दिल्ली दंगे! जी हाँ वही दिल्ली दंगे जिन्होनें हमारे देश की पहचान पर एक वार किया. राष्ट्रपति ट्रम्प के आगमन पर दिल्ली को खून से नहलाने की साज़िश हुई और वह साज़िश सफल भी हुई. जब दिल्ली में दंगे हो रहे थे, उन दिनों दिल्ली को जलाने वालों को एक नाम मिला, और वह थे भाजपा नेता कपिल मिश्रा! कपिल मिश्रा ने क्या कहा था! उन्होंने शाहीन बाग़ में चल रहे उस आन्दोलन के बारे में अपने विचार रखे थे जिस आन्दोलन ने लाखों लोगो को कई तरह के संकटों में डाल दिया था.
[embedyt] https://www.youtube.com/watch?v=Jmfd_82h0lA[/embedyt]वह एक ऐसा आन्दोलन था जो इस देश की सर्वोच्च संस्था संसद पर हमला था. वही शाहीन बाग़, जिसे प्रयोग कहा जा सकता है कि कैसे एक देश की सर्वोच्च संस्था द्वारा सर्वसम्मति से पारित विधेयक को बंधक बनाकर ख़ारिज किया जा रहा था. यह वही शाहीन बाग़ था जिस प्रयोग को सफल बनाने के बाद Bloomsbury Publishing India से इस आन्दोलन के पक्ष में एक पुस्तक आई Shaheen Bagh, From a Protest to a Movement, जिसे जिया उस सलाम और उज़मा औसफ ने लिखा था. और जिसमें इस आन्दोलन की एक एक बात कि कैसे एक विरोध प्रदर्शन एक आन्दोलन बन गया.
Bloomsbury Publishing India उस समय लिब्रल्स की नजर में उदार प्रकाशक था. मगर क्या प्रकाशक केवल एक ही विचार प्रकाशित करे? यह सवाल उभर कर आया है! सवाल इसलिए क्योंकि आज शाम को ब्लूम्सबरी एक किताब की ई-लांचिंग करने जा रहा है और वह किताब है दिल्ली दंगों के षड्यंत्रों की बखिया उधेड़ती हुई रिपोर्ट! किताब है Delhi Riots Untold Story 2020! और उसके विमोचन में शामिल हैं, विवेक अग्निहोत्री, जिन्होनें अर्बन नक्सल्स लिखकर पूरे नेक्सस के विषय में बताया था कि यह कैसे काम करता है! और ऑप इंडिया की नुपुर शर्मा, मगर सबसे ज्यादा जिस नाम को लेकर पूरा रुदाली गैंग भडका हुआ है वह है कपिल मिश्रा!
जी हाँ, वही कपिल मिश्रा जिनके खिलाफ पूरे गैंग ने एडी चोटी का जोर लगा दिया था, कि दिल्ली दंगे कपिल मिश्रा के भड़काऊ बयान के बाद शुरू हुए! मगर यह पूरा का पूरा गैंग इस बात को भूल जाता है कि न्यायालय ने कपिल मिश्रा के बयानों को भड़काऊ नहीं माना है.
शाहीन बाग़ में हिन्दुओं के खिलाफ दिए गए सारे बयान और सारे कदम यदि उस प्रकाशक के पास से आते हैं तो सेक्युलर हैं मगर दिल्ली दंगों में पब्लिक डोमेन में मौजूद और दिल्ली पुलिस की चार्जशीट के आधार पर कोई किताब आती है तो #ShameOnBloomsbury. यह शेम ऑन ब्लूम्सबरी क्यों? ट्विटर के साथ साथ फेसबुक पर यह अभियान चला रखा है, Shame On Bloomsbury? आखिर किस बात की शर्म? क्या अब यह मक्कार और रुदाली गैंग अपनी हेकड़ी प्रकाशकों पर भी चलाएगा?
जब हमने इस विषय में प्रकाशक का पक्ष जानना चाहा तो उनका कहना है कि हमारे पास जो भी प्रस्ताव आता है, पहले हम उसकी लीगैलिटी जांचते हैं, हमारी लीगल टीम उसे पढ़ती है, फिर हम देखते हैं कि जो भी हमारे पास प्रपोजल आया है क्या उससे जुडी हुई चीज़ें पब्लिक डोमेन में हैं या नहीं? क्या तथ्यों के साथ उनके दावे के दस्तावेज़ हैं या नहीं और जब यह सब होता है तो हम उस किताब को प्रकाशित करते हैं.
आगे उन्होंने कहा कि यह जो भी हो रहा है, और प्रकाशक का नाम खींचा जा रहा है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि इससे पहले हम शाहीन बाग़ पर भी किताब ला चुके हैं और उस समय जो इस आन्दोलन के विरोधी थे, उन्होंने जरा भी विरोध नहीं किया था. एक तरह से यह प्रभावित करने की कोशिश है, मगर यह उचित नहीं है.
ट्विटर पर इसका विरोध करने वाले में पाकिस्तानी झंडा लगाए हैंडल हैं
तो संकेत गोखले जैसा ‘लाल लंपट’ है। पूर्व में यह संकेत गोखले ट्वीटर पर राष्ट्रपति तक के लिए अपमानजनक शब्द ट्वीट कर चुका है। मुसोलिनी और स्टालिन जैसे खूनी विचारधारा का पोषण यह संकेत गोखले घनघोर कम्युनिस्ट है। खुद को फासिस्ट विरोधी लिखता है, लेकिन नाजी हिटलर के सहयोगी तानाशाह स्टालिन का वैचारिक भक्त है।
‘लाल लंपट’ संकेत गोखले फर्जी खबरें फैलाने वाले द वायर गिरोह का सदस्य है, और उसकी फर्जी रिपोर्ट को टवीट कर Bloomsbury Publishing India पर दबाव बनाने की कोशिश में जुटा है। यह वही The Wire है, जिस पर फर्जी खबरों के लिए विभिन्न अदालतों में न जाने कितने मुकदमे चल रहे हैं।
दलित वर्ग से आने वाले और देश के सबसे बड़े संवैधानिक पद पर बैठे राष्ट्रपति के लिए जिसके मन में सम्मान न हो वह लाल सलामी देश और देश की संवैधानिक संस्थाओं के प्रति अपनी कुंठा जब तक ट्वीटर पर निकालता रहता है।
ऐसे ही वामपंथी लेखक स्टेनली जॉनी हैं जो Bloomsbury Publishing के लेखक हैं, और वह इस बात से खफा हैं कि आखिर वह यह रिपोर्टनुमा किताब प्रकाशित ही क्यों कर रही है, जिसमें फेकन्यूज़ फैक्ट्री ‘ऑपइंडिया’ की नूपुर शर्मा हैं? जब स्टेनली जॉनी यह लिखते हैं तो वह अपने पूर्व नियोक्ता The Hindu की उन सभी फेक न्यूज़ को भूल जाते हैं जो यह समाचार पत्र लगातार इस सरकार के खिलाफ चलाता रहा है और राफेल पर जो फेक रिपोर्ट उसने चलाईं थीं, जिसे बाद में उच्चतम न्यायालय तक ने नकार दिया!
लेफ्टवर्डबुक्स की सुधाव्ना देशपांडे ने इन्स्टाग्राम पर एक पोस्ट की है जिसमें वह कह रही हैं कि इस किताब के हाथ खून से सने हैं! सभी एक सुर में कह रहे हैं यह अल्पसंख्यकों के खिलाफ है, तो क्या इन लोगों को न्याय भी अपनी मर्जी का चाहिए? इस पूरे गिरोह को न्यायालय पर भी विश्वास नहीं है?
खूनी कम्युनिस्टों का प्रवक्ता प्रकाशन Tulika Books है, जिसने अपनी खूनी विचारधारा के अनुरूप ही खून से सना पोस्टर ट्वीट किया है।
इसी प्रकार वाम विचारधारा का झंडा उठाने वाले कुछ हिंदी के लेखक भी हैं जो इस विवेक अग्निहोत्री और कपिल मिश्रा के नाम पर सुलग रहे हैं. विवेक अग्निहोत्री का नाम लेकर सत्यानन्द निरुपम लिखते हैं कि कपिल मिश्रा और विवेक अग्निहोत्री का नाम जब से एक बौद्धिक आयोजन के ‘गेस्ट ऑफ ऑनर’ लिस्ट में देखा है, तब से यही सोच रहा हूँ कि नफ़रत फैलाना भी क्या अब बौद्धिक काम है? घृणा के प्रचारक क्या अब समाज के विचारक हो जाएंगे?
इनसे पूछा जाना चाहिए कि अंतत: घृणा का प्रचारक कौन है? कपिल मिश्रा को अपना पक्ष न रखने देने वाले प्रगतिशील कब से हो गए? विवेक अग्निहोत्री ने ऐसा क्या कर दिया है?
दरअसल अब कुछ मुखर स्वरों ने इनकी नींदें उड़ा दी हैं, जो एजेंडा अब तक यह चला रहे थे, उस एजेंडा पर न केवल सवाल उठ रहे हैं, बल्कि सच्ची रिपोर्ट प्रकाशित हो रही हैं.
DelhiRiotsUntoldStory 2020 एक ऐसा दस्तावेज है जो उस झूठ से पर्दा उठाएगा जिस झूठ को हर साल, हर दंगे के बाद यह प्रकाशित करते हुए आए थे. दंगों में केवल हिन्दू ही दंगाई होता है, यह झूठे हर साल परोसते हुए आए थे, जबकि हर दंगों में शुरुआत कौन करता है, यह आज पूरा विश्व देख रहा है, ब्लैक लाइव्स मैटर्स के मामले में अमरीका से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक हिंसा का नंगा नाच वामी-इस्लामी विचारधारा ने ही किया है!
आज छोटा छोटा ही सही प्रयास हो रहा है और यह प्रयास उन्हें डरा रहा है, तभी जो प्रकाशक Shaheen Bagh: From a Protest to a Movement प्रकाशित करते समय उनके लिए सेक्युलर है प्रिय है, वह दिल्ली रायट्स 2020, जो पूरी तरह तथ्य परक है, लिखते समय अछूत हो जाता है, वह घृणा और हिंसा से इतना भर बैठे हैं कि #ShameOnBloomsbury का ट्रेंड चला रहे हैं.
विद्यार्थियों के मध्य हिंसा का कॉपीराईट रखने वाली AISA – और वह भी जाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज की आयसा लिखती है Delhi Riots Untold Story 2020 को हेटप्रोजेक्ट्स बताती है. इसे हिटलर गोब्बेल की घृणा का मॉडल बता रही है.
कांग्रेस की सोशल मीडिया की नेशनल कन्वेनर हसिबा अमीन लिखती हैं,
कम्युनिस्ट पार्टी के कार्ड होल्डर दीपांकर इसे संघी संस्करण कह रहे हैं, वह यह नहीं देख रहे ही लिखने वाली मोनिका अरोड़ा उच्चतम न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता हैं एवं प्रेरणा मल्होत्रा एक प्रोफेसर!
और ऐसे में नफरत से भरी कम्युनिस्ट कविता कृष्णण कैसे न नफरत उड़ेलती? वह तो समाज में आग लगाने में सबसे आगे रहने वाली ‘लाल झंडबदार’ रही हैं। वह एक के बाद एक ट्वीट कर अपने अंदर की जहर उल्टी करती चली गई हैं।
आम आदमी पार्टी की राजनीति के समर्थक भाग्यवंत @BhagywantD तो विवेकअग्निहोत्री, नुपुर शर्मा, कपिल मिश्रा, मोनिका अरोड़ा, प्रेरणा मल्होत्रा और श्री भूपिंदर यादव को अपशब्द भी कह रहे हैं.
unapologetic muslim के रूप में अपनी पहचान बताने वाले वामपंथी लिखते हैं कि हमें इस किताब का विरोध करना ही चाहिए. यह इस देश का दुर्भाग्य है कि unapologetic muslim हिन्दुओं के पक्ष में कभी खड़ा नहीं होगा! पर अब इस सिलेक्टिव आज़ादी पर बोलना ही होगा! और जनता सब देख रही है, वह समय आने पर एक बार फिर जबाव देगी! यह तय है!
वामपंथी गिरोह भड़का हुआ है
क्योंकि उनको अपने ज़हरीले मंसूबे लगातार ध्वस्त होते दिख रहे हैं !!
बहुत तथ्यपरक आलेख। शुक्रिया सोनाली।