एक लड़का नेक था होशियार था हर काम में ,
एक ही हीरा मिला था कोयले की खान में l
बॉलीवुड की गंदगी से दूर था ,
ऐसा हीरा था कि जो कोहिनूर था l
उसकी चाहत थी बहुत ऊंचाई में ,
उसकी फितरत थी हर एक अच्छाई में l
हर जरूरतमंद के वह साथ था ,
उसका हर साथी के सर पर हाथ था l
पर बॉलीवुड की काली छाया ,
गंदे लोगों की वह माया l
हीरे की उस रोशनी में खान के कोयले जल गए ,
बुझाने उस रोशनी को सारे कोयले मिल गए l
खान के कोयलो’ने साजिश रची विषकन्या भेज दी ,
विश्व कन्या के साथ थे अंधेर नगरी के चौपट सभी l
विषकन्या ने जादू चलाया अपने मायाजाल में ,
सीधा सच्चा हीरा फंस गया उस जाल में l
पहले लूटी सारी दौलत फिर जान पर आ गई ,
इस तरह विषकन्या उस हीरे को खा गई l
हीरे की इस मौत से गमगीन भारतवर्ष है ,
इंसाफ पाने के लिए सब का यही निष्कर्ष है l
बहिष्कार कर दो नष्ट कर दो कोयले की खान को ,
विषकन्या भी कोसे सदा उस कोयलेकी खान को l
कोयले की आग में अंधेर नगरी भी जले ,
शायद तभी इंसाफ हीरे को मिले l
जय हिंद l
रचयिता :बृजेश सिंह सेंगर ” विधिज्ञ”