर सकती है।